?दीपावली 2020?
दिवाली या दीपावली हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह 5 दिवसीय पर्व है , जो धनतेरस से भाई दूज 5 दिनों तक चलता है। दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता पर्व है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन करने का विधान है। वर्ष 2020 में दिवाली पर्व 14 नबंवर 2020, शनिवार को मनाया जाएगा।
5 दिवसीय पर्व इस प्रकार रहेंगे –
1 . 12 नवंबर 2020, गुरुवार , गोवत्स द्वादशी , वसु बरस।
2 . 13 नवंबर 2020 , शुक्रवार को धनतेरस, धन्वंतरि त्रयोदशी , यम दीपदान , काली चौदस, हनुमान पूजा।
3 . 14 नवंबर 2020, शनिवार को नरक चतुर्दशी, दिवाली , महालक्ष्मी पूजन।
4 . 15 नवंबर 2020, रविवार को गोवर्धन पूजा , अन्नकूट, बलि प्रतिपदा।
5 . 16 नवंबर 2020, सोमवार को प्रतिपदा , यम द्वितिया , भैया दूज, भाईदूज। 5 दिवसीय पर्व की समाप्ति।
आइए जानें 10 काम की बातें . . .
* लक्ष्मी पूजन की अन्य सामग्री में गन्ना , कमल गट्टा , खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र , पंचामृत , गंगाजल , ऊन का आसन , रत्न आभूषण , गाय का गोबर , सिंदूर , भोजपत्र का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
* माताजी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल , सीताफल , बेर , अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं।
* सुगंध में केवड़ा , गुलाब , चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें।
* अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में शुद्ध घी से बनी केसर की मिठाई या हलवा आदि नैवेद्य में अवश्य रखें।
* व्यावसायिक प्रतिष्ठान , गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें।
* लक्ष्मी पूजन रात के 12 बजे करने का विशेष महत्व है।
* धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो दीयों के प्रकाश के लिए गाय का घी , मूंगफली या तिल्ली का तेल का प्रयोग करने से माता शीघ्र ही प्रसन्न होती है।
* रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरांत चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा , सिल तथा छाज ( सूप ) पर तिलक करें।
* दीपकों का काजल सभी स्त्री – पुरुष आंखों में लगाएं।
* दीपावली के दूसरे दिन प्रातःकाल 4 बजे उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाते समय ‘ लक्ष्मी – लक्ष्मी आओ , दरिद्र – दरिद्र जाओ’ कहने की मान्यता है। इससे घर का दारिद्रय दूर होता है।