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*??जय श्री राम??*
?? *सुप्रभातम्* ??
?««« *आज का पंचांग* »»»?
कलियुगाब्द…………………..5122
विक्रम संवत्………………….2077
शक संवत्…………………….1942
रवि……………………….दक्षिणायन
मास…………………………..श्रावण
पक्ष…………………………….शुक्ल
तिथी…………………………पूर्णिमा
रात्रि 09.31 पर्यंत पश्चात प्रतिपदा
सूर्योदय……….प्रातः 05.59.13 पर
सूर्यास्त……….संध्या 07.06.48 पर
सूर्य राशि……………………….कर्क
चन्द्र राशि……………………..मकर
गुरु राशि………………………..धनु
नक्षत्र…………………….उत्तराषाढ़ा
प्रातः 07.11 पर्यंत पश्चात श्रवण
योग……………………………प्रीती
प्रातः 06.37 पर्यंत पश्चात सौभाग्य
करण…………………………..विष्टि
प्रातः 09.27 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु……………………………..वर्षा
दिन…………………………सोमवार
?? *आंग्ल मतानुसार :-*
03 अगस्त सन 2020 ईस्वी ।
*तिथि विशेष :-*
*श्रावणी -*
श्रावणी पर्व से वेदाध्ययन का सीधा संबंध है। स्वाध्याय जीवन का अंग होना चाहिए। स्वाध्याय आर्यों के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना, सुनना-सुनाना आर्यों का परम धर्म है।
शतपक्षब्राह्मण में स्वाध्याय की प्रशंसा करते हुए लिखा गया है कि स्वाध्याय करने वाला सुख की नींद सोता है, युक्तमना होता है, अपना परम चिकित्सक होता है, उसमें इंन्द्रियों का संयम और एकाग्रता आती है और प्रज्ञा की अभिवृद्धि होती है। कहा गया है कि स्वाध्याय न करनेवाला अब्राह्मण हो जाता है। अतः प्रतिदिन स्वाध्याय करना चाहिए।
श्रद्धालु उनके पास आकर वेदाध्ययन और उपदेशों में अपना समय लगाते थे और ऋषिजनों की सेवा करते थे। इसलिए यह समय ऋषि तर्पण भी कहलाता है। यह वेदाध्ययन, श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरंभ किया जाता था, अतः इसे *श्रावणी उपाकर्म* कहा जाता है।
पारस्करगृह्यसूत्र में लिखा है-
*’अथातोऽध्यायोपाकर्म।, ओषधीनां प्रादुर्भावे वणेन श्रावण्यां पौर्णमास्याम्।’*
मनुस्मृति में उपाकर्म और उत्सर्जन का आदेश दिया गया है-
*श्रावण्यां प्रौष्ठपद्यां वाऽप्युपाकृत्य यथाविधि।*
*युक्तश्छन्दांस्यधीयीत मासान् विप्रोऽर्धपचंमान्।*
*पुष्ये तु छन्दसां कुर्याद्बहिरुत्सर्जनं द्विजः।*
*माघशुक्लस्य वा प्राप्ते पूर्वाह्वे प्रथमेऽहनि।*
अर्थात् श्रावणी या भाद्रपदी पूर्णिमा को उपाकर्म करके साढ़े चार मास में ध्यानपूर्वक वेदाध्ययन करें। पुष्य नक्षत्रवाली पूर्णिमा में वेद का उत्सर्जन नामक कर्म ग्राम के बाहर जाकर करें या माघ शुक्ल के प्रथम दिन के पूर्वाह्व में करें।
चिरकाल के पश्चात वेद के पठन-पाठन का प्रचार न्यून हो जाने पर साढ़े चार मास तक नित्य वेदपारायण की परिपाटी गई और लोग प्राचीन उपाकर्म और उत्सर्जन के स्मारकरूप में श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को एक ही दिन उपाकर्म तथा उत्सर्जन की विधियों को पूरा करने लगे।
काल के प्रभाव से इस पर्व पर वेद स्वाध्यायात्मक ऋषि तर्पण का लोप-सा हो गया। होमयज्ञ का प्रचार भी उठ गया।
