दुनिया के तमाम देशों में जिस तरह से कोरोना वायरस महामारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, इसकी रोकथाम के लिए लगातार स्टडी की जा रही है. कई वैक्सीन और ड्रग पर रिसर्च चल रहा है और यह अपने फाइनल स्टेज में है. इसी क्रम में एक और लेटेस्ट स्टडी सामने आई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैज्ञानिकों की अगुवाई में हाल ही में एक बड़ी खोज सामने आई है. इससे संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि कई तरह के स्टेरॉयड कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है और इससे जान जाने का जोखिम बहुत हद तक कम किया जा सकता है. इसे एक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित एक
अमेरिकल मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अलग अलग 7 स्टडी करने के बाद यह देखा गया है कि स्टेरॉयड से कोविड 19 के गंभीर मरीजों की जान बच सकती है. रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से जूझ रहे ऐसे मरीज, जिन्हें आॅक्सीजन की जरूरत होती है, उनके इलाज में ये स्टेरॉयड मददगार साबित हो सकते हैं और उनके जान जाने का जोखिम एक तिहाई तक कम हो जाता है.
स्टेरॉयड की च्वॉइस बढ़ेगी
यूनिवर्सिटी आफ आक्सफोर्ड के डॉ मार्टिन लैंड्री का कहना है कि इस स्टडी के बाद कोविड 19 के इलाज के लिए स्टेरॉयड की च्वॉइस बढ़ेगी. डॉ. मार्टिन इस रिसर्च को लीड करने वालों में शामिल रहे हैं. इस संबंध में जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के प्रधान संपादक हावर्ड सी बाउचर के अनुसार कोरोना महामारी से गंभीर रूप से जूझ रहे मरीज के लिए स्टेरॉयड मददगार है. दुनियाभर में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
मार्टिन लैंड्री ने बताया कि इन दवाओं का पहले से ही व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है. मई में, कोविड अस्पताल के लगभग 7-8% रोगियों को डेक्सामेथासोन दिया जा रहा था, और जून के अंत तक यह लगभग 55% था.
लैंडरे ने कहा, “यह एक दवा नहीं है जो कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहने के लिए $ 3,000 खर्च कराती है. यह तीव्र, निवारक दवा के कई अन्य क्षेत्रों में इसकी लागत के आस-पास कहीं भी कोई नहीं है. तो यह कोरोना से लड़ाई में एक व्यापक रूप से उपलब्ध और उपयोगी हथियार है. मेरा मतलब है, डेक्सामेथासोन के साथ लोगों का इलाज करना, जीवन को बचाने के लिए 60 क्विड (60 पाउंड) देना या लेना है.”
आसानी से उपलब्ध
वहीं, इंपेरियल कॉलेज लंदन के डॉ एंथनी गॉर्डन का कहना है कि यह कोविड 19 के इजाल में एक बड़ी खोज है. स्टेरॉयड दवाएं महंगी नहीं होती हैं और यह आसानी से उपलब्ध हो सकती है. इसका इस्तेमाल दशकों तक हो सकता है. हालांकि इसके अधिक इस्तेमाल के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. ओवररिएक्शन से लंग डैमेज हो सकता है.
WHO एडवाइजरी
डब्ल्यूएचओ का अपनी एडवाइजरी में कहना है कि स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ गंभीर रूप से कोरोना संक्रमितों पर किया जा सकता है. लेकिन शुरुआती लक्षण वाले मरीजों पर यह इस्तेमाल न हो. डब्ल्यूएचओ ने इस मामले में कहा है कि अलग-अलग स्थानों पर करीब 1700 कोरोना वायरस संक्रमितों पर स्टेरॉयड की दवा के तीन तरह के ट्रायल किए गए हैं. इस ट्रायल में यह बात सामने आई है कि स्टेरॉयड की दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की मौत के खतरे की आशंका काफी कम हुई है.
बता दें कि डॉक्टरों की ओर से डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकार्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसी स्टेरॉयड दवाएं अक्सर डॉक्टरों की ओर से मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन और दर्द को कम करने के लिए दी जाती हैं.