राज-काज

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* दिनेश निगम ‘त्यागी’
0 उप चुनाव में ‘वीडी’ का बहुत कुछ दांव पर….
– मोटेतौर पर विधानसभा की 27 सीटों के उप चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया की ही प्रतिष्ठा जुड़ी है। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद शिवराज मुख्यमंत्री बने हैं और सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर सरकार बनाने का रास्ता बनाया है। इस लिहाज ने इन दोनों की जवाबदारी है कि सभी 27 सीटों में भाजपा जीते। इसका मतलब यह कतई नहीं कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा जवाबदारी से मुक्त हैं। शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष रहते पहली बार 27 सीटों के लिए उप चुनाव हो रहे हैं। इसलिए जितनी जवाबदारी शिवराज-ज्योतिरादित्य की है, वीडी की उससे कम नहीं। चुनाव नतीजों से तय होगा कि शर्मा का संगठन कौशल कैसा है। उप चुनावों से ‘वीडी’ की प्रतिष्ठा अन्य कारणों से भी जुड़ी है। एक, वे चंबल-ग्वालियर अंचल से आते हैं और सर्वाधिक 16 सीटों के उप चुनाव यहां ही होना है। दूसरा, वे बुंदेलखंड अंचल से सांसद हैं। यहां भी दो सीटों सुरखी एवं मलेहरा के लिए उप चुनाव होना है। ऐसे में यदि भाजपा यहां की सीटें लूज करती है तो कटघरे में ‘वीडी’ भी होंगे।
0 आपदा को अवसर में बदलने की महारत….
– मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे नेता हैं जिन्हें आपदा में भी अवसर ढूंढ़ने में महारत हासिल है। प्रदेश इस समय दोहरे संकट में है। कोरोना महामारी से उबर नहीं पाया और बाढ़ की विभीषका ने दस्तक दे दी। कोरोना के प्रकरण कम नहीं हो रहे। ऐसे में युवाओं का ध्यान डायवर्ड करने लिए उन्होंने पहले सरकारी नौकरियां सिर्फ प्रदेश के युवाओं को देने का एलान किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर मुहर लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भर्ती के लिए अलग से कोई परीक्षा नहीं होगी। केंद्रीय स्तर पर जो परीक्षा होगी, उसी मैरिट के आधार पर प्रदेश में भर्ती की जाएगी। शिवराज के इन निर्णयों का कोई दल विरोध नहीं कर पाया। इसी प्रकार बाढ़ को लेकर विपक्ष शिवराज को आड़े हाथ लेता, इससे पहले ही उन्होंने हवाई सर्वेक्षण कर डाला। वोट से बाढ़ का जायजा लिया और राहत को लेकर घोषणाओं की बौछार कर दी। यही नहीं कोरोना काल में होने वाली नीट की परीक्षा के लिए बच्चों को परीक्षा केंद्रों तक आने-जाने की व्यवस्था कर डाली। इनसे संबंधित कहानियां अब आप शिवराज के भाषणों में सुनेंगे।
0 विशेष होंगे सुरखी-सांवेर है के उप चुनाव….
– भाजपा और कांग्रेस का जोर विधानसभा की सभी 27 सीटें जीतने पर है। इनमें कुछ सीटें विशेष हैं, जिन्हें दोनों दल हरहाल में जीतना चाहते हैं। ऐसी सीटों में बुंदेलखंड की सुरखी एवं मालवा की सांवेर सीट शामिल हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ये दोनों सीटें जीतना चाहते हैं क्योंकि यहां से उनके सबसे प्रमुख सिपहसलार गोविंद सिंह राजपूत एवं तुलसी सिलावट मैदान में होंगे। यही कारण है कि सिंधिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं अन्य प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ इन सीटों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। सिंधिया पिछले दिनों इंदौर गए तो सांवेर में सिलावट की जीत के लिए बिना बुलाए भाजपा नेताओं के घर-घर पहुंचे। अगला कार्यक्रम सुरखी का है। यहां अगले सप्ताह पहुंचेंगे। गोविंद राजपूत की जीत में कोई अड़चन न आए इसलिए शिवराज के विश्वस्त भूपेंद्र सिंह को सुरखी का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। यहां से भूपेंद्र पहले चुनाव लड़ते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह के निशाने पर भी यह दोनों सीटें हैं। वे किसी भी हाल में सिंधिया के खास इन नेताओं को जीतने नहीं देना चाहते। इसलिए इन दोनों सीटों को सबसे अलग व विशेष महत्व माना जा रहा है।
– शिवराज-कैलाश से अलग गोपाल का भजन….
– भाजपा में अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भजन गाने के मामले में चर्चित रहे हैं। कैलाश नेता के साथ गायक भी हैं जबकि शिवराज शौकिया गाते हैं। पार्टी के एक और दिग्गज गोपाल भार्गव का भजन गाता वीडियो इस समय सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि गोपाल का भजन शिवराज-कैलाश से बिल्कुल अलग है। भार्गव कोरोना पॉजीटिव होने के कारण घर में आराम कर रहे हैं। ऐसे में कोई फोन में व्यस्त रहता है, कोई न्यूज सुनने या मनोरंजन के अन्य कार्यक्रम देखने में। गोपाल भार्गव पुरानी यादें ताजा कर रहे हैं और अपने पिता को याद कर भजन गा रहे हैं। भजन भी ऐसा जो व्यक्ति जीवन के अंतिम पड़ाव के समय गाता है। भजन के बोल हैं, ‘इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकलें……’। भार्गव की आवाज भले अच्छी नहीं है लेकिन वे लय में गाते दिखाई पड़ते हैं और सुनने वाला भावुक हो जाता है। कोरोना काल में इस प्रवृत्ति को व्यक्ति के संस्कारों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। ये संस्कार बचपन से परिवार के द्वारा मिलते हैं। कोई इन्हें समय के साथ भुला बैठता है, कोई भार्गव की तरह आत्मसात कर लेता है।
0 सज्जन ने अपनी शैली में दिखाया आइना….
– कांग्रेस के नेता पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा अपने बयानों के लिए उसी तरह चर्चित रहते हैं, जिस तरह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय। सज्जन एवं कैलाश दोनों ऐसे नेता हैं जो मौका आने पर अपनी पार्टी के नेताओं के मामले में भी सज्जनता नहीं दिखाते। इनके बयान तीखे तो हाते ही हैं, कई बार एक तीर से कई निशाने साधने वाले भी। सज्जन एवं कैलाश के बीच बयानों में ‘तू-तू, मैं-मैं’ चाहे जब सुनने को मिल जाती है। सज्जन वर्मा ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं को अपनी शैली में आइना दिखाया। सज्जन ने आजाद पर तंज कसते हुए कहा कि आपने कभी भाजपा में चुनाव होते देखा है। कपिल सिब्बल की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपका पूरा समय तो प्रैक्टिस में ही निकल जाता है, पार्टी के लिए आपके पास समय ही कहां हैं। आपको मालूम है कि सोनिया गांधी पार्टी के लिए कितनी अनमोल हैं। सज्जन ने इन नेताओं को कटघरे में ही नहीं खड़ा किया, सोनिया गांधी को ऐसा इंतजाम करने की सलाह दे डाली ताकि विरोध के स्वर फिर कभी ना फूटें।
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