केंद्र सरकार को 57,128 करोड़ सरप्लस ट्रांसफर करेगा RBI

भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने लेखा वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र सरकार को 57,128 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी है. इसके अलावा, बोर्ड ने आपात जोखिम बफर को 5.5 फीसदी पर कायम रखने का फैसला किया है. रिजर्व बैंक की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई में शुक्रवार को हुई बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया. बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई. यह रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की 54वीं बैठक थी.
बता दें, आरबीआई का सरप्लस वह राशि होती है जो वह सरकार को दे सकता है. रिजर्व बैंक को अपनी आय में किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है.
बयान के अनुसार, आरबीआई बोर्ड ने लेखा वर्ष 2019-20 के लिए 57,128 करोड़ रुपये का सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी. साथ ही 5.5 फीसदी कंटीजेंसी रिस्क बफर बनाए रखने का फैसला किया. इसके अलावा, केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने एक इनोवेशन हब बनाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की. बोर्ड ने पिछले एक साल के दौरान बैंक के विभिन्न कामकाज पर चर्चा की और सालाना रिपोर्ट और 2019-20 के अकाउंट्स को मंजूरी दी.
आरबीआई सरप्लस: सरकार से हुआ था टकराव
आरबीआई एक्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक अपना जोखिम विश्लेषण करता है और हर साल केंद्रीय बैंक, खराब या संदिग्ध लोन, कर्मचारियों के लिए योगदान, परिसंपत्तियों के मूल्यह्रास और अवमूल्यन निधि (superannuation funds) के प्रावधान के बाद अपने लाभ का अतिरिक्त हिस्सा सरकार को भेज देता है. हालांकि इस ट्रांसफर के लिए कोई नियम नहीं है.
इसी मसले पर बीते महीनों में सरकार और केंद्र के बीच खींचतान मा मामला सामने आया था. इसका मुख्य कारण यह है कि RBI अप्रत्याशित जोखिमों और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा अतिरिक्त रिजर्व अपने पास रखना चाहता था, जबकि केंद्र सरकार अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक सरप्लस चाहती थी.

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