इंदौर बावड़ी हादसा, दो साल बाद भी लोगों के जेहन में हादसे की यादें – जानिए पीड़ितों का दर्द और आपबीती… देखे VIDEO

इंदौर में 2 साल पहले हुए बावड़ी हादसे की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। 30 मार्च 2023 को नवरात्रि के दौरान 40 साल पुराना स्लैब टूट गया था। इस पर हवन कर रहे 100 से ज्यादा लोगों में से 36 की मौत हो गई थी।

परिवार के 4 लोगों को इस हादसे में खो चुके लक्ष्मीकांत पटेल अब घर में अकेले पड़ गए हैं। कहा- अपने आप को कोसता रहता हूं। मैंने उन्हें क्यों जाने दिया। हादसे में पटेल की छोटी बहू, चाची और पत्नी की भी मौत हुई थी।

वे आगे कहते हैं, कोई 40-50 साल पहले होलकर कालीन बावड़ी पर स्लैब डाला गया था। इसके बाद ढाई फीट की दीवार बना दी। मैं यहां 1970 से रह रहा हूं। बावड़ी के आसपास जितने भी मकान बने हैं, वे यहीं के पानी से बने हैं।

इंदौर के बावड़ी हादसे में 36 की मौत हो गई थी।

हम तो उसी परिसर में दूसरा मंदिर बनवाना चाहते थे। लेकिन, निगम के एक नोटिस के कारण काम रोकना पड़ा। इस बीच नवरात्रि आ गई और मंदिर में हवन का कार्यक्रम रखा गया। बस तभी यह हादसा हो गया।

इधर, मामले के बाद जिन अफसरों को सस्पेंड किया गया था, उन्हें बहाल कर दिया गया। साथ ही हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है। एक पीआईएल भी लगी है, जिस पर अगले महीने सुनवाई होना बाकी है। आइए जानते हैं क्या था पूरा घटनाक्रम…

जहां हादसा हुआ वह अब इस स्थिति में है।

परिजन बोले- हमेशा इस बात का दुख रहेगा बावड़ी हादसे में अपने बड़े भाई और भतीजे को खोने वाले महेश गुलानी ने कहते हैं कि उस दिन को हम कभी नहीं भूल सकते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे हादसा आज ही हुआ हो। इस हादसे में मैंने भाई और भतीजों को खोया है।

उनकी याद में आज भी परिवार का माहौल गमगीन हो जाता है। रामनवमीं के दिन भैया वहां पर हवन में बैठे थे, इसलिए वह मेरा फोन नहीं उठा रहे थे। हमेशा इस बात का दुख रहेगा कि काश वे फोन उठा लेते।

पिता सुनील सोलंकी को खोने वाले 29 वर्षीय सात्विक कहते हैं करियर बनाने पढ़ाई में लगा था, लेकिन हादसे ने जिंदगी बदल दी। हादसे के बाद बावड़ी से सबसे आखिरी में पिता का शव निकाला जा सका था। मां अर्चना आज भी बदहवास हैं। हादसे के बाद वह टूट गई हैं। तकलीफें बयां नहीं कर सकते।

पति सुरेश गोलानी और बेटे लोकेश को खोने वाली माया की हालत भी ठीक नहीं है। भतीजे छवि ने बताया हादसे में बड़े पापा और भाई को खो दिया। बड़े पापा परिवार की हिम्मत थे। बड़ी मां के हाथ-पैर में फ्रैक्चर था। एक महीने तक पति और बेटे की मौत की जानकारी उन्हें नहीं दी गई।

राकेश बम्बानी कहते हैं कि हादसे ने मेरी लाड़ली बेटी महक और पत्नी मुस्कान को छीन लिया। दोनों ही मेरी जिंदगी थे। इनके बगैर सालभर में कैसे जिया, बयां नहीं कर सकता। परिवार का संबल है, इसलिए हिम्मत है अन्यथा हादसे में परिवार ऐसा उजड़ जाएगा, ये नहीं सोचा था। इस बारे में ज्यादा बात करना भी ठीक नहीं लगता। इसलिए मुझे कुछ नहीं कहना।

हादसे में इन 36 लोगों की मौत हो गई।

पहले जानिए, क्या था बेलेश्वर बावड़ी हादसा

30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन सपना संगीता रोड स्थित बेलेश्वर मंदिर में माता जी के सामने हवन कराया जा रहा था। माता जी की मूर्ति जहां पर विराजमान थीं उसके ठीक सामने ही हवन किया जाना था। यहां पर स्लैब डालकर बावड़ी को बंद किया गया था। हवन कुंड की गर्मी और लोगों की भीड़ से स्लैब टूट गया। लोग बावड़ी के अंदर गिर गए।

