भोपाल-इंदौर मेट्रो: अत्याधुनिक तकनीकों के साथ ट्रायल रन की तैयारियाँ, ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम से लैस रहेगी मेट्रो

भोपाल और इंदौर (Bhopal and Indore) में दौडऩे वाली मेट्रो ट्रेन में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। साढ़े 5 किलोमीटर के जिस प्रायोरिटी कॉरिडोर पर सितम्बर माह में ट्रायल रन (trial run) लिया जाना है उसमें पटरियों को बिछाने के साथ-साथ सिग्नलिंग सहित अन्य कार्य भी शुरू हो गए हैं। वहीं तीन स्टेशनों का निर्माण भी जल्द पूरा हो जाएगा। वहीं ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (automatic train operation) के साथ प्रोजेक्शन सिस्टम भी रहेगा और एक संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण के लिए सीबीटीसी प्रणाली को चुना गया है, जिसके चलते मेट्रो ट्रेनों का स्वचालन उच्चतम स्तर पर संचालित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर विकसित किए गए हैं। यूटीओ मॉड ऑफ ऑपरेशन के साथ ड्राइवर को एटीओ और एटीपी मोड भी उपलब्ध रहेंगे।

इंदौर और भोपाल में दौडऩे वाली मेट्रो में अभी दुनिया की जो नई तकनीक है उनका इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके चलते ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन यानी एटीओ के साथ ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन यानी एटीपी मोड भी उपलब्ध रहेंगे। जो सीबीटीसी प्रणाली इस्तेमाल में लाई जा रही है उसमें सबसे उन्नत प्रणाली है, जिसमें ट्रेन बिना ड्राइवर के भी चलती है, जिसे अन अटेंडेंट ट्रेन ऑपरेशन भी कहा जाता है। हालांकि शुरुआत में ट्रायल रन सहित कुछ समय ड्राइवर के साथ में, उसके बाद फिर ड्राइवर लैस मेट्रो ट्रेन पूरे साढ़े 32 किलोमीटर के इंदौर में तय किए गए कॉरिडोर पर चलेगी। अभी गांधी नगर से लेकर सुपर कॉरिडोर, वहां से एमआर-10 पर होटल रेडिसन से रोबोट चौराहा तक साढ़े 17 किलोमीटर के एलिवेटेड कॉरिडोर पर इन दिनों काम चल रहा है। उसी में से साढ़े 5 किलोमीटर का हिस्सा प्रायोरिटी कॉरिडोर के रूप में चुना गया है, जिसे अभी पहले ट्रायल रन के लिए तैयार किया जा रहा है। साथ ही गांधी नगर में 75 एकड़ पर जो डिपो का काम चल रहा है उसमें भी एडमिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य पूरे किए जा चुके हैं और ट्रायल रन के लिए पटरियां भी डिपो के अंदर बिछ चुकी है। अब कॉरिडोर पर पटरियों को बिछाने का काम चल रहा है। साथ ही सिग्नलिंग, इलेक्ट्रिक सिस्टम सहित अन्य जरूरी काम भी तेजी से किए जा रहे हैं, ताकि सितम्बर अंत तक ट्रायल रन लिया जा सके। जो कोच है वहां पर भी ऑटो वॉशिंग सिस्टम रहेगा। यानी रात के वक्त जब ट्रेनें डिपो में खड़ी रहेंगी, तो उन्हें स्वचालित तरीके से ही वॉशिंग पाइंट में भेजा जाएगा, जहां ट्रेनों के डिब्बे साफ होंगे और वे स्टेबलिंग बेलाइन में भेजे जाएंगे, ताकि अगले दिन सुबह से फिर उनका ऑपरेशन शुरू हो सके। सीबीटीसी प्रणाली को सुरक्षित करने के लिए केन्द्रीयकृत साइबर सिक्युरिटी सिस्टम भी विशेष रूप से रहेगा।

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