विद्यासागर जी के गुणों का अनुकरण जरूरी है…कौशल किशोर चतुर्वेदी

 

विद्यासागर जी के गुणों का अनुकरण जरूरी है…

आचार्य विद्यासागर जी तप, त्याग, सेवा, संयम, समर्पण की प्रतिमूर्ति थे। व्यक्तिगत जीवन में तप, संयम, त्याग, सेवा, समर्पण जैसे शब्द उनके व्यक्तित्व के सम्मुख छोटे पड़ जाते हैं। आचार्य विद्यासागर जी ने अपने जीवन में सभी आवश्यक नियमों का पालन किया। संत परंपरा का अनुसरण करते हुए उनके प्रकृति के साथ संबंध, जीवन शैली, मानव सेवा और समाज को मार्गदर्शन के माध्यम से वे अपने जीवन काल में ही देवता के रूप में स्वीकारे जाने लगे। जिसको भी आचार्य श्री के दर्शन का सौभाग्य मिला, वह उनके व्यक्तित्व की पूजा करने लगा। उनके प्रति नतमस्तक हो गया। ऐसे संत के बारे में शब्द ‘भूतो न भविष्यति’ पूरी तरह से सही साबित होते हैं। मुझे भी आचार्य श्री के दर्शन का सौभाग्य मिला, यह जीवन की अमूल्य उपलब्धि है। भोपाल में संत शिरोमणि विद्यासागर जी का स्मृति स्थल बनेगा, यह सुखद और संतुष्टिदायक है।

विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति दिवस पर विधानसभा परिसर में आयोजित गुरु गुणानुवाद सभा निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मध्यप्रदेश सरकार की संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज को सच्ची श्रद्धांजलि है। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया अनुराग जैन भी इसके लिए बधाई के पात्र हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने साझा किया कि उन्हें नेमावर में संत-श्री के सानिध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। साक्षात देवता के दर्शन के समान प्रतीत होता संत-श्री का अलौकिक व्यक्तित्व जीवन को धन्य करने वाला था। जैन और सनातन दर्शन में आत्मा की भूमिका आवागमन की बताई गई है। यह माना जाता है कि वस्त्र बदलने के समान ही पवित्र आत्मा शरीर बदलती है। इस दृष्टि से यह मानना कि महाराज जी हमारे बीच नहीं है, व्यर्थ है। वास्तविकता यह है कि उन्हें स्मरण करने और मन की आंखों से देखने के क्षणिक प्रयास मात्र से ही आचार्य श्री विद्यासागर जी के आस-पास होने की सहज अनुभूति होती है। उनके व्यवहार, स्वरूप और विचार के प्रभाव के परिणाम स्वरूप सभी व्यक्ति उन्हें अपना मानते थे। प्रदेशवासियों में संत-श्री के प्रति इतने अपनत्व और आदर का भाव था कि यह किसी को अनुभूति ही नहीं होती थी कि वे कर्नाटक से हैं।

वास्तव में कहा जाए तो संत श्री के पास पहुंचकर किसी को भी यह अनुभूति नहीं होती थी कि वह जैन समाज से हैं। और उन्होंने सभी के प्रति हमेशा समभाव रखा। लाखों लोगों ने उनके दर्शन और प्रेरणा से मांस-मदिरा का आजीवन परित्याग कर दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के यह उद्गार सही ही हैं कि आचार्य श्री विद्यासागर जी ने अपनी इच्छा शक्ति से जीवन के कई क्षेत्रों में समाज को दिशा दी। स्वरोजगार के क्षेत्र में जेल से लेकर समाज में महिलाओं को रोजगार देने का मार्ग प्रशस्त किया। गौ-माता की भी उन्होंने चिंता की तथा गौ-माता के माध्यम से लोगों के जीवन और प्रकृति में बदलाव के लिए गतिविधियों को प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में की गई उनकी पहल अनुकरणीय है। आचार्यश्री ने अपने विचार, भाव और कर्म से समाज को प्रकृति व परमात्मा के समान पुष्पित-पल्लवित, प्रेरित करने का कार्य किया। संत-श्री का विचार था कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा सभी के लिए सुलभ होना चाहिए। वे भाषाओं की समृद्धि पर विशेष ध्यान देते थे, उनका विचार था कि भाषाओं की विविधता की जानकारी से भारत की आंतरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है और ज्ञान के लिए भाषाओं की समृद्धि आवश्यक है।

प्रदेश में खुले में मांस की दुकानों को भी बंद किया गया। तेज ध्वनि को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार संवदेनशील है। प्रदेश में शराब बंदी की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू की गई। समाज में इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है। अगर मध्यप्रदेश सरकार आचार्य श्री के विचारों को आदर्श मानते हुए इस दिशा में कदम बढ़ा रही है, तो डॉ. मोहन यादव की सोच अनुकरणीय है। वास्तव में राजधर्म यही कहता है कि श्रेष्ठतम संत आचार्य विद्यासागर के गुण, आचरण और विचारों का अनुकरण सभी करें, बस यही जरूरी है। तब भ्रष्‍टाचार खत्म हो सकेगा, अपराध मुक्त राज्य की कल्पना साकार होगी और सर्वे भवंतु सुखिन: का मंत्र चरितार्थ हो सकेगा…।

 

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

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