आने वाले समय में पानी की कमी को लेकर संकट में आ सकते है ये 30 भारतीय शहर

दुनिया के राष्ट्रीय महत्व के 100 शहरों में रहने वाले लगभग 35 करोड़ लोगों पर जल संकट का खतरा बढ़ रहा है। अगर जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूल बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है तो इन शहरों में पानी की कमी और बाढ़ जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। जयपुर, इंदौर, अमृतसर पुणे श्रीनगर कोलकाता बेंगलुरु और मुंबई सहित देश के 30 शहरों में जल संकट का खतरा लगातार बढ़ रहा है। यह खुलासा व‌र्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ) के हालिया अध्ययन में किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि इन शहरों में 2050 तक जल संकट चरम पर पहुंच जाएगा। इससे करोड़ों लोग प्रभावित होंगे और वैश्विक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा

भारत के 30 शहर हैं लिस्ट में:-भयानक जलसंकट की चेतावनी जिन 100 शहरों के लिए जारी की गई है, उनमें भारत के ​दो शहर जयपुर और इंदौर क्रमश: 45वें और 75वें नंबर पर हैं. इस लिस्ट के समानांतर एक और लिस्ट बनाई गई है, जिन शहरों में कुछ दशकों बाद पानी की समस्या बहुत बढ़ सकती है. इस लिस्ट में भारत के 28 शहर शामिल हैं.

 

अमृतसर, पुणे, श्रीनगर, कोलकाता, बेंगलूरु, मुंबई, कोझिकोड, विशाखापटनम, ठाणे, वडोदरा, राजकोट, कोटा, नाशिक, अहमदाबाद, जबलपुर, हुबली धारवाड़, नागपुर, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, धनबाद, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, दिल्ली, अलीगढ़, लखनऊ और कानपुर के नाम 28 शहरों की सूची में शामिल हैं. सभी तीस शहरों में से लुधियाना, चंडीगढ़, अमृतसर और अहमदाबाद लिस्ट में टॉप रहे हैं.

 

WWF के इस सर्वे में जो बयान जारी हुआ, ​उसके हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि इन 100 शहरों में से करीब आधे चीन में हैं, जहां अगले 3 दशकों में जलसंकट भयावह होता दिख रहा है. इसके अलावा, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के भी कुछ शहर शामिल हैं. लेकिन, इन सबके बीच, भारत के शहरों का इतनी बड़ी संख्या में सामने आना वाकई एक बड़ी चेतावनी है.

कितनी आबादी के सामने होगी मुसीबत?
इन 100 शहरों में वर्तमान में करीब 35 करोड़ की आबादी रहती है. अनुमान के मुताबिक 2020 में इस आबादी में 2050 तक 51 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है. बयान में कहा गया है कि ये आंकड़े देने का मकसद यही है कि इनके आधार पर भविष्य के लिए योजनाएं और रणनीति बनाई जा सके. अब ध्यान देने की बात यह है कि भारत के लिए इसमें क्या महत्वपूर्ण है.

 

स्मार्ट सिटी योजना पर ज़ोर क्यों?
WWF के विश्लेषण में भारत के स्मार्ट सिटी प्लान पर ज़ोर दिया गया है क्योंकि यहां भारी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण कार्य ज़ोरों पर है. कहा गया है कि स्मार्ट शहरों में जल प्रबंधन के फ्रेमवर्क पर गौर किया जाना चाहिए. शहरी इलाकों में नम भूमि और वॉटरशेडों की भूमिका शहरों में पानी का संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है. इस तरह की योजनाओं से भविष्य में बाढ़ जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा और जैव विविधता का खयाल रखना भी ज़रूरी होगा.

दुनिया में कहां है सबसे ज़्यादा खतरा?
भारत के शहरों के इतर इस लिस्ट में टॉप पर कौन है? मिस्र के शहर एले​ग्ज़ेंड्रिया को पानी संबंधी खतरे बढ़ने की इस लिस्ट में टॉप पर रखा गया है. इसके बाद मक्का, चीन के टांगशान और सऊदी अरब के ही अद दम्माम और रियाद शहर भी लिस्ट में शामिल हैं. इस लिस्ट में सबसे पीछे 10 शहरों में सिएरा लिओन के फ्रीटाउन, चीन के ताइयुआन, वेनलिंग, गुइयांग, यानताई और जियाग्ज़िंग के नाम हैं.

100 शहरों की लिस्ट में अन्य प्रमुख शहरों में बीजिंग, जकार्ता, जोहानिसबर्ग, इस्तांबुल, हांग कांग और रिओ डि जेनेरियो के नाम भी हैं. इन तमाम शहरों में शहरी नम भूमि और वॉटरशेडों के सही प्रबंधन की सलाह दी गई है. ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के मुताबिक वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट, पानी प्लांटों और सप्लाई नेटवर्कों के लिए ही कम से कम सालाना 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च करना ही समस्या का हल होगा.

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