हिन्दुस्तान को 1200 साल लौटाने वाली ‘एनी आपा’…
1959 में प्रकाशित प्रसिद्ध उपन्यास ‘आग का दरिया’ को आजादी के बाद लिखा जाने वाला सबसे बड़ा उपन्यास माना गया। इसमें ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से लेकर 1947 तक की भारतीय समाज की सांस्कृतिक और दार्शनिक बुनियादों को समकालीन परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित किया गया था। इस उपन्यास के बारे में निदा फ़ाज़ली ने यहाँ तक कहा कि – ‘मोहम्मद अली जिन्ना ने हिन्दुस्तान के साढ़े चार हजार सालों की तारीख़ (इतिहास) में से मुसलमानों के 1200 सालों की तारीख़ को अलग करके पाकिस्तान बनाया था। क़ुर्रतुल ऎन हैदर ने नॉवल ‘आग़ का दरिया’ लिख कर उन अलग किए गए 1200 सालों को हिन्दुस्तान में जोड़ कर हिन्दुस्तान को फिर से एक कर दिया।’
तो हम बात कर रहे हैं ‘एनी आपा’ की।ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर ( 20 जनवरी 1926 – 21 अगस्त 2007) प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता ‘सज्जाद हैदर यलदरम’ उर्दू के जाने-माने लेखक होने के साथ-साथ ब्रिटिश शासन के राजदूत की हैसियत से अफगानिस्तान, तुर्की इत्यादि देशों में तैनात रहे थे और उनकी मां ‘नजर’ बिन्ते-बाकिर भी उर्दू की लेखिका थीं। वो बचपन से रईसी व पाश्चात्य संस्कृति में पली-बढ़ीं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा लालबाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश स्थित गाँधी स्कूल में प्राप्त की व तत्पश्चात अलीगढ़ से हाईस्कूल पास किया। लखनऊ के आई.टी. कालेज से बी.ए. व लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। फिर लन्दन के हीदरलेस आर्ट्स स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। विभाजन के समय 1947 में उनके भाई-बहन व रिश्तेदार पाकिस्तान पलायन कर गए। लखनऊ में अपने पिता की मौत के बाद कुर्रतुल ऐन हैदर भी अपने बड़े भाई मुस्तफा हैदर के साथ पाकिस्तान पलायन कर गयीं। लेकिन 1951 में वे लन्दन चली गयीं। वहाँ स्वतंत्र लेखक व पत्रकार के रूप में वह बीबीसी लन्दन से जुड़ीं तथा दि टेलीग्राफ की रिपोर्टर व इम्प्रिंट पत्रिका की प्रबन्ध सम्पादक भी रहीं। कुर्रतुल ऐन हैदर इलेस्ट्रेड वीकली की सम्पादकीय टीम में भी रहीं। 1956 में जब वे भारत भ्रमण पर आईं तो उनके पिताजी के अभिन्न मित्र मौलाना अबुल कलाम आजाद ने उनसे पूछा कि क्या वे भारत आना चाहतीं हैं? कुर्रतुल ऐन हैदर के हामी भरने पर उन्होंने इस दिशा में कोशिश करने की बात कही और अन्ततः वे वह लन्दन से आकर मुम्बई में रहने लगीं और तब से भारत में हीं रहीं। उन्होंने विवाह नहीं किया।
उन्होंने बहुत कम आयु में लिखना शुरू किया था। उन्होंने अपनी पहली कहानी मात्र छः वर्ष की अल्पायु में ही लिखी थी। ’बी चुहिया‘ उनकी प्रथम प्रकाशित कहानी थी। जब वह 17-18 वर्ष की थीं तब 1945 में उनकी कहानी का संकलन ‘शीशे का घर’ सामने आया। अगले ही वर्ष 19 वर्ष की आयु में उनका प्रथम उपन्यास ’मेरे भी सनमखाने‘ प्रकाशित हुआ। उन्होंने अपना कैरियर एक पत्रकार की हैसियत से शुरू किया लेकिन इसी दौरान वे लिखती भी रहीं और उनकी कहानियां, उपन्यास, अनुवाद, रिपोर्ताज़ वगैरह सामने आते रहे। वो उर्दू में लिखती और अँग्रेजी में पत्रकारिता करती थीं। उनके बहुत से उपन्यासों का अनुवाद अंग्रेजी और हिंदी भाषा में हो चुका है। साहित्य अकादमी में उर्दू सलाहकार बोर्ड की वे दो बार सदस्य भी रहीं। विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में वे जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय व अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अतिथि प्रोफेसर के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से भी जुड़ी रहीं। 21 अगस्त 2007 को सुबह तीन बजे दिल्ली के पास नोएडा के कैलाश अस्पताल में 81 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
