हाईकोर्ट जज के घर से कैश बरामदगी के बाद यह पुराना मामला फिर चर्चा में, CBI की FIR में पहले से दर्ज है नाम

नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा इन दिनों चर्चा में हैं। दरअसल, उनके दिल्ली स्थित घर पर आग लग गई थी, जिसे बुझाने के बाद कथित तौर पर वहां से भारी तादाद में कैश बरामद हुआ। लेकिन अब जस्टिस वर्मा से जुड़ा एक और मामला सामने आ रहा है। इस मामले में उनका नाम बकायदा सीबीआई की FIR में दर्ज किया गया था। यह मामला सिम्भावली शुगर मिल से जुड़ा है।

एफआईआर सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड नाम की एक चीनी मिल से जुड़ी थी। आरोप है कि इस मिल ने बैंकों को धोखा दिया था। इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बनने से पहले सिम्भावली शुगर्स में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस सिम्भावली शुगर्स का खाता साल 2012 में NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया गया था।

किसानों की मदद के नाम पर लिया था लोन

सीबीआई ने 22 फरवरी 2018 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक FIR दर्ज की थी। इसके पांच दिन बाद, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने 27 फरवरी 2018 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक ECIR दर्ज की। ये FIR ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) की शिकायत पर दर्ज की गई थी। OBC ने सिम्भावली शुगर्स को 150 करोड़ रुपये का लोन दिया था। बैंक ने CBI से शिकायत की थी कि चीनी मिल ने किसानों की मदद करने के नाम पर लोन लिया, लेकिन बेईमानी से काम किया। बाद में OBC का पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में विलय हो गया।

CBI की FIR को रद्द करने की दी थी अर्जी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो फैसलों में इस FIR का जिक्र किया गया था। ये फैसले उन आरोपियों से जुड़े थे, जिन्होंने CBI की FIR को रद्द करने या अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी। पिछले साल मार्च में सु्प्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद HC के एक फैसले को पलट दिया था। इलाहाबाद HC ने SBI के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के सिम्भावली शुगर्स को दिए गए लोन की CBI जांच का आदेश दिया था। SC ने कहा था कि HC ने गलती की है, क्योंकि जांच की कोई जरूरत नहीं थी। हालांकि, SC ने ये भी कहा था कि अधिकारी कानून के मुताबिक धोखाधड़ी के लिए कार्रवाई कर सकते हैं।

SC ने माना था बैंक के फैसले में गलती नहीं

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिम्भावली शुगर्स के खिलाफ SBI की दिवालियापन की कार्यवाही को रद्द करने से भी इनकार कर दिया था। SC ने CBI के सिम्भावली के किए गए समझौते के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले को सही ठहराया था। SC ने कहा था कि बैंक के फैसले में कोई गलती नहीं निकाली जा सकती। इस मामले के सामने आने के बाद यही कहा जा रहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम पहले ही एक चीनी मिल से जुड़े विवाद में सामने आया था और अब उनके घर से कैश मिलने की बात सामने आ रही है। जज का नाम CBI की एफआईआर में आने को भी गंभीर बताया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *