योगी का दावा कि महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली ‘भोपाल’ है… कौशल किशोर चतुर्वेदी

योगी का दावा कि महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली ‘भोपाल’ है…

महर्षि पतंजलि शुंग वंश के शासनकाल में थे। डॉ. भंडारकर ने पतंजलि का समय 158 ई. पू., द बोथलिक ने पतंजलि का समय 200 ईसा पूर्व एवं कीथ ने उनका समय 140 से 150 ईसा पूर्व माना है। उन्होंने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेघ यज्ञ भी सम्पन्न कराया था। इनका जन्म गोनार्ध (गोंडा,उ०प्र०) में हुआ था, बाद में वे काशी में बस गए। ये व्याकरणाचार्य पाणिनी के शिष्य थे। काशीवासी आज भी श्रावण कृष्ण 5, नागपंचमी को छोटे गुरु का, बड़े गुरु का नाग लो भाई नाग लो कहकर नाग के चित्र बाँटते हैं क्योंकि पतंजलि को शेषनाग का अवतार माना जाता है।
पर पतंजलि के जन्म स्थान को अब चुनौती दी है,आध्यात्मिक, प्राणयोग गुरु योगी योगानंद ने। उनका दावा है कि भोपाल ही विश्व योग राजधानी और महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली है। भोपाल, जिसे अब तक झीलों और हरियाली के लिए जाना जाता था, जल्द ही विश्व योग राजधानी के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। यह कम ही लोग जानते हैं कि योग के जनक महर्षि पतंजलि का जन्म भोपाल के समीप गोंदरमऊ (प्राचीन नामक : गोनर्द) में हुआ था। इस ऐतिहासिक सत्य को आध्यात्मिक ,प्राणयोग गुरु योगी योगानंद ने वर्षों के अध्ययन और शोध के माध्यम से प्रमाणित किया है।

योग साधना के अग्रणी और योग सूत्र के रचयिता महर्षि पतंजलि के जन्मस्थान को लेकर विद्वानों में बहस और विवाद की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में भोपाल निवासी योगी योगानंद (योगेंद्र मिश्रा) ने अपने छह वर्षों के गहन शोध के बाद “महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान – साक्ष्यों का ऐतिहासिक अन्वेषण” नामक पुस्तक में नई जानकारी प्रस्तुत की है। इस पुस्तक में उन्होंने 99 प्रमाण प्रस्तुत किए हैं जिनसे पतंजलि के जन्मस्थान के रूप में भोपाल के गोंदरमऊ की पुष्टि होती है। उनका दावा है कि यह गोंदरमऊ लालघाटी से 4 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट के पास स्थित है, जिसका प्राचीन नाम गोनर्द था, जो प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध नगर था। योगी योगानंद के अनुसार, महर्षि पतंजलि विदिशा के शुंग वंश के सम्राट पुष्यमित्र शुंग के राज पुरोहित थे। उन्होंने सम्राट द्वारा किये गए दो अश्वमेध यज्ञों में पुरोहित का दायित्व संभाला था। इस शोध में, उन्होंने पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर, डॉ. नारायण व्यास, बालकृष्ण लोखंडे, और डॉ. श्याम सुन्दर सक्सेना द्वारा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के तत्वावधान में गोंदरमऊ में किए गए खुदाई के प्रमाणों का भी सहारा लिया है। इसके अतिरिक्त, इस पुस्तक में राहुल सांस्कृत्यायन और पद्मश्री डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित द्वारा पतंजलि के जन्मस्थान के रूप में गोंदरमऊ की पहचान करने का उल्लेख है। योगी योगानंद की इस पुस्तक में दिए गए अन्य प्राचीन ग्रंथों और विद्वानों के उल्लेख भी इस तथ्य को मजबूती प्रदान करते हैं कि महर्षि पतंजलि का वास्तविक जन्मस्थान गोंदरमऊ है, जो भोपाल में स्थित है। इसके अलावा राजाभोज,महर्षि चक्रपाणि, विज्ञानभिक्षु, बौद्ध ग्रन्थ महमयूरी ,कुमारिल भट्ट, लक्ष्मण सेन, डॉ. भास्कर त्रिपाठी,डॉ. निर्लिम्प त्रिपाठी, वराहमिहिर ,सोमदेव, बौद्ध ग्रन्थ सुत्तनिपात,भर्तहरि सहित अनेक साक्ष्य अपनी पुस्तक में दिए हैं जिनके आधार पर यह सिद्ध होता है कि महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान भोपाल स्थित गोंदरमऊ ही है।


