संघर्ष-सफलता की कुंजी है.. माही
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?प्रसंगवश ?
हृदय वाणी- हृदये़श दीक्षित
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आज़ादी के दिन.. क्रिकेट से संन्यास यानि मैदानी जवाबदारी से आज़ाद होने की घोषणा… कमाल हो माही सबको चौंका दिया.. देखिए.. विडियो ??कल रिटायरमेंट की घोषणा पर अपने इंस्टाग्राम पर खुद माही ने यह विडियो अपलोड किया है..ग्रेट धोनी जैसे ग्राउंड पर थे वेसे ही वास्तविक जीवन में भी हैं… उनके संन्यास की घोषणा भी …मैं पल दो पल का शायर हूँ गाने जैसी .. भावुक करने वाली और अजूबे अंदाज की रही … ज़रा हट के …. सैल्युट .. कैप्टन.. ग़ज़ब.. ? ..मुझ जैसे क्रिकेट के दीवाने लोग महेन्द्र सिंह धोनी जैसे धूमकेतुओं से रिश्ता जाने-अनजाने संयोगों से जोड़ ही लेते हैं, मसलन … सात जुलाई को माही का जन्मदिन रहता है.. और हमारे परिवार और जीवन के कई संयोग इस तारीख से जुड़े हैं।यही अंक हमारा लकी (शुभ) नंबर और पह्चान भी बना…तो इसलिए हम माही को और करीब महसूस करते हैं। सबने देखा है..धोनी की क्रिकेट खेलते वक़्त उनकी सात नं. वाली जर्सी खेल के मैदान पर बरसों उनकी सफलता की पहचान बनी रही ? ..क्रिकेट में धोनी ने कई कीर्तिमान रचे.. यहां तक कि क्रिकेट की दुनिया में अपने खेल के अद्भुत अंदाज से एक नया शॉट भी क्रिएट कर दिया जिसका नाम था हैलीकाप्टर शॉट.. जो विश्व प्रसिद्ध हुआ,इसमें कोई शक नहीं है कि धोनी ने विश्व में क्रिकेट के खेल को एक आकर्षक-रोमांचक मुक़ाम दिया है.. यह वही दौर हुआ करता था जब हमारी पीढ़ी के युवा साथी भी अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की नई संभावनाएँ तलाश रहे थे..मसलन.. वैसा ही कुछ जैसा धोनी अपने क्रिकेट करियर में मुक़ाम बनाने के लिए संघर्ष और कड़े परिश्रम के साथ सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहे थे, जीहां.. ये सर्वविदित है कि धोनी भारतीय टीम के सबसे सफल क्रिकेट कप्तानों में शुमार हैं.. लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने इस मुक़ाम को हासिल करने के लिए बेजोड़ संघर्ष और जीवटता का बेमिसाल प्रदर्शन किया है.. याद रहे धोनी जैसी शख़्सियत कभी रिटायर नहीं हो सकते क्योंकि वो लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन की आदर्श सफलता की कुंजी और प्रेरणा रहे हैं..आज इतना ही कह सकता हूं कि धोनी के जीवन व्यक्तित्व से अगर कुछ सीखना है तो वो है धैर्य, संघर्ष और कठिन चुनौती के वक़्त एकाग्रता के साथ लक्ष्य पाने वाला परिश्रम यानी अंतिम समय तक किसी भी मैच में बाज़ी पलटने की ज़बर्दस्त ललक .. बस यही वो जीवन में सफलता की कुंजी है… जो धोनी के व्यक्तित्व में हमेशा झलकती रही.. यही वो बात है जिसके ज़रिए हम भी अपने सुखद जीवन में बेहतर और सफल रह सकते हैं .. और हो भी क्यों ना.. हमारा जीवन भी तो खेल के मैदान जैसा ही है..जिसमें सफल बने रहने के लिए हमें महेंद्र सिंह धोनी जैसी लक्ष्य पाने की चपलता, चुस्ती और चुनौती स्वीकार करने का जज़्बा और नेतृत्व क्षमता सदैव बनाए रखना चाहिए… सैल्युट माही… ?? .. आज के दिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटलबिहारी वाजपेयीजी की महेंद्र सिंह धोनी के संदर्भ में डेढ़ दशक पहले विश्वकप जीतने से पहले बोलीं गई ये लाईन हमें कभी नहीं भुलना चाहिए… अटलजी.. बोले थे…आप जोखिम लेने में कभी पीछे मत हटो.. यदि आप जीतते हो .. तो आप सफल नेतृत्व करते हो और यदि आप हारते हो तो आप दूसरों का मार्गदर्शन करते हो.. बस…लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ो…???
धोनी भारतीय एक दिवसीय के सबसे शांतचित्त कप्तानों में से जाने जाते हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने २००७ आईसीसी विश्व ट्वेन्टी २०, 2007–08 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज , २०११ क्रिकेट विश्व कप, आइसीसी चैम्पियंस ट्रॉफ़ी २०१३ और बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी जीती जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से हराया।
संघर्ष-सफलता की कुंजी है.. माही
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