देशभर में जारी कोरोना वायरस कहर के खिलाफ लड़ाई को झटका लगा है। वॉलेंटियर्स की तबियत बिगड़ने के बाद कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही यूके की कंपनी को अपना ट्रायल रोकना पड़ा है। यूके की एस्ट्रेजेनका नौ कंपनियों में शामिल हैं, जो वैक्सीन ट्रायल के तीसरे फेज में पहुंच गई है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार कर रही लंदन की फार्मा कंपनी एस्ट्रेजेनका को मंगलवार को अपने वैक्सीन का ट्रायल बीच में रोकना पड़ा है। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान अचानक से वॉलेंटियर की तबियत बिगड़ने के बाद कंपनी ने वैक्सीन ट्रायल को बीच में ही रोक दिया है। कंपनी ने इसे रुटीन ट्रायल बताते हुए वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल को बीच में रोकने की बात कही है।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘ऑक्सफोर्ड कोरोनावायरस वैक्सीन के रैंडमाइज्ड, नियंत्रित ग्लोबल ट्रायल के तहत हमारी मानक समीक्षा प्रक्रिया शुरू हुई है और हमने खुद फैसला लेते हुए वैक्सीनेशन पर रोक लगा दी है ताकि एक स्वतंत्र समिति सेफ्टी डेटा का आकलन कर सके.’ उन्होंने कहा, ‘यह एक रूटीन एक्शन है, जो तब उठाया जाता है जब किसी ट्रायल में किसी अनपेक्षित बीमारी के सामने आने की आशंका होती है. फिलहाल इसकी जांच हो रही है और हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि ट्रायल में विश्वसनीयता बनाए रखें.’
कंपनी की ओर से कहा गया कि बड़े स्तर पर किए जाने वाले ट्रायल्स में कोई बीमारी उभरने की संभावना होती है, लेकिन इसकी समीक्षा स्वतंत्र रूप से होनी चाहिए. हालांकि, यह साफ नहीं किया गया है कि वो मरीज़ कहां है, जिसमें वैक्सीनेशन के बाद कोई समस्या पैदा हुई है या फिर उसकी समस्या कितनी बड़ी है.
बता दें कि वैक्सीन ट्रायल के दौरान ऐसी घटना और ट्रायल को रोका जाना बहुत असामान्य नहीं है लेकिन कोविड-19 के वैक्सीन के ट्रायल में ऐसा पहली बार हुआ है. AstraZeneca उन नौ कंपनियों में से एक है, जिनकी वैक्सीन का ट्रायल बड़े स्तर पर हो रहा है और तीसरे चरण में चल रहा है. कंपनी ने US में 31 अगस्त को दर्जनों राज्यों में 30,000 वॉलंटियर्स कोृा ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन किया है.
इस वैक्सीन का नाम AZD1222 है और इसमें आम जुकाम से पैदा होने वाले adenovirus की इंजीनियरिंग करके इसमें नॉवेल कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन जोकि यह वायरस कोशिकाओं में घुसने के लिए इस्तेमाल करता है, को कोड किया गया है. वैक्सीनेशन के बाद शरीर में यह प्रोटीन बनने लगता है तो, इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे कि आगे के लिए कोरोनावायरस से इम्यूनिटी मिले.