यह शोध न केवल योग के इतिहास को नई दिशा देता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक की प्रामाणिकता को भी सिद्ध करता है। योगी योगानंद का यह योगदान निस्संदेह वैश्विक योग समुदाय और ऐतिहासिक शोधकर्ताओं के लिए एक अनमोल निधि है। योगी योगानंद (योगेंद्र मिश्रा) ने अपने गहन शोध के माध्यम से यह सिद्ध किया कि महर्षि पतंजलि, पाणिनी, और महर्षि चरक वास्तव में एक ही व्यक्ति के तीन विभिन्न नाम हैं। इस व्यक्तित्व ने भारतीय ज्ञान और संस्कृति को तीन अमूल्य ग्रंथ दिए हैं: पाणिनी के रूप में ‘अष्टाध्यायी’, महर्षि चरक के रूप में ‘चरक संहिता’, और पतंजलि के रूप में ‘योगसूत्र’।
योगी योगानंद ने अपनी खोज को साक्ष्यों के साथ मजबूत किया है। उन्होंने राजा भोज की ‘भोजवृत्ति’, विद्वान भर्तहरि, वाचस्पति मिश्र, नारायण भट्ट, और राहुल सांस्कृत्यायन के लेखन को आधार बनाया। डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित, हुकुमचंद शंकुशन, विदेशी विद्वान चार्ल्स मूर और जेम्स वुड के साथ-साथ भारतीय दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सुरेंद्र नाथ दास के कार्यों से भी सहायता ली है।इस शोध का महत्व इस बात में है कि यह न केवल एक व्यक्ति की बहुआयामी प्रतिभा को उजागर करता है, बल्कि यह भारतीय विद्या के तीन प्रमुख क्षेत्रों – भाषा विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र और योग के बीच समन्वय को भी दर्शाता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय विद्वानों ने कैसे विभिन्न विषयों में महारत हासिल की थी और उन्होंने अपनी ज्ञान संपदा को विविध रूपों में विकसित किया था।
योगी योगानंद ने हाल ही में महर्षि पतंजलि की 27 साधनाओं और 9 ध्यान विधियों का एक महत्वपूर्ण संकलन प्रस्तुत किया है। ये तकनीकें, जो कि संस्कृत सूत्रों से निकाली गई हैं, अब तक योग साधकों और आम जनमानस से अधिकांशत: अज्ञात रही हैं। योगी योगानंद ने इन्हें न केवल सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया है बल्कि प्रत्येक साधना और ध्यान विधि का वैज्ञानिक विश्लेषण भी किया है, जिससे इनकी प्रामाणिकता और उपयोगिता दोनों सिद्ध होती हैं। ये साधनाएं विभिन्न योगिक क्रियाओं और अभ्यासों पर केंद्रित हैं जिनमें आसन, प्राणायाम, धारणा और ध्यान के विशिष्ट रूप शामिल हैं। प्रत्येक साधना की विशेषता यह है कि इसे विशेष रूप से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
तो योगी योगानंद का यह शोध भोपाल को योग की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान देने में सफल हो। महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के रूप में गोंदरमऊ को मान्यता मिले ताकि भोपाल गौरवान्वित हो। भोपाल शोध, ध्यान और साधना के केंद्र के रूप में विकसित हो। योगी योगानंद ने पुस्तक के अंतिम भाग में उन सभी विन्दुओं पर प्रकाश डाला है, जिनके आधार पर भोपाल विश्व योग कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बना सकता है। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि योगी योगानंद का यह शोध हर कसौटी पर खरा उतरे और भोपाल पतंजलि की जन्मस्थली के रूप में खुद पर गर्व महसूस करे…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

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