यदि ऐसा हुआ, तो श्रीमंत तुम्हारा क्या होगा..!

यदि ऐसा हुआ, तो श्रीमंत तुम्हारा क्या होगा..!
—————————————————–
भोपाल (महेश दीक्षित)। मध्यप्रदेश की 26 विधानसभा सीटों पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं। इनमें से 22 सीटों पर श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के दरबारियों (समर्थक) का बतौर भाजपा प्रत्याशी चुनाव लड़ा जाना सुनिश्चित है। इन विधानसभा अंचलों से अभी जनता की जो एकराय सामने आ रही है, उसके अनुसार उपचुनाव में भाजपा और श्रीमंत दोनों को गहरा सदमा लग सकता है। जिन दो वजहों से उपचुनाव में श्रीमंतियों की जीत आसान नहीं दिख रही है, उनमें एक- गद्दार के दाग से इनकी फजीहत हो रही है। दूसरा- स्थानीय भाजपा नेताओं को श्रीमंत के ये दरबारी फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं। उन्होंने श्रीमंतियों को हराने की अंदरूनी तौर पर पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर रखी है। ऐसे में सवाल है कि, यदि भाजपा ये सभी 22 सीटें हार जाती है, तो श्रीमंत तुम्हारा क्या होगा…?

सिंधिया समर्थक उपचुनाव में जिन 22 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी होंगे, हाल ही में हमने उन अंचलों की जनता की अलग-लग राय जानी। इसमें हमने जनता से सीधे-सीधे यही सवाल किया कि, उपचुनाव में क्या स्थितियां-परिस्थियां बनने वाली हैं…क्या श्रीमंत समर्थक उपचुनाव में जीत पाएंगे…? तो इन अंचलों में जनता की जो एकराय सामने आ रही…और जो चुनावी परिदृश्य उभर रहा है, वो यह कि, लोगों में श्रीमंत और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़ने से उतनी नाराजगी नहीं है, जितनी नाराजगी उन्हें इस बात से है कि, जिन्हें उन्होंने अपना बहुमूल्य वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि चुना। विधायक बनाया। वह श्रीमंत के मोहपाश में कुछ करोड़ रुपए की खातिर बिक गये।
हम बता दें कि, दबी जुबान से लोग इन श्रीमंत समर्थकों पर आरोप जड़ रहे हैं कि, इन्हें अच्छी भली चलती हुई कमलनाथ सरकार गिराने और शिवराज सरकार बनवाने के बदले प्रत्येक को 35-35 करोड़ रुपए मिले ह़ैं। हालांकि किसने ये लेनदेन किया और कब-कहां इन श्रीमंतियों और लोकतंत्र की बोली लगाई गई थी, अब तक इसके कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आए हैं। लेकिन लोग तो यही मान रहे हैं कि, इन श्रीमंतियों ने उन्हें धोखा दिया है। उनके वोट का अपमान किया है।

यही वजह है कि, कांग्रेस जहां-तहां श्रीमंत और श्रीमंतियों (भाजपा प्रत्याशी के दावेदार) को गद्दार कहकर प्रचारित कर रही है। उसने तो उपचुनाव में महाराज गद्दार है, को अपना नारा और मुद्दा ही बना लिया है। मेहगांव के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्यागी कहते हैं कि, भाजपा में जाने के बाद महाराज का जो प्रभाव कम हुआ है, उसकी बड़ी वजह महाराज गद्दार हैं- का नारा है। वर्ना महाराज जब तक कांग्रेस में रहे, मजाल ग्वालियर-चंबल संभाग में उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी खड़क जाए। सभी सीटों पर गद्दार का नारा, काली छाया की तरह श्रीमंत और उनके समर्थक संभावित भाजपा प्रत्याशियों का पीछा कर रहा है।


नाराज भाजपा नेता इन्हें जीतने नहीं देंगे

इन सभी 22 सीटों पर श्रीमंत समर्थकों को चुनाव लडा़ए जाने से स्थानीय भाजपा नेताओं में अंदरूनी तौर पर बेहद नाराजगी है। ये नाराजगी पिछले पांच महीनों में अलग-अलग स्तर पर कई बार सामने भी आ चुकी है। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार कह रहे हैं कि, जो नेता नाराज थे, उन्हें समझा-बुझा लिया गया है। अब कहीं कोई नाराजगी नहीं है। सतही तौर पर तो सब कुछ शांत भी दिखाई दे रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि, अंदरूनी तौर ये स्थानीय अंसतुष्ट नेता इंतजार कर रहे हैं कि, कब उपचुनाव हों और कैसे इन श्रीमंतियों को निपटाया (हराया) जाए। इन अंसतुष्टों ने श्रीमंतियों को कैसे निपटाना है, इसकी पूरी स्क्रिप्ट भी तैयार कर रखी है।
—–

इसलिए हराएंगे श्रीमंतियों को

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, यूं भाजपा श्रीमंत समर्थक प्रत्याशिय़ों को जिताने की हर रणनीति पर काम रही है। लेकिन वो स्थानीय भाजपा नेता, जिन्होंने पूरी उम्र पार्टी को खड़ा करने और इन्हीं श्रीमंतियों के खिलाफ संघर्ष में खपा दी, कतई नहीं चाहेंगे कि, ये श्रीमंत समर्थक चुनाव जीतें। क्योंकि ये जीत गए, तो उनका तो पूरा राजनीतिक करियर ही चौपट हो जाएगा। इसलिए तय है उपचुनाव में जीत के लिए इन श्रीमंत समर्थकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस नहीं, भाजपा के असंतुष्ट नेता होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *