पितृ पक्ष कब है, जानिए श्राद्ध लिस्ट और श्राद्ध की संपूर्ण जानकारी
पितृ पक्ष वह समय होता है जब हमारे पूर्वज धरती पर होते हैं और हम श्राद्ध कर्म करके उनका आर्शीवाद प्राप्त करते हैं । हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है । मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री ने एक चर्चा मे बताया है कि शास्त्र मान्यतानुसार अगर अपने पूर्वजों का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जाए , तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती है और वो भूत-प्रेत के रूप में इस संसार में ही भटकते रहते है । इसलिए पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्धपक्ष का बेहद महत्व है । आइए जानते है कि इस साल पितृ पक्ष 2020 में कब है, श्राद्ध लिस्ट, पितृ पक्ष का महत्व, और श्राद्ध विधि…
पितृ पक्ष का महत्व
ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री ने कहा कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए , माना जाता है कि पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक है । पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं ।
डाँ. अशोक शास्त्री ने बताया कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें. माना जाता है कि जिस घर के पितृ अपने परिवार के लोग से खुश रहते हैं उस घर के लोगों को देवी देवताओं का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है । हमारे देश में बुजुर्गों को भगवान के बराबर महत्व दिया जाता है, इसी कारण से उनके मरणोपरांत उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है ।
डाँ. शास्त्री के मुताबिक जिन लोगों से पितृ उनसे प्रसन्न नहीं होते है उन्हें पितृ दोष का श्राप मिलता है । माना जाता है कि जिस घर में पितृ दोष का श्राप लगता है उस घर के सदस्य कभी भी सुखी नहीं रहते है और न हीं वह जीवन में सफलता प्राप्त नही कर पाता । इस कारण से पितृपक्ष मे पितरों का तर्पण किया जाता हैं और उनसे क्षमा याचना की जाती हैं ।
पितृ पक्ष श्राद्ध विधि
— श्राद्ध कर्म के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर बिना सिले वस्त्र धारण करना चाहिए ।
— श्राद्ध में तिल , चावल और जौ को विशेष रुप से सम्मिलित करें ।
— इसके बाद अपने पितरों का पसंदीदा भोजन बनवाएं और तिल उन्हें अर्पित करें ।
— तिल अर्पित करने के बाद पितरों के भोजन की पिंडी बनाकर , तर्पण उन्हें अर्पित करें ।
पितृ पक्ष की विभिन्न तिथियां
पितृ पक्ष की प्रारंभ तिथि — दिनांक 01 सितंबर से प्रारंभ होकर 17 सितंबर 2020 को समाप्त होगा । पितृ पक्ष की विभिन्न तिथियां ।
पहला श्राद्ध ( पूर्णिमा श्राद्ध ) – 01 सितंबर 2020
दुसरा श्राद्ध – 02 – सितंबर 2020
तीसरा श्राद्ध – 03 – सितंबर 2020
चौथा श्राद्ध – 04 – सितंबर 2020
पांचवा श्राद्ध – 05 – सितंबर 2020
छठा श्राद्ध – 06 – सितंबर 2020
सातवा श्राद्ध – 07 – सितंबर 2020
आंठवा श्राद्ध – 08 – सितंबर 2020
नौवा श्राद्ध – 09 – सितंबर 2020
दसवा श्राद्ध – 10 – सितंबर 2020
ग्यारहवा श्राद्ध – 11 – सितंबर 2020
बारहवां श्राद्ध – 12 – सितंबर 2020
तेरहवां श्राद्ध – 13 – सितंबर 2020
चौदहवां श्राद्ध – 14 – सितंबर 2020
पंद्रहवा श्राद्ध – 15 – सितंबर 2020
सौलवां श्राद्ध – 16 – सितंबर 2020
सत्रहवां श्राद्ध – 17 – सितंबर 2020 ( सर्वपितृ अमावस्या )
विशेष श्राद्ध तिथि —
— कुमार पंचमी श्राद्ध – 07 – सितंबर – सोमवार 2020
— माध्यावर्ष श्राद्ध – 10 सितंबर 2020
— सौभाग्यवतियों का श्राद्ध ( अविधवा नवमी ) 11 – सितंबर 2020
— यतियों का श्राद्ध – 13 – सितंबर 2020
— शस्त्रहतों का श्राद्ध – 16 – सितंबर 2020
— सर्वपितृमोक्ष अमावस्या – 17 – सितंबर 2020 ( डाँ. अशोक शास्त्री )
ज्योतिषाचार्य
डाँ. पं. अशोक नारायण शास्त्री
श्री मंगलप्रद् ज्योतिष कार्यालय
245, एम. जी. रोड ( आनंद चौपाटी ) धार, एम. पी.
मो. नं. 9425491351
–: शुभम् भवतु :–