याज्ञनिक कानपुर पहुँचे
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आज 702km (75%) लगातार साइकल चलाकर कानपुर पहुंच गये हैं।
लोगों का नजरिया… वो तो पागल है…।
मेरा नजरिया…जब कुछ कठिन करने में कन्फ्यूजन हो तो… हनुमान जी की ओर देखो… एक बूटी समझ ना आयी तो पूरा पहाड़ ही उठा लाए…। श्री पितृॆश्वर हनुमान से प्रभु श्रीराम मंदिर तक 11 किलो की चांदी की शिला लेकर जाने का सौभाग्य…
साइकल से क्यों…
500 साल के बाद यह ऐतिहासिक दिन आया है… धर्म और आस्था को लेकर… तो मेरे शहर से… मेरे प्रदेश से… वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए एक संदेश देते हुए कुछ होना चाहिए… ऐसा विचार आया…।
ई पाठशाला के माध्यम से केन्द्रीय मंत्री रित्जुजू लगातार साइक्लिंग को बढ़ावा देने की बात पिछले हफ्ते कर रहे थे… और कॉविड मे इम्यूनिटी को लेकर पूरा देश बात कर ही रहा है…।
धर्म… आस्था से जुड़ा है… आस्था ईश्वर में है… ईश्वर प्रभु श्री राम… श्री राम के साथ हनुमान हैं… हनुमान शक्ति है… बलवान हैं… याने मामला बल से जुड़ गया… हनुमान जी की शिला लेकर जाना है तो कुछ बल तो लगना चाहिए…?
और इसलिए निर्णय लिया कि तीन दिनों में ही साइकल से जाया जाए…।
कई उद्देश्यों को एक साथ पूरा करने का लक्ष्य बनाकर…।
“जय श्री राम” “पितृॆश्वर हनुमान जी से… प्रभु श्रीराम जी” के मंदिर तक दूत बनकर शिला ले जाने का गौरव शहर से मुझे प्राप्त हुआ है…।
विस्तृत जानकारी पितृ-पर्वत पर माननीय भाई सा. कैलाश विजयवर्गीय ने दी
मन की बात….
ऐतिहासिक पल अयोध्या में… तो मैं यहां क्या कर रहा हूँ…।
जुलाई 92 में रामलला के दर्शन करने गया था… कथित बाबरी मस्जिद विध्वंस 6 दिसम्बर की शाम कलकत्ता से दूसरे दिन खंडवा स्टेशन पर रात 1 बजे तक… बहुत करीब से उन पलों को जीया… याने यादें जुड़ी हैं… प्रभु श्री राम की अयोध्या से…।
द्वारका से डिब्रूगढ़ साइकल यात्रा के दौरान अयोध्या रुकना हुआ… तब तय किया था कि मंदिर निर्माण होने पर साथियों के साथ साइकल यात्रा करते हुए… दर्शन करने आना है…।
किन्तु कुछ सालों का और इंतजार नहीं कर पा रहा हूँ… लगभग 960km का सफर तीन दिनों में साइकल से तय करना है…।
सिर्फ तीन दिन का सफर…?
नहीं 500 साल और तीन दिन लग गए इस सफर में…??? नीरज याज्ञनिक