सुशांत सुसाइड केस -कहानी उस ड्रग की जिससे रिया चक्रवर्ती का नाम जुड़ा,ये ड्रग दिमाग़ को बेक़ाबू कर देता है

 

 

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस में ड्रग्स की एंट्री हो गई है। इससे जुड़े चैट के स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं। चैट में रिया चक्रवर्ती गौरव नाम के एक शख्स से जिस ड्रग के बारे में बात कर रही हैं, उसका नाम MDMA है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, यह सायकोट्रॉपिक ड्रग है। इसे देने के बाद सबसे पहले इंसान काफी खुश महसूस करता है और फिर धीरे-धीरे दिमाग से उसका कंट्रोल खोने लगता है। वह हेलुसिनेशन का शिकार हो जाता है। इसका असर ड्रग लेने के 30-45 मिनट बाद शुरू होता है और 3 से 6 घंटे तक रहता है। असर शुरू होते ही इंसान काफी एनर्जिटिक महसूस करने लगता है।

एमडीएमए (MDMA) ड्रग है क्या?
क्लिनिकलट्रायल्स डॉट जीओवी (clinicaltrials.gov) के मुताबिक और विशेषज्ञों के मुताबिक एमडीएमए ड्रग(3, 4-मेथेलीन डाई-ऑक्सी मेथाम्फेटामाइन) को स्टिम्युलेंट की कैटेगरी में रखा गया है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म और दिमाग से रिलीज होने हार्मोन और रसायन को बढ़ाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एमडीएमए (MDMA) सायकोट्रॉपिक और सिंथेटिक ड्रग है। सायकोएक्टिव कंपाउंड होने के कारण व्यक्ति के दिमाग मे कई तरह की प्रतिक्रियाएं होने लगती है।
ड्रग का क्या असर होता है?
इसे लेने के बाद व्यक्ति पहले बहुत खुशी महसूस करता है, खुद को काफी ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करने लगता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे दिमाग से उसका नियंत्रण खोने लगता है। इससे व्यक्ति को एकदम थकावट महसूस नहीं होती। दवा लेनेवाला व्यक्ति हैल्युसिनेशन यानी मतिभ्रम का शिकार हो जाता है। दवा लेने के आधे घंटे से 45 मिनट बाद इस दवा का असर शुरू होता है और तीन से छह घंटे तक रहता है।
मनोचिकित्सक डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि यह ड्रग सीधे तौर पर दिमाग पर तेज असर करता है। ड्रग लेने पर व्यक्ति कन्फ्यूज हो जाता है, उसके सोचने-समझने की क्षमता सामान्य नहीं रह जाती। यहां तक कि उसके हाथ भी कंपकंपाते हैं।

क्यों नियंत्रण खोने लगता है व्यक्ति?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस ड्रग के प्रभाव से व्यक्ति का नर्वस सिस्टम सुस्त हो जाता है और खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग अब्यूज के मुताबिक, इस ड्रग को लोग टैबलेट या कैप्सूल के रूप में लेते हैं। यह तीन तरह के हार्मोन डोपामाइन, नोरेपिनेफ्रिन और सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाता है, जिस कारण दिमाग नियंत्रण खोने लगता है। भूख और थकान महसूस नहीं होने और डिप्रेशन के कारण व्यक्ति इस ड्रग का आदी हो जाता है। इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।

इस ड्रग के इस्तेमाल से बचें
विशेषज्ञों का कहना है कि इस ड्रग की हाई डोज लेने पर शरीर का तापमान नियंत्रित करने की क्षमता पर असर पड़ता है। शरीर का तापमान बढ़ने पर किडनी, लिवर और हार्ट फेल्योर की संभावना रहती है। ज्यादा गंभीर स्थिति में मौत भी हो सकती है। इस ड्रग का आदी(Drug Addiction) हो जाने पर सीधे तौर पर इसका इलाज नहीं है। हालांकि व्यवहारिक थेरेपी से आदत छुड़ाने की कोशिश की जाती है। इलाज को लेकर रिसर्च हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सुशांत के मामले में इस ड्रग का नाम आया है तो उसकी बॉडी की दोबारा जांच में स्पष्ट हो पाएगा कि यह ड्रग उसके शरीर में था या नहीं। विसरा रिपोर्ट के मुताबिक उनके शरीर में कोई ड्रग नहीं था। लेकिन दोबारा इसकी जांच होने के बाद अगर रिपोर्ट निगेटिव आ जाए तो चर्चाओं पर विराम लग पाएगा। हालांकि यह जांच का विषय है।

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