कोरोनावायरस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. महामारी के शुरू होने के पहले ही देश के कई सेक्टर, जैसे- ऑटो सेक्टर, टेलीकॉम सेक्टर और NBFCs मुश्किल से गुजर रहे थे, लेकिन अब महामारी के बाद यह समस्या आम जनता के रोजगार और आर्थिक क्षमता को प्रभावित करने के स्तर तक गहरा गई है. सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बाजार में पैसे डाले हैं और कई उद्योगों को आर्थिक सहायता दे रही है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का कहना है कि सरकार को अगले कुछ सालों तक अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.
बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को संकट दूर करने और आने वाले वर्षों में सामान्य आर्थिक स्थिति को बहाल करने के लिए तीन कदम उठाने चाहिए. पहला- सरकार को लोगों की आजीविका को सुनिश्चित करना चाहिए और उन्हें डायरेक्ट कैश ट्रांसफर कर उनके खर्च करने की शक्ति को मजबूत करना होगा. दूसरा- सरकार समर्थित क्रेडिट गारंटी प्रोग्राम के माध्यम से व्यवसायों के लिए पर्याप्त पूंजी उपलब्ध करानी होगी. तीसरा- इंस्टीट्यूशनल ऑटोनॉमी एंड प्रोसेस के माध्यम से फाइनेंशियल सेक्टर को ठीक करना चाहिए.
भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी की शुरुआत से पहले ही मंदी की गिरफ्त में थी. 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ 4.2% रही, जो लगभग एक दशक में सबसे कम ग्रोथ रेट रही. देश अब धीरे-धीरे और लंबे समय तक बंद होने के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को अनलॉक कर रहा है, लेकिन संक्रमण संख्या बढ़ने के कारण भविष्य अनिश्चित है. कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत अमेरिका और ब्राजील के बाद दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावित देश है.
अर्थशास्त्रियों ने भी 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए भारत की जीडीपी में तेज गिरावट होने की आशंका की चेतावनी दी है. जो 1970 के दशक के बाद सबसे खराब तकनीकी मंदी हो सकती है. डॉ. सिंह ने कहा कि मैं ‘डिप्रेशन’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना नहीं चाहता, लेकिन एक गहरी और लंबे समय तक आर्थिक मंदी अपरिहार्य थी. उन्होंने कहा, ‘यह आर्थिक मंदी मानवीय संकट के कारण है. यह हमारे समाज में कैद भावनाओं से केवल आर्थिक संख्या और तरीकों से देखने के लिए महत्वपूर्ण है.’