एमपी। दमोह मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर का खुलासा, ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन, 7 मरीजों की मौत का आरोप; आरोपी फरार – देखें VIDEO

 

दमोह के मिशन अस्पताल में दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच फर्जी डॉक्टर ने हार्ट के 15 ऑपरेशन कर दिए।

दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशनों में 7 मरीजों की मौत हो गई। हालांकि, अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन और डीएचओ डॉ. विक्रम चौहान की जांच में दो मौतों की पुष्टि की सूचना है।

मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी डॉ. नरेंद्र यादव फरार हो गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने घटना को गंभीरता से लिया है। आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो बोले- आयोग की दो सदस्यीय टीम रविवार को दमोह आएगी। इसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।’

वहीं, कलेक्टर सुधीर कोचर बोले- मामले की जांच चल रही है। जबकि, अस्पताल प्रबंधक पुष्पा खरे का कहना है कि गलत आंकड़े पेश किए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने X पर यह पोस्ट की।

मौत की वजह पूछने गए तो डॉ. भाग निकले

दमोह निवासी रहीसा बेगम को 12 जनवरी को सीने में दर्द हुआ था। बेटे नबी ने बताया- मां को पहले जिला अस्पताल, फिर मिशन अस्पताल में भर्ती कराया। यहां इलाज के नाम पर 50 हजार रुपए वसूले गए। रिपोर्ट में दो नसों में 90% ब्लॉकेज बताया गया। 15 जनवरी को ऑपरेशन हुआ। कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत हो गई।

नबी बोले, ‘डॉ.यादव इलाज के नाम पर बस दवाएं मंगवाते रहे। ऑपरेशन वाले दिन एक के बाद एक मरीज भेजे जा रहे थे, जैसे कोई प्रैक्टिस चल रही हो। मौत के बाद फाइल मांगी, लेकिन अस्पताल ने देने से इनकार कर दिया। जब मौत की वजह पूछने गए तो डॉक्टर गाड़ी से भाग निकले।’

गैस की शिकायत थी, हार्ट का ऑपरेशन कर दिया

पटेरा ब्लॉक के मंगल सिंह को 4 फरवरी को गैस की तकलीफ हुई। बेटा जितेंद्र सिंह उन्हें मिशन अस्पताल लेकर आया। एंजियोग्राफी की गई। रिपोर्ट में बताया कि हार्ट का ऑपरेशन करना होगा। ऑपरेशन के कुछ घंटों में मौत हो गई।

जितेंद्र बोले, ‘ऑपरेशन से पहले और बाद में डॉक्टर नहीं मिले। 8 हजार रुपए का इंजेक्शन मंगवाया, लेकिन वो लगाया ही नहीं गया। पोस्टमॉर्टम की बात उठाई तो डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन हो गया है, क्यों शरीर की चीरफाड़ करा रहे हो। शव ले जाओ। इसके बाद डॉ. यादव कार लेकर निकल गए।’

वक्त रहते डिस्चार्ज करा लिया, जान बच गई

31 जनवरी को तबीयत बिगड़ने पर आशाराम को मिशन अस्पताल लाया गया। जांच में हार्ट अटैक बताया गया। 50 हजार रुपए जमा कराए गए। लेकिन परिजन को एंजियोग्राफी की रिपोर्ट और वीडियो नहीं दिखाया गया। शक हुआ तो तुरंत डिस्चार्ज कराकर जबलपुर मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां बिना ऑपरेशन के ही इलाज से सुधार हुआ।

परिजन कृष्ण ने बताया, ‘मिशन अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के नाम पर तमाम दवाएं लिखीं और बिल बना दिए गए। इलाज से ज्यादा नजर कमाई पर थी। वक्त रहते बाहर ले गए, नहीं तो क्या होता, सोचकर डर लगता है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *