बैंकों को लगाया करोड़ों का चूना

नयी दिल्ली, 17 अगस्त सीबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के समूह से कथित तौर पर 1530 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के संबंध में लुधियाना की एसईएल टेक्सटाइल लिमिटेड (एसईएलटी) और इसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि सीबीआई की प्राथमिकी में कंपनी के निदेशकों- राम शरण सलूजा, नीरज सलूजा और धीरज सलूजा के नाम हैं। साथ ही कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने लुधनिया में आरोपी निदेशकों के कार्यालय और आवासों की तलाशी ली. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर कार्रवाई की. बैंक ने आरोप लगाया था कि कंपनी और उसके निदेशकों ने बैंकों के साथ धोखाधड़ी के लिए आपराधिक साजिश रची और 2009-13 के बीच ऋण के धन का दूसरे काम में उपयोग किया और इस तरह समूह में शामिल सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को 1,530 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.

पिछले साल सीबीआई ने एसईएलटी की मूल कंपनी एसईएल मैन्यूफैक्चरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 113 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने को लेकर मामला दर्ज किया था. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने आरेाप लगाया है कि कंपनी ने धन की हेराफेरी के लिए ‘संबंधित कंपनियों’ का इस्तेममाल किया. अपनी शिकायत में इस बैंक ने उन कंपनियों की सूची दी जिनके एसईएलटी में बड़े कारोबारी विनिमय हैं. उनमें एक ऐसी भी कंपनी है जिसका नाम पनामा पेपर्स लीक में सामने आने का संदेह है. बैंक की शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है. बैंक ने कहा कि कहा कि ये ‘‘वास्तविक कारोबारी विनिमय नहीं थे.”

इसने कहा कि राम शरण सलूजा और नीरज सलूजा भारत में रहते हैं जबकि धीरज कंपनी का विदेश का कारोबार देखता है और विदेश में रहता है. केंद्रीय जांच ब्यूरो से आरोपियों के पासपोर्ट जब्त करने का अनुरोध किया गया है ताकि वे देश से बाहर नहीं जाएं . उन्होंने बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने खाते को गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया था और बाद में अन्य बैंकों ने भी यही किया.

बैंकों द्वारा विशेष ऑडिट कराए जाने के दौरान कंपनी ने कर्ज पुनर्गठन (सीडीआर) की मांग की थी. उन्होंने बताया कि ऑडिट के दौरान एसईएलटी की तरफ से कुछ अनियमितताएं मिली थीं लेकिन कंपनी ने ऑडिटरों को कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं नहीं दीं जिसके कारण वे अधिकतर ब्योरे का सत्यापन नहीं कर पाए.

बैंक ने आरोप लगाया कि इसके बाद सीडीआर पैकेज से भी कंपनी की माली हालत में सुधार नहीं हुआ.प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि एनपीए घोषित करने के बाद बैंकों ने फॉरेंसिक जांच करायी जिससे बड़े पैमाने पर कर्ज के धन से हेराफेरी का पता चला.

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