जीवनशैली के बदलाव से रोज दीवाली -पंकज उपाध्याय

जीवनशैली के बदलाव से रोज दीवाली

तुम बिन यज्ञ न होवे , वस्त्र न कोई पाता , ये पंक्ति हम माता लक्ष्मी की आरती में गाते है, जो की  एक दम सटीक बैठती है, बिना लक्ष्मी कें कुछ संभव नहीं, भौतिकवाद के इस समय में बात सिर्फ आवश्यकताओं की पूर्ति की ही नहीं बची , लक्ष्मीजी वैभव की भी देवी है और इस युग में हमारी अधिकतर आवश्यकताएं वैभव एवं विलासिता से भी जुडी है।

हम में से हर कोई वैभवशाली जीवन की कामना करता है परंतु उसके भाग में उतना ही धन और वैभव आता है जितना उसके भाग्य में लिखा है, धन , कर्म और भाग्य  के योग से प्राप्त होता है, कर्म करने के लिए हर कोई तत्पर है परंतु अवसर और मेहनत का प्रतिफल तो भाग्य से ही प्राप्त होते है।

लक्ष्मीजी को शुक्र ग्रह की देवी कहा गया है और शुक्र ही जीवन में समृद्धि का सूचक ग्रह है, बिना मजबूत शुक्र के जीवन में समृद्धि और वैभव शाली जीवन की कल्पना व्यर्थ है,  इसीलिए की लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर धनी होने का आशीष देवे, हम दीवाली पर उनकी पूजा वैभव शाली ढंग से करते है। वैभव के उस दृष्टिकोण को अगर जीवन में हमेशा के लिए  आत्मसात कर लिया जाये तो लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रह सकती है और जीवन शैली का वो परिवर्तन कुंडली के शुक्र को प्रबल बनाने में भी मदद करेगा , आवश्यकता नहीं की सिर्फ वैभवशाली ढंग से की गई पूजा से ही ग्रह दोष दूर हो।

वैभव का अर्थ यह कतई  नहीं की हैसियत से अधिक धन   सुविधाओ पर पर खर्च किया जाकर रोज दीवाली मनाई जाए, बल्कि जीवन शैली का परिवर्तन है जो हमारे व्यक्तित्व में आकर्षण पैदा करे, जैसे घर को हमेशा साफ सुधरा , सुंदर और आकर्षक रखे, फर्नीचर और परदे वगैरह महंगे नहीं पर आकर्षक लगाये, फर्नीचर कम पर सलीके से रखा गया है ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारे घर के हर कोने में आसानी से हो।

सबके घर में वाहन होते ही है, एक से अधिक हो तो दूसरा वाहन कई बार खड़ा होकर धूल खाता है, या एक हो तो भी जल्दीबाजी मे हम सफसुथरा नहीं रख पाते, बाकी ध्यान रखे वाहन का कारक ग्रह शुक्र है, कुंडली में शुक्र कितना प्रबल है ये किसी व्यक्ति वाहन ही बता देता है, बहुत लग्जरी हो आवश्यक नहीं पर अपने वाहन को साफ और मैंटेनेड रखें

सकारात्मक और सुन्दर तस्वीरों के उपयोग भी साज सज्जा में मददगार हो सकते है, आँगन नहीं भी हो तो भीतर लगाये जा सकने वाले पौधे लगा ले, जैसे मनी प्लांट या अन्य , पौधे सकारात्मकता को बढ़ाते है।

किचन में भी सफाई के साथ आकर्षण व्यंजनों की  सुन्दर तस्वीरों से आकर्षक बना सकते है, ये रसोई में अधिक समय रहने वाली गृहिणियों के मन को प्रसन्न रखेगा साथ ही ये आपको नित नए व्यंजन बनाने की प्रेरणा भी देगा ।

थोड़े सामाजिक बने आप लोगो के यंहा जायेंगे  तो लोग आपके यंहा, जीवन में बिना कारन उत्सव का आनंद लेवे, सामाजिक होना भी शुक्र को प्रबल करता है। घर में उत्सव का माहौल सकारात्मकता को बढ़ाने के साथ संबंधों को भी मजबूत करने में मदद करता है।

घर में अकेले होने की स्थिति में मनोरंजक संगीत भी मन को प्रसन्न करता है, इसके अलावा घर में दोनों वक़्त सुगन्धित अगरबत्ती या धूपबत्ती जरूर लगा करे और सुबह शाम भक्ति संगीत का आनंद जरूर लेवे।

बैठक कक्ष में कम से कम एक पारिवारिक तस्वीर जरूर लगाये,जिसमे सभी सदस्य प्रसन्न मुद्रा में हो, ऐसे ही घर में भोजन करते वक़्त थाली आकर्षक और भरी लगे ऐसी भोजन व्यवस्था करे, आवश्यक नहीं बहुत से व्यंजन रोज बने ये गृहिणियां अपनी रचनात्मकता से आसानी से कर सकती है।

आवश्यक नहीं की कंही जाना हो तभी आप तैयार होवे,अकारण भी घर में नियमित रूप से तैयार और आकर्षक बन के रहे। अच्छी जीवन शैली कें लिए धन नहीं अच्छी सोच की आवश्यकता होती है और सोच बदलेंगे तो ग्रह बदलेंगे , आपका व्यक्तिव आकर्षक होगा , अवसर और लोग आकर्षित होंगे।

मित्रो कई बार छोटे खर्चों की बचत करना बड़े नुकसान का कारण बन जाता है और इसके ठीक विपरीत छोटे छोटे खर्च बड़ी कमाई भी करा देते है, जीवनशैली के छोटे बदलाव भी ऐसे ही होते है, इस दीवाली कुछ ऐसे बदलाव करे को रोज दीवाली सा अहसास हो और लक्ष्मी माता को कृपा सदैव बनी रहे।

दीवाली की अग्रिम शुभकामनाएं

पंकज उपाध्याय
9753000001

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