जानिए बुखार उतार ने का ये अनोखा आयुर्वेदिक उपाए

क्या आपको पता है कि पीप्पली क्या चीज है? उम्मीद है कि आप इसके बारे में बिल्कुल नहीं जानते होंगे, क्योंकि अधिकांश लोगों को पिप्पली के बारे में जानकारी ही नहीं है कि पिप्पली क्या है, पिप्पली का उपयोग किस काम में किया जाता है, या पीपली के फायदे क्या-क्या हैं? पिप्पली के इस्तेमाल से आप एक-दो या तीन नहीं बल्कि अनेक रोगों का इलाज कर सकते हैं।

यहां पिप्पली के औषधीय गुण से होने वाले सभी लाभों की जानकारी दी जा रही है। इस जानकारी को पाकर आप ना सिर्फ कई रोगों की रोकथाम कर सकते हैं, बल्कि अनेक रोगों का इलाज भी कर सकते हैं। आइए पिप्पली के फायदे के बारे में जानते हैं।

पिप्पली क्या है?
पिप्पली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही आती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है। यह सुगन्धित होती है। इसकी जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और शयामले रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ेंगे तो यह अन्दर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है।

पिप्पली के पौधे में फूल बारिश के मौसम में खिलते हैं, और फल ठंड के मौसम में होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली (पीपली ) कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितना वजनदार व मोटा होता है, उतना ही अधिक गुणकारी माना जाता है। बाजार में जड़ के साथ-साथ गांठ आदि भी बेची जाती है।
कितने प्रकार के बुखार में उपयोगी?
-बुखार कई तरह का होता है। इनमें खांसी-जुकाम के कारण होनेवाला बुखार, किसी अन्य वजह से होनेवाला गंभीर बुखार और गर्भवती महिलाओं को होनेवाला बुखार। गर्भवती महिलाओं को होनेवाले बुखार को सूतिका ज्वर कहते हैं। इन सभी तरह के बुखार में पिप्पली बहुत अधिक लाभकारी होती है।
-पिप्पली के गुणों और प्रभावों के बारे में जानकर आपको इसलिए भी हैरानी हो सकती है क्योंकि आयुर्वेदिक तरीके से कोरोना ज्वार का निदान ढूंढनेवाले चिकित्सकों को इस दिशा में भी पिप्पली ने निराश नहीं किया है। फिलहाल आयुर्वेदिक तरीके से कोरोना से मुक्ति पाने की दिशा में शोधकार्य जारी है।

लगभग हर तरह के बुखार को खत्म कर देती है पिप्पली

किस प्रकार करें पिप्पली का उपयोग?
-ज्वर उतारने के लिए आप तीन ग्राम पिप्पली जड़ के चूर्ण को 5 ग्राम शहद और करीब 2 ग्राम शुद्ध देसी घी में मिलाकर, दिन के तीनों प्रहर में इसका सेवन करें। इसे चाटकर खाने पर अधिक और शीघ्र लाभ मिलता है। खासतौर पर यदि किसी व्यक्ति को खांसी और जुकाम के साथ बुखार हो तो यह गले के दर्द इत्यादि से राहत दिलाने में बहुत अधिक प्रभावी है।

-इस तरह पिप्पली जड़ चूर्ण का सेवन करने के बाद आप गाय के दूध का सेवन करें। यदि तीनों समय गाय के दूध का सेवन संभव ना हो तो कम से कम सुबह और शाम के समय इस तरह पिप्पली चूर्ण खाने के बाद गाय का दूध जरूर पिएं। बेहतर होगा यदि आप गाय के दूध का उपयोग शहद मिलाकर करेंगे। ध्यान रखें शहद मिलाते समय दूध बहुत तेज गर्म नहीं होना चाहिए।

-यदि आपको पिप्पली चूर्ण चाटकर खाने में समस्या हो तो आप घर पर इसका देसी टॉनिक भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आपको 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण एक गिलास (सामान्य आकार) पानी में उबालना है। जब यह पानी पकते-पकते गिलास का 1/4 रह जाए तब आप इस पानी को छान लें। हल्का ठंडा होने पर इसमें शहद मिलाएं और फिर घूंट-घूंट करके पी लें। यह खांसी, जुकाम, बुखार, गले में दर्द, खराश आदि सभी समस्याओं से आपको मुक्ति दिलाएगा।

सही मात्रा में पिप्पली का सेवन है जरूरी

इतना ध्यान रखें
-हर औषधि का सेवन एक निश्चित और सीमित मात्रा में करने पर ही लाभ देता है। इसी तरह यदि आप पिप्पली चूर्ण की ओवरडोज लेंगे तो यह शरीर में पित्त बढ़ाने का काम करेगी। साथ ही खांसी से राहत दिलानेवाली पिप्पली को यदि आवश्यकता से अधिक मात्रा में ले लिया जाए तो यह खांसी बढ़ाने का काम करती है।

-इसलिए बेहतर यही होगा कि घर पर इस तरह उपचार करते समय एक बार अच्छे वैद्य और आयुर्वेदिक डॉक्टर से इसकी सही मात्रा नापना सीख लें। उन्हें यह भी बताएं कि आप इसका सेवन क्यों करना चाहते हैं, ताकि आपकी स्थिति को देखते हुए चिकित्सक आपको यह बता सकें कि आपको पिप्पली का सेवन कितने दिनों तक करना है।

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