संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रविवार को महाकुंभ स्नान के बाद एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह महाकुंभ में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बड़ा संदेश लेकर आए हैं।
उनके मुताबिक, हिंदुओं को जागरुक करना ही इस मुहिम की शुरुआत है, क्योंकि उनका मानना है, “हिंदू जगेगा, तभी हिंदुस्तान बचेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज में कई विकार आ चुकी हैं और उन पर महाकुंभ में एक सम्मेलन कर चर्चा की जाएगी।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी पर आपत्ति
बता दें कि, एक न्यूज चैनल से बातचीत में धीरेंद्र शास्त्री ने महाकुंभ में फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि, यह पदवी किसी प्रभाव के तहत नहीं, बल्कि उस व्यक्ति को दी जानी चाहिए जिसके अंदर संत या साध्वी का भाव हो। शास्त्री ने व्यंग्य करते हुए कहा कि वह खुद आज तक महामंडलेश्वर नहीं बन पाए, तो किसी और को कैसे यह पदवी दी जा सकती है।
महाकुंभ में अपनी उपस्थिति और भविष्य की योजना
महाकुंभ में अपने अनुभव को साझा करते हुए शास्त्री ने कहा कि यहां आकर उन्हें एक दिव्य अनुभूति हो रही है। 30 जनवरी को परमार्थ निकेतन में हिंदू समाज की कमियों पर चर्चा के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा, 27 से 29 जनवरी तक वह महाकुंभ में कथा सुनाएंगे।
29 जनवरी को मौनी अमावस्या के मौके पर अमृत स्नान करेंगे और 30 जनवरी को सम्मेलन भी करेंगे। उन्होंने 27 जनवरी को होने वाली धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन पर चर्चा की जानकारी दी और कहा कि भारत जल्द ही हिंदू राष्ट्र बनेगा।
FAQ
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महाकुंभ में क्या संदेश दिया?
उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संदेश दिया और हिंदू समाज को जागरुक करने की बात की।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर शास्त्री ने क्या कहा?
शास्त्री ने ममता को यह पदवी देने पर नाराजगी जताई और कहा कि यह पदवी केवल संत या साध्वी को दी जानी चाहिए।
महाकुंभ में धीरेंद्र शास्त्री की आगे की योजनाएं क्या हैं?
30 जनवरी को परमार्थ निकेतन में हिंदू समाज की कमियों पर सम्मेलन करेंगे और 27-29 जनवरी तक कथा सुनाएंगे।
धीरेंद्र शास्त्री महाकुंभ में कितने दिन रहेंगे?
वह महाकुंभ में 5 दिनों तक रहेंगे।
धीरेंद्र शास्त्री ने महाकुंभ में किस तरह की अनुभूति की?
शास्त्री ने महाकुंभ में पहुंचकर एक दिव्य अनुभूति का अनुभव किया।