भारत के गौरव ‘भारत कुमार’ तुम जल्दी लौटकर आना… कौशल किशोर चतुर्वेदी

भारत के गौरव ‘भारत कुमार’ तुम जल्दी लौटकर आना…

“भारत का रहने वाला हूँ…” गीत 1970 की प्रसिद्ध फ़िल्म पूरब और पश्चिम का है। इसे सुरों से सजाया है महेन्द्र कपूर ने व संगीतबद्ध किया है कल्याणजी आनंदजी ने। इन्दीवर की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में मनोज कुमार, प्राण, अशोक कुमार और सायरा बानो ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। भारत विश्वगुरु था और भारत विश्वगुरु बनेगा…यह भरोसा फिल्मों के जरिए आमजन में यदि जगाया है तो ‘भारत कुमार’ मनोज कुमार ने। ऐसा अभिनेता फिल्मों के जरिए जिसका दिल हमेशा ही भारत के लिए धड़कता रहा है। इस गीत की पंक्तियां हैं-
जब जीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलायी
देता ना दशमलव भारत तो
यूं चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद दूरी का
अंदाजा लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आयी
सभ्यता जहाँ पहले आयी
पहले जन्मी हैं जहापे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
यूं आगे बढ़ा बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढे
बढता ही रहे और फूले फले
बढता ही रहे और फूले फले
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहां के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
हो ओ हो ओ ….
यह गीत पूरी तरह से मनोज कुमार की राष्ट्रभक्त के रुप में भावनाओं को प्रस्तुत करता है। इस गीत में भारत की संस्कृति, परंपरा, गौरव की झलक पूर्णता से समाई है। और मनोज कुमार की हर फिल्म देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं और गीत भी मनोज कुमार की भावनाओं को केंद्रित करते हुए राष्ट्रभक्ति से रंगे हुए हैं। उनकी फिल्मों के सभी गीतों को सुन लिया जाए तो महान भारत की हर तस्वीर दिल में उतर जाएगी। अभिनेता बिस्वजीत चटर्जी ने शब्दश: सच ही कहा है कि उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। “उन्होंने जो हासिल किया, उसकी बराबरी देश का कोई भी अभिनेता या निर्देशक नहीं कर सकता। उन्होंने जो किया उसे दोहराना वाकई मुश्किल है। जितनी भी फिल्में बनाईं, वे सभी देश भक्ति पर केंद्रित थीं और हम सभी को प्रेरित किया। धर्मेंद्र, मनोज कुमार और मैंने लगभग एक ही समय में बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की थी।” साथ काम करने वाले ऐसे कलाकार की यह श्रद्धांजलि वाकई दिल को छूने वाली है।
तो महेंद्र कपूर के बेटे रूहान कपूर ने दिग्गज अभिनेता के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, “मेरे जीवन का यह एक बेहद दुखद दिन है। मेरे पिता महेंद्र कपूर जी को हमेशा ‘भारत की आवाज’ कहा जाता था। मनोज कुमार जी जैसा देशभक्त कभी नहीं हुआ। उनके जैसा देशभक्त कभी नहीं होगा। भारत का एक सच्चा सपूत उस मातृभूमि में समा गया है, जिसकी उन्होंने इतने वर्षों तक प्रार्थना की।” तो यह थे महान कलाकार मनोज कुमार।
संक्षेप में यही कि मनोज कुमार (जन्म: हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी ; 24 जुलाई 1937 – 4 अप्रैल 2025) एक भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, गीतकार और संपादक थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा में काम किया। वे भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे सफल और बेहतरीन अभिनेताओं में से एक थे। वे देशभक्ति की भावना से भरपूर अभिनय और फ़िल्में बनाने के लिए जाने जाते थे और उन्हें भारत कुमार का उपनाम दिया गया था। भारतीय सिनेमा और कला में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में पद्म श्री और 2015 में भारत सरकार द्वारा सिनेमा के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें विभिन्न श्रेणियों में एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सात फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले। कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत (वर्तमान खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) के एक शहर एबटाबाद में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कुमार का 87 वर्ष की आयु में 4 अप्रैल 2025 को मुंबई में निधन हो गया।
देशभक्ति से ओतप्रोत उनकी फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), शोर (1972), रोटी कपड़ा और मकान (1974), क्रांति (1981), क्लर्क (1989), जय हिंद (1999) शामिल हैं। भारत कुमार के इस दुनिया से जाने पर ‘गीता’ से हम सहमत हैं कि “वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि, तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देहि”… यानि जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़े फेंककर नए कपड़े पहनता है, उसी तरह आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर को धारण करती है। तो भारत पुत्र शरीर पुराना होने पर आज तुम दैहिक रूप से ओझल हुए हो। पर हमें भरोसा है कि तुम जल्दी ही नए शरीर में आकर एक बार फिर भारत का मान बढ़ाओगे। हम सबके मन में तुम बसे हो और इसीलिए भारत के गौरव ‘भारत कुमार’ तुम जल्दी लौटकर आना…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

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