पीड़ित डॉक्टर के पास हेयर ट्रांसप्लांट की इन्क्वायरी के लिए गया था।
इंदौर में हेयर ट्रांसप्लांट कंसल्टेंसी के लिए डॉक्टर के पास गए युवक के साथ फ्रॉड हो गया। किस्तों में पेमेंट देने के लिए तुरंत लोन करवा दिया गया। युवक ने आपत्ति ली तो प्रोसेस का हवाला देते हुए बात को टाल दिया गया। बाद में बैंक से भी लोन सैंक्शन का मैसेज आया और किस्त कब से और कितनी देनी होगी ये बता दिया गया।
पीड़ित प्रभात दुबे ने दोबारा हेयर ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर से बात की और प्रोसेस को रोकने के लिए कहा मगर कुछ नहीं हुआ। बैंक से भी मदद मांगी, लेकिन उन्होंने भी कस्टमर को जिम्मेदार ठहराया। सैंक्शन लोन पर अब पैनल्टी भी लगा दी गई है। पुलिस से शिकायत करने पर भी निराकरण नहीं हुआ। आखिरकार प्रभात ने जिला कोर्ट में प्राइवेट कम्प्लेन लगाकर न्याय की गुहार लगाई है।
जानिए हेयर ट्रांसप्लांट के चक्कर में ठगी के शिकार हुए पीड़ित प्रभात दुबे की कहानी उसी की जुबानी…
मुझे हेयर ट्रांसप्लांट करवाना था। मैं फोर्टमैक्स क्लिनिक पर पिछले साल जून 2023 में गया था। वहां डॉक्टर जितेंद्र सिंह मिले। मुझे हेयर ट्रांसप्लांट की इन्क्वायरी करना थी। उन्होंने कुल 75 हजार का खर्च बताया। ये भी कहा कि पेमेंट किस्तों में कर देना। हेयर ट्रांसप्लांट के लिए लोन करवा देंगे। फिर मेरा सिबिल स्कोर चेक करने की बात कही। मैं उन्हीं के पास बैठा था। उनके पास टेबलेट था। लोन की पात्रता चेक करने की बात कही। मेरे मोबाइल पर एक ओटीपी आया। उन्होंने ओटीपी पूछा मैंने बता दिया। फिर मुझे लोन के मैसेज आने लगे। उन्होंने कहा कि बिना आपकी और हमारी परमिशन के लोन नहीं होगा। फिर मैं घर आ गया।
पीड़ित प्रभात दुबे ने 22 सितंबर को जिला कोर्ट में प्राइवेट कम्प्लेन लगाई है।
मैंने फोन कर शॉपसे के कस्टमर केयर से बात की। उन्होंने बताया कि 68 हजार रुपए का लोन हो गया है। मैंने मना किया। कस्टमर केयर से कहा कि इसे कैंसिल कर दीजिए। जवाब मिला कि ये मर्चेंट की साइड से कैंसिल होगा। मैंने डॉ. जितेंद्र सिंह को फोन किया। उन्हें लोन कैंसिल करने के लिए कहा। वो कहने लगे कि ये एक प्रोसिजर है। आप परेशान मत होइए और फोन रख दिया। अगले दिन सुबह मोबाइल पर आईसीआईसीआई बैंक से मैसेज आया। इस बैंक में मेरा अकाउंट है। मैसेज था- आपका लोन हो गया है और अगस्त 2023 से करीब 6 हजार रुपए प्रति महीने की किस्त शुरू हो जाएगी। मैंने दोबारा डॉ.जितेंद्र सिंह को फोन किया। उन्हें कहा कि आप मेरे साथ फ्रॉड कर रहे हो। हेयर ट्रांसप्लांट लोन कैंसिल कीजिए। उन्होंने फिर यही बात कही कि ये एक प्रोसेस है। अगर आपको ट्रीटमेंट नहीं लेना है तो कैंसिल कर देंगे। मैंने कहा कि मैं इन्क्वायरी के लिए आया था, ट्रीटमेंट लेने के लिए नहीं । फिर डॉक्टर बोले कि अगर आप फ्रॉड करने का आरोप लगाओगे तो मैं आपकी कोई मदद नहीं करूंगा। आप कोर्ट चले जाएं।
ट्रीटमेंट नहीं लेने का मेल करवाया, लेकिन लोन नहीं रुका डॉक्टर ने कुछ समय बाद मुझसे शॉपसे ऐप ई-मेल करने को कहा। इसमें फैमिली प्रॉब्लम की वजह से ट्रीटमेंट नहीं लेने की बात लिखवाई। उनके कहने पर शॉपसे को मेल किया, लेकिन फिर भी लोन खत्म नहीं किया गया।
अगस्त 2023 में विजय नगर थाने में आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुझसे कहा कि ओटीपी आपने दिया है तो पुलिस-प्रशासन इसमें कुछ नहीं करेगा।
धोखे से लोन सैंक्शन कराया, अब बैंक धमकी दे रहा पीड़ित प्रभात दुबे ने बताया, इन्क्वायरी के दौरान डॉक्टर जितेंद्र सिंह को सिर्फ मेल आईडी और मोबाइल नंबर बताया था। लोन की तो कोई बात ही नहीं हुई। शॉपसे इंस्टेंट लोन ऐप है। जो बैंक के जरिए तुरंत लोन उपलब्ध करा देता है।
लोन मैसेज पर सपना संगीता स्थित आईसीआईसीआई बैंक को मैसेज भी किया। इसी बैंक में मेरा सैलरी अकाउंट है। बैंक के कस्टमर केयर से बात भी हुई। उन्होंने कहा कि आपने ओटीपी दिया है, हम कुछ नहीं कर सकते और अब पेमेंट करने के लिए लगातार फोन कर रहे हैं। उनका कहना है कि पेमेंट करना मेरी जिम्मेदारी है।
मुझे धोखे में रखकर 68 हजार रुपए का लोन सैंक्शन किया था। पैनल्टी लगाकर अमाउंट 92 हजार रुपए हो गया है। लोन लेने के लिए बैंक से किसी प्रकार की कोई बात नहीं की। फ्रॉड होने के बाद उन्हें जानकारी दी। आरबीआई को भी मेल किया, लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आया। अब बैंक वाले नोटिस देने की धमकी दे रहे हैं।
पुलिस कमिश्नर को शिकायत, क्राइम ब्रांच पहुंचा मामला जनवरी 2024 में मैं पुलिस कमिश्नर को शिकायत की। वहां से आवेदन क्राइम ब्रांच में चला गया। मुझे नोटिस देकर बुलाया और मेरा स्टेटमेंट लिया। डॉक्टर को भी नोटिस भेजा, लेकिन वहां से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। बाद में डॉक्टर के यहां से मैनेजर आया। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। डॉक्टर के अकाउंट में 68 हजार रुपए सीज जरूर कर दिए हैं।
डॉक्टर जितेंद्र सिंह जिन पर धोखाधड़ी का आरोपी लगा है।
हम कस्टमर को बता देते हैं कि पेमेंट कैश देना है या किस्तों में। लोन कस्टमर और बैंक के बीच होता है। हम सर्विस प्रोवाइडर हैं। बैंक दो-तीन दिन बाद अमाउंट भेजती है। कस्टमर मना कर सकता है। फर्जी लोन का आरोप है, तो वो तो बैंक ने किया है। जो लोन अमाउंट मेरे खाते में आया है वो मैं लौटाने को तैयार हूं, लेकिन फ्रॉड वाली बात गलत है।
– डॉ.जितेंद्र सिंह, फोर्ट मैक्स क्लिनिक