‘मेरे पास अब कहने और आपको बताने के लिए कुछ नहीं है। सरकारी वकील से ही बात करिए..।
यह शब्द हैं इंदौर में कॉलेज कैम्पस में जिंदा जलाई गई प्रिंसिपल डॉ. विमुक्ता शर्मा के प्रोफेसर पति मनोज के। पत्नी डॉ. विमुक्ता को करीब 10 महीने पहले 20 फरवरी 2023 को उन्हीं के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने मार्कशीट नहीं मिलने पर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
विमुक्ता के पति और बेटी इस बारे में अब कुछ खुलकर नहीं बोलना चाहते हैं। उनका गुस्सा इंसाफ के इंतजार में हताशा में बदलता जा रहा है। वे कितने गुस्से में थे, उसे विमुक्ता की बेटी और लेखिका देवांशी के घटना के बाद दिए इस बयान से समझिए। उन्होंने कहा था, ‘यह घटना एक स्टूडेंट ने नहीं, क्रिमिनल ने की है। उसे ऐसा दर्द मिलना चाहिए कि एहसास हो कि उसने क्या किया है। जब हमारी अंगुली जल जाती है तो कैसा दर्द होता है, मां ने क्या सहा होगा। ऐसे क्राइम पर शिवराज जी की सरकार ने आरोपी के घर बुलडोजर तक नहीं चलाया। ऐसा क्यों। हमें फांसी से कम कोई सजा मंजूर नहीं है।’
पति मनोज और बेटी देवांशी के साथ डॉ. विमुक्ता शर्मा।
मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से साबित- आरोपी मानसिक रोगी नहीं
करीबी लोग बताते हैं कि तब मामला फास्ट ट्रेक की तरह चलवाने और फांसी तक की सजा दिलाने की बातें की गई थीं। वक्त गुजरता गया। अब तारीख पर तारीख ही मिल रही है। मात्र 17 दिन में चालान पेश कर दिया लेकिन पुलिस की तरफ से अब सुस्ती है। 10 महीने में मात्र दो गवाहों के बयान कराए गए हैं।
केस से जुड़े जानकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि परिवार को इंसाफ के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। पहले दौर की सुनवाई तो यही साबित करने में गुजर गई है कि आरोपी आशुतोष मानसिक रोगी था या नहीं? हाालंकि, मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से साबित हो गया है कि वह स्वस्थ है।
आरोपी और उनके वकील इस मामले को लंबा खींचने की कोशिश में हैं। उसने इसके लिए मेंटल होने संबंधी आवेदन लगाए, जो जांच में गलत पाया गया है। ऐसा नहीं है, आरोपी बिल्कुल ठीक है। बैरक के कैदियों ने भी उसके ठीक होने की रिपोर्ट दी है। इसी देरी के कारण 29 सुनवाई में सिर्फ दो गवाह हो पाए हैं जबकि हमारी तरफ से रफ्तार अच्छी है।
आनंद नेमा
सरकारी वकील एवं ADPO महू
आरोपी की करतूत ने बिखेरा परिवार, इंदौर छोड़ना पड़ा घटना के वक्त आरोपी छात्र आशुतोष का परिवार इंदौर एयरपोर्ट रोड पर कालानी नगर के पास विजयश्री कॉलोनी में रहता था। अब बुरहानपुर में है। आरोपी के परिवार में पिता संतोष और मां के साथ छोटा भाई भी है। पिता संतोष बाइक शोरूम में मैकेनिक थे। बातचीत में कहा, ‘घटना ने पूरा परिवार बिखेर दिया। मुझे नौकरी से निकाल दिया गया। छोटा भाई प्राइवेट कॉलेज के तीसरे सेमेस्टर में था, वहां से उसे भी बेदखल कर दिया गया। हमारा सामाजिक बहिष्कार हो गया है। खाने पीने तक के लाले पड़ने लगे इसलिए बुरहानपुर ही लौट आए।’
उनका कहना है कि सब कुछ हमारे साथ ही हुआ जबकि गलती तो कॉलेज की भी थी। घटना के बाद एक बार भी हमें उससे रूबरू नहीं मिलने दिया है। एमवाय अस्पताल में एक बार दूर से देखा था। कोर्ट गए तो बताया कि रासुका लगी है, अब कोर्ट भी नहीं लाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही सब होता है इसलिए कोर्ट भी पेशी पर नहीं जाते।
5 प्वाइंट्स में समझिए अब तक क्या हुआ…
20 फरवरी 2023 को जलाया, 5वें दिन मौत
इंदौर-सिमरोल रोड पर बीएम फार्मेसी कालेज की घटना है। फाइनल ईयर की मार्कशीट नहीं मिलने से मैनेजमेंट से पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने कॉलेज में अकेला पाकर प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा को आग लगा दी। चश्मदीदों के बयान के आधार पर उसे गिरफ्तार किया। विमुक्ता को हाई एंड वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। इंटरनल ऑर्गन फेल होने से 25 फरवरी को मौत हो गई।
मत्युपूर्व बयान में घटना का पूरा ब्योरा है
डॉक्टर विमुक्ता ने मृत्यु पूर्व बयान में मजिस्ट्रेट से कहा था कि ‘बात शाम 4 से 4.30 बजे की है। मेरे बीएम कॉलेज के कैंपस में। कॉलेज से घर के लिए निकल रही थी कार से। तभी आशुतोष श्रीवास्तव मेरी गाड़ी के सामने आ गया। मैंने ब्रेक लगाया। उसने गाड़ी का गेट खोलकर मुझे निकाला। बाल्टी से मेरे ऊपर पेट्रोल डालकर लाइटर से आग लगा दी।