आजकल श्रावणी कर्म का स्वरूप यह है कि धार्मिक आस्थावान् यज्ञोपवीतधारी द्विज श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को गंगा आदि नदी अथवा किसी पवित्र सरोवर तालाब या जलाशय पर जाकर सामूहिक रूप से पंचगव्य प्राशनकर प्रायश्चित संकल्प करके मंत्रों द्वारा दशविध स्नान कर शुद्ध हो जाते हैं।
तदनन्तर समीप के किसी देवालय आदि पवित्र स्थल पर आकर अरुन्धीसहित सप्तर्षियों का पूजन, सूर्योपस्थान, ऋथ्षतर्पण आदि कृत्य संपन्न करते हैं। तदुपरांत नवीन यज्ञोपवीत का पूजन, पितरों तथा गुरुजनों को यज्ञोपवीत दान कर स्वयं नवीन यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
*रक्षाबंधन -*
सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षासूत्र बांधे पूरी नहीं होती। प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं।
थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक व मिष्ठान्न आदि होते हैं। पहले अभीष्ट देवता और कुल देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके उसकी आरती उतारी जाती है व दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है।
भाई, बहन को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट अवश्य देते हैं और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबंधन के अनुष्ठान के पूरा होने तक व्रत रखने की भी परंपरा है।
यह रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है :-
*’येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल |*
*तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल’ ||*
अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
*अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 12.06 से 12.58 तक ।
?? *राहुकाल :-*
प्रात: 07.40 से 09.17 तक ।
*उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
04:44:04 07:00:15
*सिंह*
07:00:15 09:12:04
*कन्या*
09:12:04 11:22:44
*तुला*
11:22:44 13:37:21
*वृश्चिक*
13:37:21 15:53:31
*धनु*
15:53:31 17:59:10
*मकर*
17:59:10 19:46:18
*कुम्भ*
19:46:18 21:19:52
*मीन*
21:19:52 22:51:04
*मेष*
22:51:04 24:31:46
*वृषभ*
24:31:46 26:30:23
*मिथुन*
26:30:23 28:44:04
? *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें ।
शुभ अंक………………..3
? शुभ रंग………………काला
*चौघडिया :-*
प्रात: 06.01 से 07.39 तक अमृत
प्रात: 09.16 से 10.54 तक शुभ
दोप. 02.09 से 03.47 तक चंचल
अप. 03.47 से 05.24 तक लाभ
सायं 05.24 से 07.02 तक अमृत
सायं 07.02 से 08.24 तक चंचल ।
? *आज का मंत्र :-*
।। ॐ यज्ञविभागविदे नम: ।।
? *संस्कृत सुभाषितानि :-*
अवश्यंभाविभावानां प्रतीकारो भवेद्यदि ।
तदा दुःखैर्न लिप्येरन् नलरामयुधिष्ठिराः ॥
अर्थात :
अवश्यंभावि घटनाओं का यदि प्रतीकार हो सकता (उन्हें टाला जा सकता) तो नल, राम और युधिष्ठिर दुःख से अलिप्त रहते !