कई लोग सीढ़ियों और रस्सियों के सहारे बाहर निकाल लिए गए। लेकिन, बावड़ी में पानी और कीचड़ था जिसमें फंसकर 36 लोगों की जान चली गई। सेना की मदद से 24 घंटे चले अभियान के दौरान शव निकाले जा सके थे।

बावड़ी में 10-15 फीट गंदा पानी था। यहां कीचड़, बदबू थी। देर रात को रहवासियों ने बताया कि 23-24 लोग नहीं मिल रहे हैं। फिर सुबह 4.30 बजे तक 35 शव निकले। अंतिम शव 31 मार्च को सुबह साढ़े ग्यारह बजे निकला जो सुनील सोलंकी का था। वे वहां लोगों के बचाने में लगे थे। इसके बाद बावड़ी को सील कर दिया गया। बावड़ी करीब 60 फीट गहरी थी।

बता दें कि घटना करीब 11.45 बजे हुई। कलेक्टर और पुलिस आयुक्त मौके पर 12.15 बजे पहुंच गए थे। वहीं, एसडीआरफ को 12 बजकर 2 मिनट पर सूचना दी गई। वह भी 12.15 बजे मौके पर पहुंच गई और रेस्क्यू शुरू हुआ। शाम 6 बजे को एनडीआरएफ की टीम आई और रात 9 बजे महू से आर्मी भी आ गई थी।

ऊपर यह तस्वीर 30 मार्च 2023 की सुबह मंदिर में हितांश खानचंदानी की थी। इस हादसे में उसकी मौत हो गई थी। देर रात डेढ़ साल के हितांश का शव लेकर एम्बुलेंस अस्पताल पहुंची तो शव देखकर पिता प्रेमचंद खानचंदानी उससे लिपट गए थे तब यह दृश्य देखकर हर कोई सिहर उठा था।

कौन हैं हादसे के जिम्मेदार?

  • निगम के अधिकारियों के सर्वे में मंदिर में कहीं पर बावड़ी नहीं थी। निगम के तत्कालीन और वर्तमान जोनल अधिकारी व जल यंत्रालय विभाग के तत्कालीन व वर्तमान अधिकारी इसके लिए दोषी हैं। पुलिस ने कार्रवाई शुरू की, लेकिन निगम अफसरों को पूछताछ के लिए तलब ही नहीं किया। अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
  • तत्कालीन जोनल अधिकारी अतीक खान के साथ ही भवन अधिकारी पीआर आरोलिया, भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी के बयान भी हुए थे। खान ने कहा कि कोई बावड़ी नहीं थी। पटवारी ने भी कहा कि इस सर्वे नंबर पर कोई बावड़ी, कुआं दर्ज नहीं है।
  • मजिस्ट्रियल जांच में मंदिर ट्रस्ट और निगम के अफसरों को जिम्मेदारों माना गया था, लेकिन अब तक किसी पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। बेलेश्वर मंदिर में कोई बावड़ी नहीं है, ऐसा बताने वाले जोनल अफसर और पटवारी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
  • मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी मंदिर के संचालन व उसमें होने वाले कार्यक्रमों को देखते थे। इन्होंने मंदिर के पटल व अन्य जगह बावड़ी को लेकर कोई बोर्ड नहीं लगाए। इन्हें गिरफ्तार कर लिया है। इनकी बेल रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो चुकी है।
  • मंदिर ट्रस्ट के गलानी ने बयान में कहा कि मंदिर ट्रस्ट को निर्माण के दौरान बेवजह नोटिस दिए। हम बावड़ी का जीर्णोद्धार कर पेयजल की व्यवस्था करना चाहते थे। लेकिन, निगम ने नोटिस देकर रोक दिया। वहीं, निगम अफसर बोले- हमने वरिष्ठों को बता दिया था।

पार्षद बोले- जैसा कोर्ट का फैसला होगा वैसे काम करेंगे

वार्ड 63 के पार्षद मृदुल अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में न्यायालय में इस मामले का केस पेंडिंग है। न्यायालय का जो भी फैसला आएगा उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। वहीं, अधिवक्ता मनीष यादव ने बताया कि हाईकोर्ट ने दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही के लिए कहा था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। हमने अवमानना की पीआईएल लगाई है। इसकी सुनवाई अप्रैल माह में होगी।

