ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने बुधवार को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि कंपनी ने गंभीर प्रतिकूल परिणामों के बारे में सूचित क्यों नहीं किया जिस कारण उसके यूके साझेदार एस्ट्राजेनेका को ऑक्सफोर्ड कोविड वैक्सीन उम्मीदवार के वैश्विक नैदानिक परीक्षणों को ‘अस्थायी रूप से विराम देना’ पड़ा है। जबकि देश के अंदर 17 जगहों पर परीक्षण जारी है।
बता दें कि फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर कोविड के लिए वैक्सीन बना रही है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे चल रही है, लेकिन फिलहाल इसका ट्रायल कई देशों में रोक दिया गया है। डीसीजीआइ इसी बात से नाराज है कि अमेरिका, यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में वैक्सीन का फिलहाल ट्रायल रोक दिया गया है। इसके बावजूद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस बात की सूचना सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को नहीं दी और ना ही उस घटना की रिपोर्ट दी है।
वैक्सीन के ट्रायल को अन्य देशों में रोके जाने के बारे में जब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘हम यूके के परीक्षणों पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके द्वारा आगे का कार्य रोक दिया गया है। हम जल्द ही फिर से शुरू होने की उम्मीद करते हैं। जहां तक भारतीय परीक्षणों का सवाल है, यह जारी है और हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है। इसके बावजूद अगर डीसीजीआइ को सुरक्षा संबंधित कुछ चिंताएं हैं, तो हम उनके निर्देशों का पालन करेंगे।’
अब डीसीजीआइ ने नोटिस भेजकर पूछा है कि जब तक मरीज की सुरक्षा पर सवाल है, तब तक आप को मिली क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत क्यों ना निलंबित कर दी जाए? अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को इस नोटिस का जल्द से जल्द जवाब देना है। गौरतलब है कि एस्ट्राजेनेका उन 9 कंपनियों में से एक है, जिनकी वैक्सीन का ट्रायल बड़े स्तर पर हो रहा है। इस वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में पहुंच गया है। कंपनी ने अमेरिका में 31 अगस्त को 30,000 वॉलंटियर्स को ट्रायल के लिए भर्ती किया है। इस वैक्सीन के लिए कई देशों ने करोड़ डोज का आर्डर भी दे दिया है, जिनमें अमेरिका भी शामिल है।