? *आरोग्यं :-*
घरेलू चीज़ों से हटाइये चेहरे के बाल :-
1. बेसन को हल्दी के साथ मिलाइए , उसमें सरसों का तेल डाल कर गाढा पेस्ट बनाइए। इसे चेहरे पर लगा कर रगडिये और इसे हफ्ते में दो बार लगाइये। ऐसा करने से चेहरा चमचमाने लगेगा।
2. हल्दी पाउडर को नमक के साथ मिलाइए। इसमें कुछ बूंदे नींबू और दूध की मिला सकती हैं। 5 मिनट के लिए मसाज कीजिए। इससे आपके चेहरे के बाल गायब होंगे और चेहरा सफेद भी होगा।
3. नींबू और शहद के पेस्ट को मिला कर अपने चेहरे पर 15-20 मिनट के लिए लगा रहने दीजिए। इसके बाद इसे रगड कर छुडाइए और ठंडे पानी से धो लीजिए।
*आज का राशिफल :-*
? *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
व्यावसायिक स्थिति में सुधार संभव है। कामकाज में मन लगेगा। निजी कार्यों में सावधानी, सतर्कता रखें। रुका पैसा प्राप्त होगा। महत्वपूर्ण कार्यसिद्धि हो सकती है। मनोरंजक यात्रा होगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। प्रमाद न करें।
? *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
आय से अधिक व्यय से आर्थिक तंगी आने की आशंका है। साधारण मतभेद, चिड़चिड़ाहट रह सकती है। दूसरों के कहने में नहीं रहें। व्यापार मध्यम रहेगा। कुसंगति से बचें। यात्रादि में जोखिम न लें। लेन-देन में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। धैर्य रखें।
?? *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
अर्थ संबंधी विवाद हो सकते हैं। संतान की चिंता रहेगी। सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। पारिवारिक कामकाज स्थगित रहेंगे। अतिथियों का आवागमन रहेगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। बेचैनी रहेगी। मान बढ़ेगा। झंझटों में न पड़ें। सहयोग, मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा।
? *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
पूर्व नियोजित योजनाओं का क्रियान्वयन संभव है। रुके कार्यों की चर्चा होगी। संतान के कामों से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। लाभ होगा। दूसरों के व्यवहार से लाभ होगा।
? *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
व्यावहारिक परेशानियाँ रहेंगी। छोटी-बड़ी तात्कालिक समस्याएँ विचलित रखेंगी। व्यापारिक असंतोष रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। भागदौड़ रहेगी। कामकाज की अधिकता से तनाव बढ़ेगा।
?? *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी। आमदनी से अधिक व्यय न करें। अपने कामों के प्रति सजगता रखना आवश्यक है। चोट व रोग से बचें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। निवेशादि लाभप्रद रहेंगे।
*राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
रोजगार में अपने कार्य को महत्व देंगे। महत्वपूर्ण काम समय पर पूरे हो पाएँगे। नए कार्यों की योजना बनेगी। आशानुरूप लाभ होने के योग हैं। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त संभव है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
? *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
आर्थिक स्थितियाँ विशेष लाभप्रद बन पाएँगी। दांपत्य जीवन संतोषप्रद रहेगा। व्यर्थ लोभ-लालच नहीं रखें। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। प्रभावशाली व्यक्ति सहायता करेंगे। धनार्जन होगा। मानसिक-वैचारिक श्रेष्ठता रहेगी।
? *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। सोच-विचार के अनुरूप स्थितियाँ रह पाएँगी। व्यावसायिक प्रयास सफल होने के आसार हैं। परिवार में धार्मिक, मांगलिक कार्य हो सकते हैं। जल्दबाजी न करें। विवाद से बचें। पुराना रोग उभर सकता है।
? *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
कर्ज लेने की प्रवृत्ति का त्याग करें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। क्रोध-चिड़चिड़ाहट से कार्य नहीं करें। तीर्थदर्शन हो सकता है। महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष की चिंता रहेगी। समस्याओं का हल ढूँढ सकेंगे।
? *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
जीवनसाथी को सम्मान मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जोखिम के कामों से दूर रहें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण, पदोन्नति के योग हैं। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें।
? *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली होगी। धनार्जन होगा। चोट व रोग से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के अवसर आएंगे। आमदनी में सुधार होगा। व्यापारिक स्थायित्व बढ़ेगा। मांगलिक उत्सवों में भाग लेंगे।
*आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*
।। ? *शुभम भवतु* ? ।।
???? *भारत माता की जय* ??