17 दिन में चालान पेश, आरोपी पर रासुका
पुलिस ने घटना के 17 दिन में ही लंबा-चौड़ा चालान पेश कर दिया। आरोपी छात्र आशुतोष को चार्ज सुनाकर जेल में डाल दिया गया। रासुका भी लगा दी गई। सुनवाई के दौरान भी आरोपी खुद का मेंटल रोगी होने का ड्रामा करने लगा।
मेडिकल निगरानी में रखा, मेंटल नहीं पाया गया
आरोपी ने ऊपरी अदालत में खुद के मनोरोगी होने की अर्जी लगाई और राहत की गुहार की। पूर्व में चले इलाज की डॉक्टरी पर्चियों को सपोर्ट में पेश किया। अदालत ने मेडिकल बोर्ड को इसकी जांच के आदेश दिए। करीब 15 दिन आरोपी को एक्सपर्ट्स की निगरानी में एमवायएच में रखा गया। रिपोर्ट में उसे ठीक होना पाया गया।
दस महीने में हुए सिर्फ दो गवाह
चालान पेश होने के बाद महू कोर्ट में 29 बार सुनवाई हो चुकी है। तहसीलदार समेत दो के गवाही ही हुई है। ट्रायल जारी है। अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 को होगी। मामले में चश्मदीदों के अलावा मेडिकल से जुड़े साक्ष्य भी पेश किए जाने हैं।
16 साल से बीएम कॉलेज में पढ़ा रही थीं विमुक्ता शर्मा
विमुक्ता शर्मा का जन्म ननिहाल मंदसौर में 1968 में हुआ था। उनका परिवार मूलतः नीमच के पास के एक गांव का रहने वाला है। घर में सब प्यार से उन्हें ‘राजू’ के नाम से बुलाते थे। पिता एसएन तिवारी की अलग-अलग जगह पोस्टिंग रही और आखिर में वे दिल्ली भेल से रिटायर्ड हुए। मां उत्फुल्लप्रभा हाउस वाइफ रहीं।
विमुक्ता की शुरुआती स्कूलिंग मंदसौर में हुई, बाद में वे पिता के पास दिल्ली चली गई थी, आगे की पढ़ाई भी वहीं हुई। इसके बाद वो बी. फार्मा करने के लिए इंदौर आ गई। 1992 में शादी हो गई। पहले प्राइवेट कंपनी में जॉब की, फिर कॉलेज में पढ़ाया। 16 साल तक BM कॉलेज में ही थीं।
कॉलेज में बाउंड्रीवॉल तक नहीं, सिर्फ दिखावे के सुरक्षा गार्ड
उस घटनास्थल का दौरा किया गया, जहां प्रिंसिपल को जिंदा जला दिया गया था। बीएम कॉलेज में तब भी न बाउंड्रीवाल थी, न सभी जगह कैमरे थे। यहां हालात नहीं बदले हैं। सामने वाले हिस्से में सिर्फ नाम के लिए बाउंड्रीवाल खड़ी कर दी है। पिछला हिस्सा तार फेंसिंग के भरोसे है।
कॉलेज के कई छात्रों और प्रोफेसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- यहां हमें आज भी सुरक्षा का डर सताता है। फीस के कारण स्टूडेंट की मार्कशीट रोके जाने के मामले तो आते ही रहते हैं। कई जगह खुली हुई फेंसिंग है, जहां से आराम से कोई भी बाहरी व्यक्ति आ-जा सकता है। कॉलेज कैंपस में कुछ जगहों पर कैमरे लगे हैं, लेकिन सुरक्षा गार्ड नाममात्र के हैं।
जब कोई जांच दल या अधिकारी आते हैं तब एक्स्ट्रा गार्ड बुला लेते हैं। वे भी 3-4 माह सैलरी न मिलने पर नौकरी छोड़ चले जाते हैं। कुछ नए छात्र कहते हैं कि घटना की जानकारी होती तो एडमिशन ही नहीं लेते।
इसको चिन्हित अपराध में शामिल है और मॉनिटरिंग में है। आरोपी ने खुद को मानसिक विक्षिप्त दिखाने की कोशिश की थी जिसे कोर्ट से खारिज करवाया जा चुका है। फिर से सुनवाई शुरू हुई तो तत्काल दो गवाह करा दिए हैं।
सुनील मेहता
एसपी इंदौर ग्रामीण
सवाल सुनते ही कैबिन से उठकर चले गए प्रिंसिपल
कॉलेज के प्रिंसिपल धीरज सोलंकी और डायरेक्टर नीरज शर्मा से भी चर्चा की कोशिश की। सोलंकी अपने कैबिन से बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए। डायरेक्टर शर्मा ने कहा कि एक महीने पहले ज्वॉइन किया है इसलिए इस घटना को लेकर कोई जानकारी नहीं हैं। रिसेप्शन एरिया में प्रोफेसर विमुक्ता शर्मा की फोटो जरूर लगी हुई थी।
डॉ. विमुक्ता शर्मा के नाम से पुरस्कार करने की घोषणा
इंटरनेशनल साइंस कम्युनिटी संगठन एवं पेसिफिक यूनिवर्सिटी उदयपुर, राजस्थान के संयुक्त तत्वाधान में 11वीं अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के आयोजन में इंटरनेशनल साइंस कम्युनिटी संगठन द्वारा दिए जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों में श्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार डॉ. विमुक्ता शर्मा के नाम से देने की घोषणा की गई थी।
डॉ. विमुक्ता शर्मा पुरस्कार के अंतर्गत 5000 रु. नगद, सिल्वर मेडल तथा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया जाएगा। साथ ही गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज इंदौर की मेधावी बालिकाओं को भी वर्ष 2023-24 में डॉ. विमुक्ता शर्मा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।