एमपी। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल 5 दिन की नजरबंदी के बाद रिहा, बस्ती के लोग बोले- ‘वोट नहीं दिया…तो घर गिरवाने आ गए विधायक’; ये है टकराव की वजह — देखें VIDEO

मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल लगातार पांच दिन तक नजरबंद रहने के बाद छठवें दिन रिहा कर दिए गए हैं। दरअसल, 19 नवंबर को वो अपने समर्थकों के साथ जिला मुख्यालय मऊगंज से 15 किमी दूर देवरा में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने के लिए बुलडोजर लेकर पहुंच गए थे।

विधायक ने एक बाउंड्रीवाॅल का बड़ा हिस्सा गिरवा दिया था। जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। उनके समर्थकों और विरोध करने वालों के बीच पथराव भी हुआ। प्रशासन ने विधायक काे यहां से 35 किमी दूर रेस्ट हाउस ले जाकर नजरबंद कर दिया था।

दूसरी ओर जिस बस्ती से कब्जा हटवाने पर विधायक अड़े थे वहां के लोगों का कहना है कि विधायक कह गए थे- वोट नहीं दिया तो घर गिरवा देंगे। बस्ती के ज्यादातर लोग मुसलमान, आदिवासी और दलित हैं। ये बस्ती महादेव मंदिर से लगी हुई है। इसलिए इस विवाद में हिंदू संगठन भी शामिल हो गए हैं।

इधर, प्रशासन का कहना है कि बस्ती में अवैध निर्माण हटाने को लेकर नोटिस जारी किए गए थे। हालांकि प्रशासन जिन निर्माणों को अवैध बता रहा है उनमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मकान भी शामिल हैं।

क्या है पूरा विवाद, क्यों विधायक खुद बुलडोजर लेकर पहुंचे थे और क्या ये वाकई चुनावी रंजिश से जुड़ा मामला है-

मऊगंज जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर है देवरा गांव। देवरा यानी देवता का स्थान। सुबह के 8 बजे हैं। पुलिस प्रशासन की भारी आवाजाही दिख रही है। देवरा गांव में जाने वाले सारे रास्तों पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर भारी बल तैनात किया है।

बैरिकेड के पास पहुंचकर हमने जब गांव में जाने की बात कही तो वहां खड़े एक पुलिस के जवान ने कहा कि अंदर आने-जाने पर अभी रोक लगी हुई है। मीडिया को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। आईजी साहब ने अभी किसी की भी एंट्री पर रोक लगाई हुई है। अंदर अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई चल रही है।

सबसे पहले बात विवादित जगह की देवरा गांव नेशनल हाईवे से लगा हुआ है। सड़क के ठीक किनारे पर है महादेव मंदिर। करीब डेढ़ एकड़ में मंदिर प्रांगण की बाउंड्री है। इसी मंदिर के बाउंड्रीवाॅल के अंदर पंचायत भवन और आंगनवाड़ी भी हैं। बाउंड्रीवॉल के ठीक बाद बसाहट है जो लगभग 5 एकड़ की जमीन पर फैली है। बसाहट के ठीक बाद प्रस्तावित ईदगाह था, जिसकी अलग बाउंड्रीवॉल था। इस बाउंड्रीवॉल को अवैध बताते हुए प्रशासन ने शनिवार को गिरा दिया है। मंदिर के सामने की जमीन पर श्मशान है।

सरकारी भूमि के रिकॉर्ड के हिसाब से ये पूरी जमीन रकबा क्रमांक 127 और रकबा क्रमांक 128 के रूप में दर्ज है। ये लगभग 10 एकड़ जमीन है। रकबा क्रमांक 127 में लगभग 6 डिसमिल जमीन शिव पार्वती और हनुमान मंदिर के नाम से दर्ज है। रकबा क्रमांक 128 में ज्यादातर जमीन सरकारी है। इस जमीन पर कुछ लोगों के नाम पर पट्टे हैं।

ये है टकराव की वजह…

विधायक प्रदीप पटेल और हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां रहने वाली आबादी ने अवैध कब्जा किया है। रकबा क्रमांक 127 और क्रमांक 128 दोनों ही जमीन मंदिर प्रांगण की है। यहां दूसरे समुदाय के लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है और हम इसी कब्जे को हटाना चाहते हैं।

