प्रयागराज महाकुंभ में कल, 27 जनवरी को सनातन बोर्ड के गठन का ऐलान होगा। देश के चारों शंकराचार्य, 13 अखाड़े और हजारों साधु-संत इस फैसले पर मुहर लगाएंगे।
सनातन बोर्ड में देशभर के प्रमुख मंदिर शामिल किए गए हैं। अध्यक्ष, महामंत्री, मार्गदर्शक मंडल सहित सभी पदाधिकारी चुन लिए गए हैं।
सनातन बोर्ड का मसौदा तैयार हो चुका है, सिर्फ घोषणा बाकी है। सनातन बोर्ड में क्या-क्या होगा और इसके मायने क्या होंगे। पढ़िए ये रिपोर्ट…
13 अखाड़े शामिल, अखाड़ा परिषद के पदेन अध्यक्ष को मिलेगी जिम्मेदारी
अभी तक जो मसौदा बना है, उसके अनुसार अखाड़ा परिषद के पदेन अध्यक्ष को ही सनातन बोर्ड प्रमुख की कमान दी जाएगी। इस बोर्ड में देश के 13 प्रमुख अखाड़े शामिल किए गए हैं।
इसमें श्री पंच दशनाम जूना (भैरव) अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री शम्भू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन हैं। इस बोर्ड में धर्माचार्यों के अलावा रिटायर्ड जस्टिस और वरिष्ठ वकील भी शामिल किए गए हैं।
सनातन बोर्ड का काम क्या होगा?
सनातन बोर्ड चाहता है कि देश के प्रमुख मठ-मंदिर उनकी देखरेख में चलाए जाएं। इसके लिए उन प्रमुख मंदिरों की सूची भी बनाई गई है, जो सनातन बोर्ड का हिस्सा होंगे। इसमें करीब 200 प्रमुख मंदिरों के नाम की सूची बन चुकी है। इन मंदिरों की सूची पर फाइनल काम होना अभी बाकी है। कुल मिलाकर सनातन बोर्ड चाहता है कि मंदिर सरकारी नियंत्रण से बाहर हों।
इसके अलावा बोर्ड चाहता है कि देश में जिन मंदिरों पर कब्जा है, उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाए। धर्मांतरण रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाए और वेद परंपराओं को बढ़ावा दिया जाए।
बोर्ड गठित करके भारत सरकार को भेजेंगे प्रस्ताव
सनातन न्यास फाउंडेशन के सचिव विजय शर्मा ने बताया- 27 जनवरी को देवकीनंदन ठाकुर के शांति सेवा शिविर (सेक्टर-17) में धर्म सभा आयोजित होगी। इसमें सनातन बोर्ड के मसौदे का ऐलान किया जाएगा।
इसमें चारों शंकराचार्य, जगदगुरु, 13 अखाड़ों सहित सभी साधु-संत आएंगे। जब देश में वक्फ बोर्ड बन सकता है, तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं? इसलिए 27 जनवरी को सनातन बोर्ड पास किया जाएगा। उसके बाद भारत सरकार को भेजा जाएगा, ताकि इसे कानूनी रूप से देशभर में लागू किया जा सके।
सनातन बोर्ड में क्या- क्या होगा, इसका ड्राफ्ट हम तैयार कर चुके हैं। 27 जनवरी को सभी अखाड़ों से इस पर चर्चा होगी और फिर ऐलान कर दिया जाएगा।
विजय शर्मा, सचिव, सनातन न्यास फाउंडेशन
यति नरसिंहानंद बोले- सनातन की संस्था में हस्तक्षेप न करे सरकार
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि कहते हैं- सनातन बोर्ड की मांग का पूरा समर्थन करता हूं। लेकिन मैं इस बात का विरोध करता हूं कि सनातन बोर्ड का गठन करके इसे लागू करने का प्रपोजल सरकार को भेजा जाए।
सरकार को सनातन धर्म की किसी भी संस्था में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जो साधु-संत ये कह रहे हैं कि सरकार सनातन बोर्ड बनाकर दे, उन्हें जरा वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक कल्याण की संस्थाओं का इतिहास पढ़ना चाहिए। दारूल उलूम देवबंद का इतिहास पढ़ना चाहिए।
यति ने साफ तौर पर कहा- आज हमारी सनातन धर्म की बातों में सरकार और सुप्रीम कोर्ट दखल देते हैं, जो बंद होना चाहिए। हमारे साधु-संत सनातन बोर्ड बनाएं और सरकार को मजबूर करें कि वो इसे लागू करे।
सनातन धर्म की किसी भी संस्था में सरकार का दखल नहीं होना चाहिए। हमारे मंदिरों का धन सनातन धर्म की बेहतरी में लगे, इसलिए सनातन बोर्ड जरूरी है।
यति नरसिंहानंद गिरि, महामंडलेश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा
अखाड़ा परिषद ने दक्षिणा में वक्फ बोर्ड की समाप्ति, सनातन बोर्ड का गठन मांगा
सनातन न्यास फाउंडेशन के अध्यक्ष देवकीनंदन ठाकुर लंबे वक्त से सनातन बोर्ड की पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने ही 27 जनवरी के आयोजन को लेकर देश के प्रमुख धमाचार्यों को न्यौता दिया है। वो प्रयागराज महाकुंभ में हर रोज कथा वाचन के दौरान बीच-बीच में सनातन बोर्ड की मांग के लिए मुखर दिखते हैं।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से दो दक्षिणा मांग चुके हैं। पहली- वक्फ बोर्ड समाप्त हो। दूसरी- सनातन बोर्ड का गठन किया जाए।
बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री समेत तमाम साधु-संत भी लगातार सनातन बोर्ड की मांग उठा रहे हैं।
प्रसाद में मिलावट सामने आने पर शुरू हुई थी बोर्ड की मांग
16 नवंबर, 2024 को दिल्ली में धर्म संसद हुई थी। इसमें कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने पुरजोर तरीके से सनातन बोर्ड के गठन की मांग उठाई थी। वे कहते हैं कि देश के मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और इनके संचालन का जिम्मा सनातन बोर्ड को दिया जाए।
दरअसल, बीते साल तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने के बाद सनातन बोर्ड की मांग ने जोर पकड़ा था। इसके बाद ही धीरे-धीरे देशभर के साधु-संत इस मांग के लिए एकजुट होना शुरू हुए।
क्या है वक्फ बोर्ड, कैसे करता है काम?
वक्फ अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब है खुदा के नाम पर दी गई वस्तु या परोपकार के लिए दिया गया धन। कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर सकता है, बशर्ते उस संपत्ति का मालिक वो खुद होना चाहिए। इसके बाद वो संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन हो जाती है। ये बोर्ड एक कानूनी इकाई है। बोर्ड ही अपनी संपत्तियों का संरक्षण करता है।
वक्फ बोर्ड संपत्तियों के प्रबंधन के अलावा दान के पैसे से शिक्षण संस्थान, मस्जिद, कब्रिस्तान और रैन-बसेरों का निर्माण व रखरखाव करता है। देश में पहली बार साल-1954 में वक्फ एक्ट बना। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक- देश में वक्फ बोर्ड के पास आठ लाख एकड़ से भी ज्यादा जमीन है। इसमें ज्यादातर मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान शामिल हैं।