सौ टंच

सौ टंच

अरविंद तिवारी
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 • तुलसी सिलावट के पीछे भी कुछ ना कुछ लगा रहता है। अब नया मुद्दा बिल्कुल अलग है। कानून कायदे के मुताबिक बिना विधायक रहते आप 6 माह से ज्यादा मंत्री नहीं रह सकते। सितंबर में सिलावट यह अवधि पूर्ण कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। मंत्री रहने का विकल्प एक ही है और वह यह कि 1 दिन के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दे और अगले दिन फिर शपथ हो जाए। लेकिन ऐसा अभी संभव होता दिख नहीं रहा है। ऐसे में बिना मंत्री पद के ही चुनाव लड़ना पड़ सकता है और यह घाटे का सौदा रहेगा। अब सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के नंबर 1 सिपहसालार है ऐसी स्थिति में जितना सिलावट सोच रहे हैं उससे ज्यादा सिंधिया के दिमाग में होगा देखते हैं क्या होता है। फिलहाल तो इस संवैधानिक प्रावधान ने सिलावट की नींद उड़ा रखी है।

 • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की डिक्शनरी का एक शब्द अपेक्षित इन दिनों उमेश शर्मा के लिए बहुत भारी साबित हो रहा है। गौरव रणदिवे के भाजपा का नगर अध्यक्ष बनने के बाद जो समीकरण बने हैं उसमें शर्मा अनपेक्षित हो गए। पिछले कुछ दिनों मैं भाजपा कार्यालय में हुई कुछ बैठकों और आयोजनों में शर्मा की गैर मौजूदगी रही। यह गैरमौजूदगी चर्चा का विषय भी बनी और इसे रणदिवे के नगर अध्यक्ष बनने के बाद के घटनाक्रम से जोड़कर देखा जाने लगा। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा उछला और नई बहस छिड़ गई। आखिर का शर्मा को कहना पड़ा कि यह गैरमौजूदगी अपेक्षित नहीं होने के कारण रही। देखते हैं यह सिलसिला जारी रहता है या महज इत्तेफाक जैसी बात सामने आती है।

 • इंदौर के आईजी पद के एक दावेदार जयदीप प्रसाद के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद अब सबकी निगाहें राकेश गुप्ता पर हैं। यदि वर्तमान आईजी विवेक शर्मा ने ठीक से लामबंदी नही कि तो इंदौर में एएसपी डीआईजी के रूप में लंबी पारी खेल चुके गुप्ता उप चुनाव के बाद यहां मोर्चा संभाल सकते हैं। संघ में अपने मजबूत नेटवर्क के कारण पिछले 15 साल में हमेशा अहम भूमिका में रहे गुप्ता की गिनती उन अफसरों में होती है जो भले ही देरी से गोली चलाते हैं पर उनका निशाना हमेशा सधा हुआ होता है।‌ देखते हैं इस बार निशाना सही लगता है या नहीं।

 • राजेंद्र सिंह सेंगर इंदौर नगर निगम के लिए कोई नया नाम नहीं है। वे यहां कुछ साल पहले उपायुक्त रह चुके हैं लेकिन इन दिनों उनका अलग ही जलजला है। सेंगर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के खासम खास हैं और इन दिनों उनके ओएसडी भी। भूपेंद्र सिंह जब गृह मंत्री थे तब भी सेंगर उनके साथ थे और उनकी तूती बोलती थी। अब नगरीय प्रशासन विभाग और खासकर इंदौर नगर निगम के अपने पुराने अनुभव का लाभ सेंगर अपने बॉस को भी दिलवा रहे हैं। वक्त की नजाकत को भापने वाले निगम के अफसरों की आमद रफ्त सेंगर के यहां शुरू हो चुकी है और नगर निगम में हाल ही में हुए बड़े बदलाव में इसकी झलक भी देखी जा सकती है।

 • रोहन सक्सेना कलेक्टर मनीष सिंह के इंदौर में सबसे पसंदीदा अफसर हैं। उनकी इंदौर में दोबारा पदस्थापना भी कलेक्टर के कारण ही हुई है। अपने पसंदीदा अफसर को हमेशा अच्छे पद पर देखना सब चाहते हैं। एकेवीएन इंदौर के एमडी पद की दौड़ में अनेक अफसर शामिल हैं लेकिन आईएएस विजय दत्ता, राप्रसे के आफसर डॉक्टर वरद मूर्ति मिश्रा केदार सिंह और रजनीश कसेरा के बाद इस सूची में ताजा नाम जुड़ा है जिला पंचायत के सीईओ रोहन सक्सेना का। सक्सेना के गुना कनेक्शन के चलते उच्च स्तर से उनका नाम आगे बढ़ाया गया है और निर्णय जल्दी ही होना है। मामला मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस एक कारण अटका हुआ है। प्रशासनिक क्षेत्रों में कलेक्टर मनीष सिंह को बैंस का प्रिय पात्र माना जाता है और यदि सिंह की मदद मिल गई तो फिर सक्सेना का दौड़ में नंबर 1 रहना तय है।

 • मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर सिंधिया परिवार के दबदबे की बातों अक्सर उठती है लेकिन अब मध्य प्रदेश टेनिस एसोसिएशन पर अनिल धूपर का दबदबा भी दिखने लगा है। पिछले 20 सालों में जिसे धूपर ने चाहा वही उनके अलावा एसोसिएशन का अध्यक्ष या सचिव बना। इस बार की एसोसिएशन की कार्यकारिणी में पदाधिकारी के रूप में तो धूपर है ही उनके भाई अतुल और बेटे अर्जुन भी कार्यकारिणी में हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष तो धूपर के अजीज मित्र अनिल महाजन है ही।

 • जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे और इंदौर आते थे तब विमानतल पर कृपाशंकर शुक्ला के पहुंचने का अपना एक अलग अंदाज होता था। यह माना जाता था की पंडित जी आ गए हैं मतलब सीएम का प्लेन लैंड करने ही वाला है। पंडित जी का यह अंदाज कई साल चला। पिछले दिनों कांग्रेस के नेता डीआईजी को ज्ञापन देने रानी सराय पहुंचे। वह पोर्च में डीआईजी का इंतजार कर रहे थे तभी एक कार वहां आकर रुकी तो सब चौक पड़े। देखा तो पता चला कि पंडित जी आए हैं उन्हें इस अदा में देखकर कांग्रेसियों को इंदौर विमानतल के पुराने टर्मिनल भवन के पोर्च की याद ताजा हो गई। पंडित जी इन दोनों अस्वस्थ हैं और ज्यादा पैदल चल नहीं पाते इसलिए कार डीआईजी ऑफिस के पोर्च तक पहुंच गई।

और अंत में

इनोवा वाले टीआई

इन्दौर के 30 से अधिक टीआई पुरानी सरकारी जीप में ही अपनी ड्यूटी बजा रहे है , लेकिन लसूडिया टीआई इंद्रमणी पटेल इससे हटकर। कुछ समय पहले ही बाणगंगा से लसूडिया पहुंचे पटेल इन दिनों अपनी इनोवा पर बहुरंगी बत्ती कसवा कर घुमते है। पूरे क्षेत्र में टी आई की इनोवा चर्चा में है और कई बार तो इस इनोवा को देख पुलिस के अफसर भी चौंक जाते हैं क्योंकि इंदौर के डीआईजी की गाड़ी भी इनोवा ही है। मतलब गाड़ी के मामले में तो दोनों बराबर।

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