जबकि दूसरी ओर इस बस्ती में रहने वाले रहवासी बताते हैं कि हम पीढ़ियों से यही रह रहे हैं। मंदिर अपनी जगह था, बसाहट अपनी जगह। सामने के हिस्से में शमशान था, लेकिन कुछ साल पहले पंचायत में बसाहट के पीछे पड़ी खाली शासकीय जमीन को ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित करके ईदगाह के लिए दिया गया था।

गांव की बसाहट की सामाजिक स्थिति

बस्ती में मुख्यता मुस्लिम, दलित और आदिवासी लोग रहते हैं। ज्यादातर लोगों के घर मिट्टी के हैं, जिस पर खपरैल है। टूटे-फूटे मकान हैं, कुछ मकान पक्के है। ये मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हुए हैं। बस्ती के ज्यादातर लोग बाहर मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं। औरतें बीड़ी बनाने का काम करती हैं।

गलियों से सीसी रोड गुजरती है। पानी की व्यवस्था के लिए दो हैंड पंप है, जिनमें से एक हैंडपंप खराब है। कुछ लोगों के घर में बोर हैं, जिससे आसपास के घरों को भी पानी मिल जाता है।

हम जैसे-तैसे खाने का इंतजाम कर पाते हैं, कहां जाएंगे

12वीं में पढ़ने वाली पूनम आदिवासी का घर इसी बस्ती में है। पूनम के पास घर के नाम पर एक छोटा सा कमरा है, जहां 6 लोगों का पूरा परिवार रहता है। मिट्टी की दीवारें हैं। मां और पिता मजदूरी करते हैं और बड़ी मुश्किल से अपने घर का खर्च चला पा रहे हैं। पूनम की पढ़ाई में दिलचस्पी है, इसलिए वह आगे और पढ़ना चाहती है।

पूनम कहती है कि मेरा घर तो वैसे ही गिरा हुआ है, एक ही कमरा है। जैसे-तैसे हमारे खाने का ही बंदोबस्त हो पाता है। ऐसे में पता नहीं वो हमें यहां से भी क्यों उजाड़ना चाहते हैं। यहां से घर खाली करने के दो-दो नोटिस आए हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें। हम जैसे- तैसे तो खाने का इंतजाम कर पाते हैं। नया घर कहां से बना पाएंगे।

हमें वो लोग यहां से उजाड़ कर कहां बसाएंगे ये भी नहीं पता। अगर कहीं दूर भेज दिया तो मेरी पढ़ाई भी छूट जाएगी। यहां पास में काम भी मिल जाता है, वह भी दूर हो जाएगा। यहां आस पड़ोस वाले मदद करते हैं। पानी दे देते हैं तो गुजारा चलता रहता है लेकिन पता नहीं वहां हमारा क्या होगा।

प्रधानमंत्री आवास मिला अब हटाने आ गए

इसी बस्ती में रहने वाली मेहरुन्निसा के पति की 5 साल पहले मौत हो गई थी। वह अपने चार बच्चों के साथ यहां रहती हैं। बड़ी मुश्किल से उनके घर का गुजारा होता है। मेहरुन्निसा को कुछ साल पहले ही प्रधानमंत्री आवास भी मिला है

मेहरुन्निसा कहती हैं कि मुझे घर खाली करने का नोटिस मिला है। मैं बिना पति के अपने दो-तीन साल के छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाऊं। पता नहीं यह लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं। हमारी तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं है। घर चलाना ही मुश्किल पड़ रहा है, ऐसे में अब कहां जाएं और क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा।

 

जब से विवाद तब से मजदूरी पर नहीं जा रहे

इसी मोहल्ले में रहने वाले बुद्ध सेन कोल बताते हैं कि मेरी उम्र 45 साल है। मेरा जन्म इसी घर में हुआ था। हमारे यह पूछने पर की आपका परिवार यहां कब से रह रहा है, वह कहते हैं कि यह तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरे पिता यहां आकर बसे थे। बुद्ध सेन को भी घर खाली करने का नोटिस मिल चुका है। 3 दिसंबर की तारीख नोटिस में घर खाली करने के अंतिम तिथि के रूप में दर्ज है।