पुलिस हिरासत में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी।

जिन पर कार्रवाई होनी थी वे बहाल हो गए

हादसे की मजिस्ट्रियल जांच में भी यह सामने आया था कि निगम के अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही बरती है। जिसके बाद संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही स्टाफ की कमी का कारण बताकर उन अधिकारियों को बहाल कर दिया गया।

निगम अधिकारियों को बहाल करने के साथ ही अधिकारियों को एक से ज्यादा जिम्मेदारी दे दी गई। किसी को 2 से 3 जोन का अधिकारी बना दिया तो किसी को जोन अधिकारी के साथ ही भवन अधिकारी का भी प्रभार दे दिया गया। हादसे के बाद जोनल अधिकारी अतीक खान के साथ ही भवन अधिकारी पीआर आरोलिया, भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को सस्पेंड किया गया था।

यह एक सवाल अभी तक अधूरा

बावड़ी हादसे को लेकर रहवासियों का कहना है कि यह हादसा होने के बाद निगम अधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि यहां पर कोई बावड़ी नहीं थी। पटवारी ने भी कहा कि इस सर्वे नंबर पर कोई बावड़ी, कुआं दर्ज नहीं है।

जब निगम और प्रशासन के अनुसार यहां पर कोई बावड़ी नहीं थी तो फिर हर साल निगम और प्रशासन यह पत्राचार क्यों करता था कि यहां मौजूद बावड़ी को खुलवाई जाए ताकी गर्मी में जरूरत के हिसाब से पेयजल का यहां से वितरण हो सकें।

वहीं, यहां पर बन रहा निर्माणाधीन मंदिर अवैध था तो सिर्फ उसे जमींदोज करना था। पुराने मंदिर को क्यों तोड़ा गया। परिसर में पुरानी बावड़ी थी। निगम ने कभी उसे खोलने का प्रयास नहीं किया। हादसे के बाद जांच के बगैर उसे बंद क्यों कर दिया गया।

जिस निर्माणाधीन मंदिर को अवैध बताकर तोड़ा गया, उसका निर्माण कम से कम डेढ़ वर्ष से चल रहा था। निगम ने इसे रुकवाने के लिए कभी प्रयास नहीं किया।

अब भी आपदा प्रबंधन में सुधार नहीं

इंदौर बावड़ी हादसे को दो साल हो गए है। लेकिन इंदौर का आपदा प्रबंधन अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाया है। फायर ब्रिगेड के पास खुद की रेस्क्यू टीम नहीं है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एनडीआरएफ पर निर्भर रहना पड़ता है। ऑक्सीजन मॉक्स, हेलमेट, गम बूट, डंगरी और फायर सूट जैसे संसाधनों का अभाव है। जो हैं वे खस्ता हाल हैं। वर्षों से नई खरीदी नहीं हुई है। गहराई में उतरने, अंधेरे में रेस्क्यू करने और लोगों को निकालने के लिए हाइड्रोलिक क्रेन नहीं है। व्यवस्था पुराने रस्से व रस्सियों के भरोसे है।

बड़ी आगजनी में ऊंचाई तक पहुंचने और लंबी दूरी तक पानी फेंकने के लिए नए फायर टेंडर मशीनें, होजिंग पाइप नहीं हैं। बड़ी घटनाओं में एयरपोर्ट से फायर वाहन मंगवाने पड़ते हैं। फायर विभाग में 230 लोगों का सुरक्षा बल है। इसमें एडीजी से काॅन्स्टेबल भी शामिल हैं।

करीब 35 लाख लोगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ 120 का बल है। 29 हजार लोगों पर 1 फायर सुरक्षाकर्मी का औसत है। फायर टेंडर वाहनों के प्रेशर पंप कमजोर पड़ गए हैं।

बावड़ी का फर्श वाला ऊपरी हिस्सा ढहा? फिर कैसे लोग गिरे? रेस्क्यू कैसे किया? कब-कब कितनी लाशें निकलीं? सब कुछ सिलसिलेवार…

इंदौर मंदिर हादसा
60 साल पहले बना श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर

बावड़ी के ऊपर बिछे स्लैब के ऊपर खड़े थे लोग

गाद और पानी में फंस गए लोग

बचाने वालों को भी था खतरा फिर भी कोशिश करते रहे लोग

एक घंटे बाद पुलिस और नगर निगम की टीम पहुंची

नगर निगम की टीम के पास नहीं थे संसाधन

15 लोगों की मिसिंग लिस्ट के बाद आर्मी को बुलाया

आखिरी लाश करीब 25 घंटे बाद निकाली

बावड़ी को बंद किया, मंदिर का अवैध निर्माण ढहाया

 

 

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