इंदौर क्राइम ब्रांच ने ऑनलाइन ठगी के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए मास्टरमाइंड शुभम नामदेव के भाई अमन नामदेव और उसके साथी कुलदीप को गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉ. मोहन सोनी के साथ हुई 3 करोड़ से ज्यादा की ठगी में शामिल थे।
क्राइम ब्रांच की टीम इस मामले में पहले ही आनंद पहाड़िया (निवासी हवा बंगला, द्वारकापुरी), मोहित भांवसार (निवासी एरोड्रम), मोहम्मद रेहान (निवासी उज्जैन), शाहरुख कुरैशी और एजाज खान को गिरफ्तार कर चुकी है। इन सभी के बैंक खातों में ठगी की राशि ट्रांसफर हुई थी।
आनंद पहाड़िया से पूछताछ के दौरान शुभम नामदेव और उसके भाई अमन के नाम सामने आए थे। क्राइम ब्रांच पिछले एक साल से इस गिरोह की जांच कर रही थी, जिसमें पता चला कि ऑनलाइन ठगी के लिए शुभम और अमन बैंक खाते उपलब्ध कराते थे।
फेक ट्रेडिंग कंपनी
इसकी शुरुआत 9 अगस्त 2024 को फेसबुक के माध्यम से हुई थी। इसके बाद आरती उर्फ आरु भट्ट ने कॉल लगाए और एक लिंक भेज कर डॉक्टर का वेब बुल ट्रेडिंग कंपनी में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा दिया। डॉक्टर ने ऑनलाइन निवेश शुरू किया और उनके नाम से बने वालेट में चार गुना राशि नजर आने लगी।
ठगी के बहाने:
- ₹55 लाख – इनकम टैक्स के नाम पर
- ₹30 लाख – ग्रीन चैनल खोलने के लिए
- ₹17.81 लाख – डिजिटल करेंसी सिक्योरिटी के नाम पर
- ₹25 लाख – ब्लॉक चेन इंश्योरेंस के नाम पर
- ₹1.5 करोड़ – दोस्तों से उधार लेने को मजबूर किया
- कुल 66 ट्रांजेक्शनों में 3.08 करोड़ रुपए ठग लिए गए।
क्राइम ब्रांच ने शुभम का नाम आते ही मामला दबा दिया था
जांच के दौरान शुभम नामदेव का नाम सामने आने के बाद क्राइम ब्रांच ने मामले को दबा दिया था। करीब एक महीने पहले इसी ठगी से जुड़े वकील रोहिताष पांडे ने पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह से शुभम नामदेव, अमन नामदेव, अभि पांचाल, विशाल पटेल और कृष्णकांत के खिलाफ नामजद शिकायत की थी।
इसके बाद पुलिस ने दोबारा जांच शुरू की और फिर से आरोपियों की जानकारी जुटाई गई। इस दौरान शुभम के भाई अमन और उसके साथी कुलदीप को गिरफ्तार किया गया।
नेपाल भागने की अफवाह, लेकिन इंदौर में ही घूमता रहा
जब शुभम का नाम जांच में खुला तो नेपाल भागने की अफवाह फैलाई गई, लेकिन वह इंदौर में ही छिपा रहा। शनिवार को उसके भाई अमन के पकड़े जाने के बाद वह इंदौर छोड़कर प्रदेश से बाहर चला गया।
शुभम ने पिछले 7 सालों में ठगी का पूरा नेटवर्क तैयार किया था, जिसमें वह स्टूडेंट्स और मजदूर वर्ग के लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर कमीशन के आधार पर ठगों को उपलब्ध कराता था।
डिजिटल फ्रॉड के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराता था
शुभम और उसका गिरोह ऑनलाइन ठगी और डिजिटल फ्रॉड के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराता था। ठगी की रकम इन खातों में ट्रांसफर की जाती थी और खाता धारकों को कुछ कमीशन दिया जाता था। जांच में सामने आया है कि इस गिरोह के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है।
शुरुआत में क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन बाद में पूरा मामला दबा दिया गया।
ठगी के पैसे से बनाई प्रॉपर्टी और बिजनेस
- शुभम नामदेव करीब 7 साल पहले किराए के मकान में रहता था, लेकिन ठगी के पैसे से उसने हॉरर कैफे और अन्य कैफे खोले, ताकि युवा वर्ग से संपर्क बना सके।
- अमन ने गोम्मटगिरि में “विराज कंस्ट्रक्शन” नाम से बिजनेस शुरू किया और 1.25 करोड़ रुपए का ऑफिस खरीदा।
- शुभम और अमन ने ठगी के पैसे को प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया।
- शुभम ने पत्नी के नाम पर एक एनजीओ भी खुलवाया, जिसमें खातों के जरिए ठगी के पैसे को सफेद किया जाता था, ताकि किसी को शक न हो।
पुलिस और प्रशासन से संपर्क बनाने की कोशिश
करीब दो महीने पहले शुभम नामदेव ने मीडिया में एंट्री ली और एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल का ऑफिस खोला, ताकि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क बना सके।
वह यहां बाउंसर्स के साथ सुरक्षा घेरे में रहता था और कार में छिपते-छिपाते घूमता था।
अब क्राइम ब्रांच आरोपियों के अन्य बैंक खातों और ठगी के नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। शुभम की तलाश जारी है और जल्द ही उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।