ब्यपार करने की शुभ दिशा व दरिद्रता दूर करने के वास्तु सम्मत उपाय

ब्यपार करने कीशुभ दिशा –ज्योतिषीये विवेचन
पंडित दिनेश गुरूजी

# व्यापार/कैरिअर का संस्थान दक्षिण मुखी सावर्धिक शुभ होता है , यह दशम भाव को बता ता है अगर मंगल और राहु व्यक्ति के शुभ है या अच्छे सूचक दे दिया है तो दक्षिण दिशा में उसका व्यापार सावर्धिक तररकी करेगा ।*

# शनि और शुक्र मेहरबान हो या अच्छे सूचक दे जाए तो आँख बंद करके पश्चिम दिशा वाला संस्थान व्यापार के लिए ले लेवे बहुत शुभ होता है ।

# बुध या चंद्र मजबूत सूचक दे तो उत्तर दिशा में भाग्य उदय होता है , यही क्षेत्र तरक्की का होता है ।
# केतु , सूर्य , गुरु अगर मजबूत सूचकों के साथ हो तो उपचय दे जाए तो पूर्व दिशा सबसे शुभ हो जाती है , उसी दिशा में कैरिअर या व्यापार बढ़ाये लाभ होगा ।

Note — न कोई दिशा बुरी है न कोई दिशा शुभ है आपके सितारे जिस दिशा में राजयोग लेकर आया है वही आपके लिए शुभ होती जाएगी चाहे अब वह दक्षिण ही क्यो न हो………
माँ शारदा ज्योतिषधाम अनुसन्धान संस्थान इंदौर
पंडित दिनेश गुरुजी ज्योतिष वास्तु,पितृदोष विशेषज्ञ
9977794111

 

 

 

दरिद्रता दूर करने के
वास्तु सम्मत उपाय
पंडित दिनेश गुरूजी
दरिद्रता की मानसिकता का सबसे बड़ा लक्षण आत्मविश्वास का अभाव है। दरिद्रता का दर्द संसार में सबसे अधिक दुखदायी है। इसलिए इन आसान से उपायों को आजमाकर दरिद्रता को दूर किया जा सकता है।

– यदि प्रवेश द्वार जमीन से रगड़ खाता हुआ खुला या बंद हो तो बहुत कष्ट के बाद धन आगमन होता है ।

– उत्तर दिशा की ओर ढलान जितनी अधिक होगी संपत्ति में उतनी ही वृद्धि होगी।

– यदि कर्ज से अत्यधिक परेशान हैं तो ढलान ईशान दिशा की ओर करा दें, कर्ज से मुक्ति मिलेगी।

– उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। टंकी की लम्बाई, चौड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढ़ेगी।

– आग्नेय कोण में धन रखने से आमदनी से ज्यादा खर्चे बढ़ जाते हैं तथा कर्ज़ की स्थिति बनती है ।

– दो ऊंचे भवनों से घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भवन भूखण्ड खरीदने से बचें क्योंकि दबा हुआ भवन भूखंड गरीबी एवं कर्ज का सूचक है।

– दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआं या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।

– पूर्व तथा उत्तर दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ेगा।

– कोई भी कोना कटा हुआ न हो, न ही कम होना चाहिए। गलत दीवार से धन का अभाव हो जाता है।

– भवन के मध्य भाग में अंडर ग्राउन्ड टैंक या बेसटैंक न बनवाएं।

– घर में टूटे बर्तन व टूटी हुई खाट नहीं होनी चाहिए, न ही टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाएं। इससे दरिद्रता बढ़ती है।

– वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान ऊंचा हो और नैऋत्य कोण नीचा हो तो निर्धनता रहती है,

– ईशान दिशा में सीढ़ियां न हों।

– मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊंचा रखें। इसे नीचा रखने से बिखराव पैदा होगा।

– यदि उत्तर दिशा में ऊंची दीवार बनी है तो उसे छोटा करके दक्षिण में ऊंची दीवार बना दें।
।। जय माँ शारदे ।।

माँ शारदा ज्योतिषधाम अनुसन्धान संस्थान इंदौर
पंडित दिनेश गुरुजी ज्योतिष वास्तु,पितृदोष विशेषज्ञ
9977794111

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *