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??जय श्री राम??
?? सुप्रभातम् ??
?««« आज का राशिफल एवं पंचांग »»»?
कलियुगाब्द…………………….5122
विक्रम संवत्……………………2077
शक संवत्……………………..1942
मास…………………………..भाद्रपद
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी……………………………दशमी
प्रातः 08.39 पर्यंत पश्चात एकादशी
रवि………………………..दक्षिणायन
सूर्योदय………..प्रातः 06.08.38 पर
सूर्यास्त………..संध्या 06.47.41 पर
सूर्य राशि………………………..सिंह
चन्द्र राशि………………………..धनु
गुरु राशि…………………………धनु
नक्षत्र…………………………….मूल
दोप 12.32 पर्यंत पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग……………………………..प्रीती
दोप 04.05 पर्यंत पश्चात आयुष्मान
करण……………………………गरज
प्रातः 08.39 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु……………………………..वर्षा
दिन………………………….शुक्रवार
?? आंग्ल मतानुसार :-
28 अगस्त सन 2020 ईस्वी ।
? तेजा दशमी –
लोक देवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 को जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यहकथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी ‘लीलण’ पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए। लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया। इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए। गाँव गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। इन देवरो में साँप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बाँधी जाती है। तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है।
? शुभ रंग……………आसमानी
प्रातः 12.02 से 12.52 तक ।
?? राहुकाल (अशुभ) :-
प्रात: 10.53 से 12.27 तक ।
? दिशाशूल :-
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
? उदय लग्न मुहूर्त –
सिंह
05:21:42 07:33:30
कन्या
07:33:30 09:44:10
तुला
09:44:10 11:58:47
वृश्चिक
11:58:47 14:14:58
धनु
14:14:58 16:20:36
मकर
16:20:36 18:07:45
कुम्भ
18:07:45 19:41:18
मीन
19:41:18 21:12:30
मेष
21:12:30 22:53:13
वृषभ
22:53:13 24:51:50
मिथुन
24:51:50 27:05:31
कर्क
27:05:31 29:21:42
प्रात: 07.44 से 09.18 तक लाभ
प्रात: 09.18 से 10.52 तक अमृत
दोप. 12.26 से 02.00 तक शुभ
सायं 05.08 से 06.42 तक चंचल
रात्रि 09.35 से 11.01 तक लाभ ।
? आज का मंत्र :-
॥ ॐ कवीनामृषभाय नम: ॥
? संस्कृत सुभाषितानि –
किं कुलेन विशालेन शीलमेवात्र कारणम् ।
कृमयः किं न जायन्ते कुसुमेषु सुगन्धिषु ॥
अर्थात :-
विशाल या महान कुल से क्या हुआ ? यहाँ तो शील ही कारण है । क्या सुगंधी फूलों में कीडे नहीं जन्मते ?
? आरोग्यं सलाह :-
नस पर नस चढ़ना (माँस-पेशियों की ऐंठन) के घरेलु उपचार :-
1. सोते समय पैरों के नीचे मोटा तकिया रखकर सोएं।
2. आराम करें। पैरों को ऊंचाई पर रखें।
3. प्रभाव वाले स्थान पर बर्फ की ठंडी सिकाई करे। सिकाई 15 मिनट, दिन में 3-4 बार करे।
4. अगर गर्म-ठंडी सिकाई 3 से 5 मिनट की (दोनों तरह की बदल-2 कर) करें तो इस समस्या और दर्द – दोनों से राहत मिलेगी।
5. आहिस्ते से ऎंठन वाली पेशियों, तंतुओं पर खिंचाव दें, आहिस्ता से मालिश करें।
6. वेरीकोज वेन के लिए पैरों को ऊंचाई पर रखे, पैरों में इलास्टिक पट्टी बांधे जिससे पैरों में खून जमा न हो पाए।
7. यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, तो परहेज, उपचार से नियंत्रण करें।
8. शराब, तंबाकू, सिगरेट, नशीले तत्वों का सेवन नहीं करें।
9. सही नाप के आरामदायक, मुलायम जूते पहनें।
10. अपना वजन घटाएं। रोज सैर पर जाएं या जॉगिंग करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होती हैं।
? राशि फलादेश मेष :-
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में संतोष रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विरोध होगा। विवाद से क्लेश होगा, इससे बचें। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराना रोग उभर सकता है। परिवार की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें।
? राशि फलादेश वृष :-
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश मनोनुकूल लाभ देगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
?? राशि फलादेश मिथुन :-
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। तनाव रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी व्यक्ति की बातों में न आएं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बात बढ़ सकती है। महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें, लाभ होगा।
? राशि फलादेश कर्क :-
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद से बचें। शत्रु शांत रहेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। धनहानि संभव है, सावधानी रखें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा।
? राशि फलादेश सिंह :-
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने में रुझान रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा। कष्ट, तनाव व चिंता का वातावरण बन सकता है। शत्रु पस्त होंगे। धन प्राप्ति सुगम तरीके से होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा।
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राशि फलादेश कन्या :-
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेंगे। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी साधु-संत का आशीवार्द मिल सकता है। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। प्रमाद न करें।
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
किसी व्यक्ति के व्यवहार से अप्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य विलंब से होंगे। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। पुराना रोग उभर सकता है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। किसी व्यक्ति विशेष की नाराजी झेलना पड़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
? राशि फलादेश वृश्चिक :-
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। नौकरी में शांति रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग रहेगा। कार्य समय पर पूर्ण होंगे।
? राशि फलादेश धनु :-
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
लेन-देन में जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। जल्दबाजी न करें। कोई समस्या खड़ी हो सकती है। शरीर शिथिल हो सकता है। आय में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेगे। प्रमाद न करें।
? राशि फलादेश मकर :-
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
कारोबार में वृद्धि के योग हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न उठाएं।
? राशि फलादेश कुंभ :-
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। थकान व कमजोरी रह सकती है। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जल्दबाजी से चोट लग सकती है। दूर से शोक समाचार मिल सकता है। नौकरी में कार्यभार रहेगा। भागदौड़ रहेगी। आय होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
? राशि फलादेश मीन :-
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेचैनी रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। कार्यसिद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
।। ? शुभम भवतु ? ।।
???? भारत माता की जय ?