विधायक और बाहरी लोगों ने हिंदू-मुसलमान में बांटा’

बस्ती के लोगों का कहना है कि लंबे समय से बस्ती में हिंदू और मुसलमान सब साथ में मिलकर रहते हैं, लेकिन विधायक प्रदीप पटेल और बाहरी लोगों ने जबरदस्ती इसे हिंदू बनाम मुस्लिम बना दिया है। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित कर सर्वसम्मति से ईदगाह के लिए जमीन का निर्धारण हुआ था। इसके बाद बजरंग दल के कुछ लोगों ने इसको लेकर आपत्ति दर्ज की थी।

मामला कोर्ट में है। ऐसे में विधायक प्रदीप पटेल का खुद कार्रवाई करने आना बिल्कुल ठीक नहीं था। अगर कोर्ट इसे अवैध बताता और प्रशासन इसे हटाने की बात करता तो हम खुद ही निर्माण को हटा लेते, लेकिन विधायक और उनके समर्थन प्राप्त बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का निर्माण हटाना गलत था और हम इस बात का विरोध कर रहे हैं।

चुनाव के बाद से ही विधायक हिंदू-मुस्लिम कर रहे

यहां रहने वाले शाहजहां अंसारी कहते हैं कि चुनाव के पहले ही मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने कहा था कि अगर मुझे वोट नहीं मिले तो मैं तुम लोगों को यहां रहने नहीं दूंगा। चुनाव के बाद से ही अलग-अलग तरीकों से वह हमारे क्षेत्र में हिंदू- मुस्लिम करने लगे थे।

शाहजहां कहते हैं कि मेले में कुछ मुसलमान हमेशा से चूड़ी, बिंदी या अलग-अलग तरीके की दुकानें लगाते थे। वो दुकानं भी मेले में नहीं लगने दी गईं। हमारा एक रिश्तेदार मेला देखते-देखते बीड़ी पीते हुए मेले के अंदर चला गया तो उसे पुलिस उठा कर ले गई।

प्रशासन ने जिन घरों को अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया है, उनमें से 14 घर प्रधानमंत्री आवास के घर हैं। लोगों का कहना है कि शासन ने खुद ही हमें घर दिया। प्रदीप पटेल के कहने पर पंचायत भवन में भी हम लोगों का कोई काम नहीं होता है।

कलेक्टर बोले-पीएम आवास की रकम रिकवर करेंगे

मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने  बताया कि पंचायत द्वारा प्रस्तावित ईदगाह अवैध था। प्रशासन ने लोगों के सहयोग से उस जगह पर बनी बाउंड्रीवॉल को गिरा दिया है और जमीन को शासकीय कब्जे में ले लिया है। बस्ती में रह रहे 40 लोगों को भी अतिक्रमण खाली करने का नोटिस दिया है।

मऊगंज एसपी रसना ठाकुर ने बताया

इस मामले में अब कोई तनावपूर्ण स्थिति नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत करके शांति बहाल की है। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल और कुछ अन्य लोगों पर कार्रवाई की गई थी। विधायक पर की गई कार्रवाई की जानकारी हमने विधानसभा को भेज दी है।

विधायक नजरबंदी से बाहर आकर मंदिर पहुंचे

6 दिन पहले विवाद के बाद नजरबंद किए गए विधायक पटेल रविवार को रिहा कर दिए गए। इसके बाद वो सीधे देवरा महादेव मंदिर पहुंचे और यहां पहुंचकर उन्होंने महादेव के दर्शन किए। साथ ही ये कहा कि हमारी पार्टी और मुख्यमंत्री सनातन परंपरा का निर्वाह करने वाले हैं। हम किसी भी मंदिर के साथ गलत नहीं होने दे सकते। प्रशासन ने बाउंड्रीवॉल हटा दिया है। अब उम्मीद है नोटिस देकर जल्द ही अवैध रूप से बने घर भी हटाए जाएंगे।

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