मोहन का एक साल, उलझे हुए मामलों को सुलझाते मोहन…
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की एक साल की उपलब्धियों में महत्वपूर्ण बात यह है कि उलझे हुए मामले सुलझ रहे हैं। रातापानी अभयारण्य के टाइगर रिजर्व घोषित होने पर यह पंच लाइन सीएम डॉ. मोहन यादव ने ही दी है। उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि रातापानी का मामला सालों से उलझा पड़ा था। और इसका समाधान मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने ही किया। और इसी तरह दशकों से लंबित पड़ी अटल जी के समय की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना थी। तो उलझे हुए मामलों को सुलझाने के मोहिनी प्रयास रंग ला रहे हैं। डॉ. मोहन यादव की छवि ‘उलझे हुए मामलों को सुलझाने की’ बन रही है। और लगता है कि यह छवि ‘मोहन’ के साथ दूर तक जाने को तैयार है।
पहले रातापानी की बात करें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रातापानी बाघ अभयारण्य को प्रदेश का आठवाँ “टाइगर रिजर्व’’ घोषित होने पर प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व बनने से प्रदेश में पर्यटन के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के आठवें टाइगर रिजर्व के रूप में रातापानी बाघ अभयारण्य की अधिसूचना 2 दिसम्बर को जारी की गयी है। यह किसी भी राज्य की राजधानी से सटा पहला टाइगर रिजर्व है। टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी तथा भोपाल की पहचान टाइगर राजधानी के रूप में होगी। रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर तथा बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर होगा। रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने का श्रेय मोहन को ही जाएगा। और उलझा हुआ एक मामला सुलझ रहा हैं । मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश के 9वें टाइगर रिजर्व माधव नेशनल पार्क के लिये एनटीसीए से अनुमति मिल गयी है। इसके नोटिफिकेशन जारी करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है, जो लगभग एक माह में पूरी हो जायेगी। तो है न मोहन की उलझे हुए मामलों को सुलझाने की छवि।
ऐसे ही उलझा हुआ एक और मामला है। और यह है दशकों से लंबित रही केन-बेतवा लिंक परियोजना की मोहन के समय सुलझने का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश संयुक्त रूप से महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना पर काम कर रहे हैं, जो विश्व में अपने प्रकार की अद्वितीय परियोजना है। मध्यप्रदेश में इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के 10 जिलों को सिंचाई और पेयजल आपूर्ति की सुविधा प्राप्त होगी। बुंदेलखंड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने कभी भी अपनी संप्रभुता दिल्ली सल्तनत अथवा मुगल शासकों के अधीन नहीं की परंतु पानी के अभाव में दुर्भाग्यवश यह क्षेत्र संसाधनहीन हो गया। अब केन-बेतवा परियोजना के माध्यम से इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा।
तो ऐसे और भी मामले होंगे, जिनसे मध्यप्रदेश को बड़ा लाभ होने की उम्मीद की जा सकती है। और मोहन यादव की उलझे हुए यानि दशकों से लटके हुए मामलों को बातचीत से सुलझाने की कला मध्यप्रदेश में नए रंग भर रही है। एक साल में मोहन के यह प्रयास स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किए जाएंगे।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।