सुकर्णो से सुवियांतो और डॉ. राजेंद्र प्रसाद से द्रोपदी मुर्मू तक…मजबूत होता भारत का गणतंत्र… कौशल किशोर चतुर्वेदी

सुकर्णो से सुवियांतो और डॉ. राजेंद्र प्रसाद से द्रोपदी मुर्मू तक…मजबूत होता भारत का गणतंत्र…

गणतंत्र दिवस के 75 साल पूरे होने पर यह संयोग ही रहा है कि पूरे साल बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान की चर्चा होती रही। और यह भी संयोग ही है कि पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति थे और अब गणतंत्र दिवस के 75 साल पूरे होने पर 76 वें गणतंत्र दिवस पर भी मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति हैं। अगर संयोग में भिन्नता है तो वह यह है कि पहले गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति कांग्रेस समर्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जो कि संविधान सभा के अध्यक्ष रहे थे। तो 75 साल पूरा होने पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू हैं, जो भाजपा-एनडीए समर्थित हैं। तो इसी तरह पहले गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री कांग्रेस नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू थे और अब भाजपा नेता नरेंद्र मोदी हैं। पर यह बात सर्वमान्य है कि 75 साल के गणतंत्र में राजनैतिक बदलाव कुछ भी रहे हों और राजनीति में मतभिन्नता किसी भी हद तक पहुंच गई हो, पर भारत का गणतंत्र मजबूत हुआ है। और गणतंत्र की मजबूती का प्रमाण ही है कि आज अमेरिका से रूस तक और आर्कटिक से अटलांटिक तक भारत के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

गणतंत्र दिवस परेड 2025 में झांकी की थीम ” स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास ” तय की गई है। और यह विरासत के साथ विकास की गूंज भाजपा शासित राज्यों में भी है, इसमें मध्यप्रदेश प्रमुख है। और इंडोनेशिया भी भारतीय संस्कृति और विरासत के करीब है, इसीलिए पहले गणतंत्र दिवस पर 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे। और 2025 में गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशियन राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो मुख्य अतिथि हैं। गणतंत्र दिवस के बारे में बात करें तो गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि 26 जनवरी 1950 को पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगा कर बनाया गया संविधान लागू किया गया था और हमारे देश भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था, जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का दर्जा प्रदान नहीं करेगी, तब भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का सक्रिय आंदोलन आरंभ किया जाएगा। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1946 से आरंभ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपुर्द किया, इसलिए 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।

तो साल 1950 में इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। सबसे पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ही भारत ने अपने पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाया था। तब जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। यह परंपरा भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक संबंंधो को जाहिर करने का एक तरीका होता है। यह हर साल तय किया जाता है कि कौन इस बार भारत का मुख्य अतिथि बनेगा। गणतंत्र दिवस 2025 के खास मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भारत ने अपना मुख्य अतिथि बनाया है। प्रबोवो सुबियांतो राजकीय मेहमान होंगे। सन 1950 के बाद यह चौथा अवसर होगा जब इंडोनेशिया का राष्ट्रपति भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आ रहा है।सुबियांतो की यह पहली भारत यात्रा है।उनका आतिथ्य यह प्रमाणित कर रहा है कि भारत और इंडोनेशिया के बीच काफी पुराना रिश्ता है।राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ध्वजारोहण करेंगी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित गणमान्य नागरिक इस अवसर के साक्षी बनेंगे। गणतंत्र यही गवाही दे रहा है कि 75 साल में हम और अधिक मजबूत होकर विश्व गुरू बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। और 2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

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