मोहन का एक साल मजदूरों का मान बढ़ाते ‘मिल मजदूर पिता’ के लाल ‘मोहन’…
13 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तेरहवें दिन 25 दिसंबर 2023 को ही डॉ.मोहन यादव ने तीस वर्ष पुराने इंदौर की हुकुमचंद मिल के मजदूरों की समस्याओं का समाधान कर यह बता दिया था कि वह खुद ‘मजदूर पिता’ के लाल हैं और मजदूरों के सम्मान में कोई कमी नहीं रहने देंगे। तो मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 18 जनवरी 2024 को पटना में विभिन्न कार्यक्रमों में अपने पिता और परिवार के सदस्यों के संघर्षपूर्ण जीवन का उल्लेख किया था। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया था कि उनके पिता मिल मजदूर रहे हैं। उन्होंने अनेक कठिनाइयों के बीच जीवन जीया। आर्थिक दिक्कतों के बावजूद परिवार से मिले संस्कार महत्व रखते हैं। कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों, व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए। अपने आराध्य का स्मरण अवश्य करना चाहिए। निरंतर कर्म से व्यक्ति को पहचान और प्रतिष्ठा मिलती है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मजदूरों के मान बढ़ाने का पहला कार्यक्रम इंदौर के नंदा नगर क्षेत्र स्थित कनकेश्वरी धाम में 25 दिसंबर 2023 को हुआ था। इसमें हुकुमचंद मिल मजदूरों के तीस वर्ष से लंबित प्रकरण में 4 हजार 800 श्रमिकों को राहत मिली थी। उनके परिवारों के लगभग 25 हजार सदस्य लाभान्वित हुए थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली शामिल हुए थे। मोदी ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा था कि आज का यह कार्यक्रम श्रमिक भाई-बहनों की वर्षों की तपस्या तथा सपनों और संकल्पों का परिणाम है। प्रसन्नता है कि आज पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती है। इसके साथ ही प्रदेश की नई सरकार का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम गरीब, संघर्षपूर्ण जीवन जी रहे श्रमिकों के लिए आयोजित करना और ऐसे कार्यक्रम में मुझे सहभागिता का अवसर मेरे लिए संतोष का विषय है। गौरतलब है कि हुकुमचंद मिल 70 वर्ष सफलता पूवर्क चलने के बाद 1992 में बंद हो गई थी। मिल मजदूर और बैंकों की देनदारियां 30 वर्षों तक न्यायालय एवं अन्य प्रक्रिया में लंबित रही थी। राज्य शासन ने पहली बार 2022 में पहल की और गृह निर्माण मंडल को समझौता कर, राशि भुगतान का उत्तरदायित्व दिया गया। एक वर्ष के अंदर सभी दावेदारों के साथ समझौता सुनिश्चित कराया गया और श्रमिक यूनियन के साथ भी सहमति सहित समझौता हुआ। माननीय उच्च न्यायालय ने समझौता प्रस्ताव को सहमति दी और तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 19 दिसम्बर 2023 को स्वीकृति प्रदान कर 20 दिसम्बर को उच्च न्यायालय में राशि जमा करवा दी थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस कार्यक्रम में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में गरीब मजदूरों की कठिनाइयां कम हुई हैं। श्रमिक परिवारों की चुनौतियों से मैं भलीभांति परिचित हूँ। किन्हीं कारणों से उद्योग बंद हो जाने की स्थिति में श्रमिक परिवारों को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है। प्राय: मजदूरों की देनदारियों के मामले न्यायालय में उलझ जाते हैं। उज्जैन की विनोद-विमल मिल का मामला भी इसी प्रकार से उलझा था, जिसका निराकरण सरकार का व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए कराया गया था, यह प्रदेश में निराकरण का पहला प्रकरण था। इसी दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की सहमति से इंदौर के 4 हजार 800 श्रमिकों को उनका हक दिलाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
तो 11 नवंबर 2024 को ग्वालियर जिले की बंद पड़ी जेसी मिल के मजदूरों को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ी राहत की खबर सुनाई थी। मुख्यमंत्री ने ग्वालियर दौरे के दौरान जेसी मिल का दौरा किया था और मजदूरों की लंबे समय से लंबित देनदारियों का जल्द भुगतान करने का ऐलान किया था। सीएम ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन चार वर्गf गरीब, किसान, महिला और युवा के बारे में बताया है, हमारी सरकार इन चारों वर्गों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करती रहेगी। डॉ. मोहन यादव ने बताया था कि हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि जो उद्योग कुछ कारणों से कई सालों से बंद है और मजदूरों की देनदारियां लंबित है, ऐसे में हमारी सरकार ने मजदूरों की देनदारियों को चुकाने का निर्णय लिया है। इन्हें लंबे समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता है और मजदूरों को रास्ते में नहीं छोड़ा जा सकता है। जेसी मिल के मजदूरों की लंबे अरसे से देनदारी लंबित है। जल्द ही मजदूरों की बकाया देनदारी चुकाई जाएगी। न्यायालय ने 1988 में जेसी मिल को आधिकारिक तौर पर बंद घोषित किया था। उस समय 8037 कर्मचारी मिल में कार्यरत थे। 6 हजार कर्मचारियों की 135 करोड़ की देनदारी बकाया है। 500 से ज्यादा मजदूरों ने भुगतान के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। और मुख्यमंत्री ने ग्वालियर दौरे में अपने उद्देश्य को साफ कर यह जता दिया था कि ‘मजदूरों का मान’ उनकी प्राथमिकता है।
तो यहां राज्य में बंद पड़ी मिलों के मजदूरों के हितों में सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि हमारी सरकार बनने के बाद हुकुमचंद मिल को लेकर सरकार निर्णय ले चुकी है। अब सज्जन मिल के संदर्भ में भी जल्द ही निर्णय किया जाएगा। इस तरह से अन्य मिलों के मामले में भी निर्णय लिया जाएगा।
तो मोहन सरकार का एक साल बता रहा है कि मुखिया मोहन ने मजदूरों का मान बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और मोहन ने यह जता भी दिया है कि आगे भी उनकी सरकार श्रमिकों का मान बढ़ाने का सिलसिला जारी रखेगी। तो मोहन का यह एक साल उनकी मजदूर हितैषी सोच का गवाह बन गया है। कहा जाए तो मुख्यमंत्री के रूप में मजदूर पिता के लाल ‘मोहन’ मजदूरों का मान बढा रहे हैं। और मोहन की मजदूर हितैषी छवि बन चुकी है। इससे हजारों मजदूरों को राहत मिली हैं, तो हजारों मजदूरों को सम्मान संग राहत मिलना तय है…।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।