कोरोना को लेकर शोधकर्ताओं का नया दावा

 

दुनियाभर में जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है. उसी तेजी से उसकी दवा खोजने की कोशिशें भी जारी हैं. डॉक्टर और वैज्ञानिक हर उस दवा को आजमा लेना चाहते हैं. जिसमें कोरोना वायरस को बेअसर करने की जरा सी भी उम्मीद हो.इसी क्रम में ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कीड़े-मकोड़ों को दूर भगाने वाला एक रसायन कोरोना वायरस(Sars-Cov-2) को खत्म करने में भी मददगार है। ब्रिटिश सेना के आदेश पर हुए डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेटरी के हालिया शोध अध्ययन में यह बात सामने आई है।शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘साइट्रियोडियॉल’ नाम के कीटनाशक में कोरोना वायरस में मौजूद स्पाइक प्रोटीन को नष्ट करने की क्षमता होती है। यह रसायन महज एक से दो मिनट के अंदर उसे नष्ट करता है। स्पाइक प्रोटीन की ही मदद से वायरस मानव शरीर में मौजूद एसीई-2 रिसेप्टर की पहचान कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है। ‘स्काई न्यूज’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस की अन्य नस्लों को भी निष्क्रिय करने में यह रसायन असरदार पाया जा चुका है। हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘साइट्रियोडियॉल’ सिर्फ सतहों पर मौजूद वायरस को मारने की क्षमता रखता है। इंसानी त्वचा या अंगों में इसका कोई असर नहीं होता। शोधकर्ताओं की चेतावनी है कि लोग त्वचा पर इसका इस्तेमाल कतई न करें। लोगों का यह सोचना गलत होगा कि ‘साइट्रियोडियॉल’ का स्प्रे छिड़कने पर वे कोरोना के खतरे से बच जाएंगे। उन्हें इसका उल्टा असर ही झेलना पड़ सकता है। इससे उनके अंग खराब होने, त्वचा में जलन या सूजन होने, लाल चकत्ते पड़ने की भी समस्या हो सकती है।इस शोध टीम से जुड़े डॉ. मैथ्यू लॉयड के मुताबिक, ‘साइट्रियोडियॉल’ में संक्रमण रोधी गुण जरूर हैं, लेकिन यह सिर्फ सतहों को सैनिटाइज करने के लिए उपयुक्त है। इसके छिड़काव के एक से दो मिनट के भीतर ही सतहों पर मौजूद कोरोना वायरस की संख्या में 100 से 1,000 गुना तक की कमी आ जाती है। डॉ. लॉयड ने दावा किया है कि ‘साइट्रियोडियॉल’ इथेनॉल या आइसोप्रोपेनॉल से कम ज्वलनशील है, इसलिए सैनिटाइजेशन के लिए इसका इस्तेमाल बेहतर और सुरक्षित विकल्प साबित हो सकता है। हालांकि उन्होंने भी चेताया कि मानव शरीर पर इसके इस्तेमाल का ख्याल भी दिमाग में नहीं लाया जाना चाहिए। ऐसा करना घातक होगा।

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