उनके कहानी-संग्रह ‘सितारों से आगे’ (1947), ‘शीशे के घर’ (1952), पतझड़ की आवाज (1967), रोशनी की रफ्तार (1982), ‘कुर्रतुलऐन हैदर की श्रेष्ठ कहानियाँ ‘ (1997), ‘कुर्रतुलऐन हैदर और उनकी श्रेष्ठ कहानियाँ’ खूब सराहे गए। उनके उपन्यास ‘मेरे भी सनमखाने’ (1949), सफ़ीना-ए-ग़मे दिल (1952), आग का दरिया – मूल उर्दू में दिसम्बर 1959 में ‘मक्तबा जदीद’ से प्रकाशित। (हिन्दी अनुवादक- मोहम्मद मुग़नी अब्बासी, पुनरीक्षण एवं संशोधन- शमशेर बहादुर सिंह, किताब महल, इलाहाबाद से प्रकाशित। हिन्दी अनुवादक- नंदकिशोर विक्रम, इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, कृष्णा नगर, दिल्ली से प्रकाशित)। कार-ए-जहाँ दराज़ है (1978-79) (दो भागों में, अकाल्पनिक औपन्यासिक कथा; हिन्दी अनुवाद चार खंडों में, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित), आख़िरे-शब के हमसफ़र (1979) (हिन्दी अनुवाद निशान्त के सहयात्री नाम से भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से प्रकाशित), गर्दिशे-रंगे-चमन (1987) (हिन्दी अनुवाद इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, कृष्णा नगर, दिल्ली से प्रकाशित), चाँदनी बेगम (1990) (हिन्दी अनुवाद भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से प्रकाशित) आदि पाठकों की पसंद रहे।उपन्यासिका में सीता हरण, दिलरुबा, चाय के बाग़, अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो, हाउसिंग सोसायटी, कथेतर गद्य में क्लासिकल गायक बड़े ग़ुलाम अली खाँ की जीवनी (सह लिखित), छुटे असीर तो बदला हुआ ज़माना था (रिपोर्ताज़), कोह-ए-दमावंद (रिपोर्ताज़), गुलगश्ते जहाँ (रिपोर्ताज़), ख़िज़्र सोचता है (रिपोर्ताज़), सितम्बर का चाँद (रिपोर्ताज़), दकन सा नहीं ठार संसार में (रिपोर्ताज़), क़ैदख़ाने में तलातुम है कि हिंद आती है (रिपोर्ताज़), जहान ए दीगर (रिपोर्ताज़), अनुवाद में हमीं चराग़, हमी परवाने – हेनरी जेम्स के उपन्यास ‘पोर्ट्रेट ऑफ़ ए लेडी’ का अनुवाद, कलीसा में क़त्ल – अंग्रेज़ी नाटक ‘मर्डर इन द कैथेड्रल’ का अनुवाद, आदमी का मुक़द्दर (अनुवाद), आल्पस के गीत (अनुवाद), तलाश (अनुवाद), आग का दरिया (उनके अपने उर्दू उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद या ट्रांस्क्रिएशन) (1999) सभी एनी पापा को साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं।
एनी पापा को 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, उपन्यास ‘आख़िरी शब के हमसफ़र’ के लिए, 1984 में साहित्यिक योगदान के लिए पद्मश्री, 1984 में गालिब मोदी अवार्ड, 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार कहानी पतझड़ की आवाज के लिए, 1987 में इकबाल सम्मान,1989 में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, अनुवाद के लिये,1989 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1989 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
एनी पापा ने आग का दरिया लिखकर हिन्दुस्तान को वह 1200 साल लौटाए, जिन्हें जिन्ना ने मुसलमानों के 1200 सालों की तारीख़ को अलग करके पाकिस्तान बनाया था। ऐसी एनी पापा यानि कुर्रतुल ऐन हैदर का जन्म शताब्दी वर्ष आज यानि 20 जनवरी 1925 से शुरू हो रहा है। एनी पापा वास्तव में हिन्दुस्तान की धरोहर हैं। अलीगढ में जन्मी, लखनऊ में पली-बढ़ी, पाकिस्तान पलायन किया, पर लंदन होते हुए अंतिम समय तक उनका दिल हिन्दुस्तान में ही धड़कता रहा। और साहित्य के पन्नों में वह आज भी हिन्दुस्तान बनकर जिंदा हैं…।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।