मलेशिया में कोरोनावायरस का ऐसा रूप (स्ट्रेन) मिला है जो 10 गुना ज्यादा खतरनाक है। इसका नाम D614G दिया गया है। यह पहली बार जुलाई 2020 में मिला। कोरोना का यह स्ट्रेन 45 लोगों के समूह वाले संक्रमितों में से 3 लोगों में पाया गया है। यह वायरस भारत से लौटे एक रेस्तरां के मालिक के जरिए फैला है, जो यात्रा के बाद 14 दिन तक होम क्वारैंटाइन में नहीं रहा। शख्स को 5 महीने तक की जेल और जुर्माना लगाया गया है। वायरस का यही स्ट्रेन फिलीपींस से लौटने वाले लोगों में के एक और समूह में पाया गया।
दरअसल, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (IMR) ने सिवागंगा क्लस्टर मलेशिया में डी614जी (D614G) प्रकार के वायरस का पता लगाया है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए वहां के स्वास्थ्य महानिदेशक दातुक डॉ. नूर हिशाम अब्दुल्ला ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि D614G म्यूटेशन पहली बार जुलाई में पाया गया था। यह इतना खतरनाक है कि दुनियाभर में वैक्सीन पर चल रही रिसर्च नाकाफी हो सकती है। कई अध्ययनों में कहा गया है वायरस के इस रूप पर कोई भी मौजूदा वैक्सीन प्रभावी नहीं है।
D614G को कोरोना वायरस के ‘G’ म्यूटेशन के रूप में भी जाना जाता है। पहली बार जनवरी में इस स्ट्रेन के बारे में पता चला था, जिसके बाद विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का सबब बना हुआ है। यह मूल ‘L’ और ‘S’ वेरिएंट्स को भी जन्म दे रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह श्वसन मार्ग में अधिक वायरल और संक्रामक प्रतियां(Replication) पैदा करता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा खतरनाक तरीके से फैल सकता है।
D614G को इस वायरस का सुपर स्प्रेडर कहा जा सकता है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह अन्य व्यक्तियों में 10 गुना अधिक तेजी से संक्रमित करने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और जारी प्रयासों से यह नियंत्रण में है, लेकिन एक बार यदि इस वायरस का प्रसार विस्फोटक रूप में फैल गया तो इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो सकता है।
मलेशिया के स्वास्थ्य महानिदेशक ने अपील की है कि जनता को सतर्क रहना चाहिए और मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई जैसे तमाम एहतियात बरतनी चाहिए। कारण कि मलेशिया में पाए गए कोरोना के डी614जी (D614G) म्यूटेशन को आम वायरस नहीं कहा जा सकता है। मालूम हो कि बाकि देशों की तुलना में मलेशिया बड़े पैमाने पर वायरस को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहा है।