यही है आस्था, श्रद्धा और सनातन और महाकुंभ…
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान पर प्रयागराज में आस्था, श्रद्धा और सनातन का जो सैलाब उमड़ा, वह अकल्पनीय था। ऐसा किसी ने नहीं सोचा था कि तीस श्रद्धालुओं की मौत का समाचार सुनना पड़ेगा। मौतें हुईं और अखाड़ों ने अमृत स्नान को टाल दिया, पर श्रद्धालुओं की आस्था को कोई डिगा नहीं सका। यही महाकुंभ की शक्ति है और यही सनातन की ताकत है। बीस किलोमीटर पैदल चलने की खबरें आईं, पर श्रद्धालुओं को डिगा नहीं पाईं। भीड़ की सुनामी की जानकारी सबको है, पर आस्था के सागर में महाकुंभ समाया हुआ है। मौतें हुईं, अखाड़ों ने अपना अमृत स्नान रद्द कर दिया। पर देशभर के श्रद्धालुओं के मन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। चंद्रमा रातभर महाकुंभ की भीड़ देखकर दिव्य अनुभूति करता रहा, तो सूरज ने दिन में श्रद्धा, आस्था और महाकुंभ का विराट स्वरूप देख शत शत नमन किया। न तो श्रद्धालुओं को भीड़, भगदड़ और मौतों से कोई फर्क पड़ा, न ही व्यवस्थाओं और अव्यवस्थाओं जैसे शब्द आस्था से भरे धर्मप्रेमियों पर कोई असर डाल पाए। यही है महाकुंभ और यही है सनातन धर्म। इसीलिए भारत की महान संस्कृति और धर्म का दुनिया में विशिष्ट स्थान है। न तो इसकी बराबरी पर कोई है और न ही कोई इसके आसपास।
महाकुंभ मेले में बुधवार तड़के संगम नोज पर मची भगदड़ की वजह से तीस लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हादसे पर सीएम योगी आदित्यनाथ भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि उपचार के बाद बहुत सारे लोग अपने परिजनों के साथ घर जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा प्रेशर प्रयागराज में होने के कारण मार्ग चोक थे। प्रशासन उन्हें खुलवाने में लगा रहा। सीएम योगी ने बताया कि सरकार ने घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि जस्टिस हर्ष कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी इस मामले को देखेगी। कमेटी में जस्टिस हर्ष कुमार के अलावा पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस वीके सिंह को शामिल किया गया है। सीएम योगी ने कहा कि पुलिस भी इस हादसे की जांच करेगी। सीएम योगी की तरफ से पीड़ित परिवारों को 25 लाख रुपये की मदद का ऐलान किया गया है।
मौनी अमावस्या पर सबसे पहले तीन शंकराचार्यों ने अमृत स्नान किया। इसके बाद साधु-संतों ने छोटे-छोटे ग्रुप में अपने इष्टदेव के साथ सांकेतिक रूप से संगम स्नान किया। मौत पर दु:ख भी जताया। पर श्रद्धालुओं का रेला आता गया और दिन ढलते-ढलते करीब 6 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान लगाया जा रहा है। और कहा जा रहा है कि अभी तक करीब 20 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ स्नान कर चुके हैं। महाकुंभ से मध्यप्रदेश यह सीख अवश्य लेगा कि सिंहस्थ-2028 तक और क्या-क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए ताकि महाकुंभ जैसी स्थिति बनने की आशंका पूरी तरह से खत्म ही रहे। वैसे तो श्रद्धालुओं से राजनैतिक दलों को भी सीख लेना चाहिए और एक घटना पर सरकार की विफलता और इस्तीफों जैसी बचकानी मांग नहीं करना चाहिए। सनातन, आस्था और श्रद्धा के इस महाकुंभ में कम से कम राजनीति न कर ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए…तो शाही स्नान और अमृत स्नान जैसे विशेष दिनों में श्रद्धालुओं को पुण्य लाभ का विचार त्यागकर असीमित संख्या में प्रयागराज पहुंचने से बचना चाहिए…।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।