दुनियाभर में जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है. उसी तेजी से उसकी दवा खोजने की कोशिशें भी जारी हैं. डॉक्टर और वैज्ञानिक हर उस दवा को आजमा लेना चाहते हैं. जिसमें कोरोना वायरस को बेअसर करने की जरा सी भी उम्मीद हो. इसी सिलसिले में अब परजीवी कीड़ों को मारने वाली दवा आइवरमेक्टिन काफी प्रभावी साबित हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमितों के उपचार में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को बचाव के लिए यह दवा दी तो पंजाब सरकार ने भी संक्रमितों के उपचार में इसे शामिल कर लिया।दवा पर ऑस्ट्रेलिया , इटली और बांग्लादेश में शोध चल रहा है।
फाइलेरिया की बीमारी में भी दी जाती यह दवा
बताते चलें कि आइवरमेक्टिन टैबलेट काली मक्खी के काटने से होने वाली रिवर ब्लाइंडनेस, गोल कृमि से छोटी आंत में होने वाले संक्रमण एस्कारियासिस और फाइलेरिया जैसे रोगों के इलाज में काम आती है। देश में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली तीन दवाओं में यह भी एक है।
कम करती संक्रमण की आशंका, कम होते वायरस
पीएमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. पूर्णानंद झा ने बताया कि दिल्ली-मध्यप्रदेश में हुए दवा परीक्षण में पाया गया कि कोरोना संक्रमितों के सीधे संपर्क में आने वाले डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों या अन्य लोगों को यदि पहले, 7वें और 30वें दिन रात में खाना खाने के दो घंटे बाद 12 एमजी की आइवरमेक्टिन की गोली दी जाए तो इससे संक्रमण की आशंका काफी कम हो जाती है। इसके बाद हर माह एक-एक गोली लेने से काफी हद तक कोरोना से बचा जा सकता है। वहीं, कोरोना पॉजिटिव मरीजों को तीन दिन लगातार रात का खाना खाने के दो घंटे बाद आइवरमेक्टिन 12 एमजी टैबलेट के साथ पांच दिन सुबह-शाम डॉक्सीसाइक्लिन दवा देने पर अच्छे परिणाम निकले हैं। यह दवा न केवल वायरस को शरीर के जरूरी अंगों तक पहुंचने से रोकती है, बल्कि उन्हें संख्या नहीं बढ़ाने देती है।