कोरोना के अलावा भी है एक जान लेवा बीमारी

दुनियाभर में फैल चुके कोरोना वायरस ने अब तक एक करोड़ 83 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है जबकि इसके संक्रमण की वजह से छह लाख 96 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यह निश्चित तौर पर महज कुछ महीनों में किसी बीमारी से मरने का बहुत बड़ा आंकड़ा है, लेकिन क्या आपको पता है कि कोरोना वायरस इकलौती ऐसी बीमारी नहीं है, जिसकी वजह से लाखों लोग मारे गए हैं। दुनिया में पहले से ही कई तरह की बीमारियां फैली हुई हैं और उनकी वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। एक ऐसी ही खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, जो पूरी दुनिया में बहुत ही तेजी से फैल रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस इकलौती बीमारी की वजह से हर साल पूरी दुनिया में एक दो नहीं बल्कि करीब 15 लाख लोग मारे जाते हैं। आइए जानते हैं इस घातक बीमारी के बारे में और साथ ही यह भी जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण क्या-क्या हैं।

इस बीमारी का नाम ट्यूबर-क्यूलोसिस है।
पहले जानें लक्षण:
खांसी आना
टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ो को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।

पसीना आना
पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। वहीं, मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है।

बुखार रहना
जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है लेकिन बाद संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता चला जाता है।

थकावट होना
टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण उसकी ताकत कम होने लगती है। वहीं, मरीज के कम काम करने पर अधिक थकावट होने लगती है।

सांस लेने में परेशानी
टीबी हो जाने पर खांसी आती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।

कैसे फैलती है यह बीमारी?
ऐसा नहीं है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों में ही होती है. टीबी के कई प्रकार भी हैं. ब्रेन, यूट्रस, मुंह, किडनी गला, हड्डी जैसी जगहों पर भी टीबी की बीमारी हो सकती है. फेफड़ों के अलवा अन्य प्रकार की टीबी एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलती है.
फेफड़ों की टीबी एक इंसान से दूसरे इंसान में खांसने, छींकने या मुंह-नाक से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलती है. अगर आपके आस-पास किसी को फेफड़ों की टीबी है तो उससे उचित दूरी बनाकर रखना चाहिए.

किसको खतरा ज्यादा:-

अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी ज्यादा होती है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया अंधेरे में पनपता है। यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह एक से दूसरे में संक्रमण से फैलता है। स्मोकिंग करने वाले को टीबी का खतरा ज्यादा होता है। डायबीटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा। कुल मिला कर उन लोगों को खतरा सबसे ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) कम होती है।

बचाव के तरीके:-
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे।
2- मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।

3- मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
4- मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करे।
5- पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे।
6- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

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