कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही

कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने का मतलब यह नहीं है कि इससे जुड़ी पूरी परेशानी खत्म, अधिकतर मरीजों को पोस्ट-कोविड केयर की जरूरत पड़ रही है. इसके मद्देनज़र दिल्ली सरकार का राजीव गांधी सुपर स्पेशियलटी हॉस्पिटल बुधवार से पोस्ट-कोविड क्लिनिक केयर शुरू कर रहा है, ताकि वायरस से ठीक हो चुके ऐसे लोगों का खयाल रखा जा सके, जिन्हें मदद की जरूरत है. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर बीएल शेरवल ने बताया. ‘अलग-अलग तरह की शिकायतें आ रही हैं. कुछ मरीज कह रहे हैं कि उन्हें खांसी है या थकान है या फिर कम सैचुरेशन लेवल है. इनमें अलग-अलग उम्र के, महिला, पुरुष हर कोई शामिल है.’ शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जब कुछ मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने और रिकवर होकर घर चले जाने के बाद ऑक्सीजन लेवल गिर जाने की वजह से उनकी मौत हो गई है. सरकार की योजना अब कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के घर Oxygen Concentrators पहुंचाने की है.पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद केजे अल्फोंस ने बताया कि उनकी 91 साल की मां पूरी तरह स्वस्थ थीं लेकिन 28 मई को उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई, वो ठीक हो गईं, उनकी रिपोर्ट दो बार निगेटिव आई लेकिन 11 जून को उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया. सासंद ने कहा कि कोविड आपके पूरे शरीर पर लंबे वक्त के लिए असर डालता है. आप ठीक हो सकते हैं लेकिन सुरक्षित नहीं.

मुंबई में भी कुछ अस्पतालों में कोरोना से ठीक हो चुके 40 फीसदी मरीज Lung Fibrosis बीमारी से प्रभावित होकर वापस आ रहे हैं. इस बीमारी में सूखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां आने लगती हैं. बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टर गौतम भंसाली का कहना है, ‘कोरोना से ठीक होने के लगभग एक महीने बाद मरीज फाइब्रोटिक लंग्स की शिकायत के साथ आ रहे हैं. हम X-Ray फिर CT scan करते हैं, तो उनमें लंग फाइब्रोसिस निकलता है. 30 से 40 फीसदी मरीज इसकी शिकायत कर रहे हैं.’ सैफी अस्पताल के डॉक्टर दीपेश अग्रवाल ने कहा, ‘आईसीयू के मरीज दो हफ्तों और वार्ड मरीज एक महीने में वापस आ रहे हैं. उनके फेफड़ों में सूजन है, थकान है. ये सब लंग फाइब्रोसिस के लक्षण हैं. कुछ हार्ट की समस्याओं की शिकायत भी कर रहे हैं.’

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