आईपीएल के प्रायोजक बदलने से बीसीसीआई को 218 करोड़ का नुक़सान

प्रायोजक बदल देने से बीसीसीआई को इस डील में 218 करोड़ का नुक़सान हुआ है। यह बात ग़ौरतलब है कि नए प्रायोजक ड्रीम 11 में भी चीनी कंपनी का हिस्सा है।

IPL 2020 के लिए चाइनीज कंपनी VIVO की जगह नए टाइटल स्पॉन्सर का ऐलान हो गया है. VIVO को सीजन 13 से हटाए जाने के बाद Dream 11 को इस साल IPL की टाइटल स्पॉन्सरशिप मिली है. IPL के चेयरमैन बृजेश पटेल ने PTI से कहा कि Dream 11 ने 222 करोड़ रुपये में IPL 2020 सीजन के लिए स्पॉन्सरशिप राइट्स खरीदे हैं.
बता दें कि यह बोली VIVO के सालाना 440 करोड़ रुपये से 218 करोड़ रुपये कम है. ड्रीम 11 ने चीनी कंपनी VIVO की जगह लगभग साढ़े चार महीने के लिए टाइटल प्रायोजन का अधिकार हासिल किया. टाइटल प्रायोजन अधिकार की होड़ में टाटा समूह भी शामिल था. हालांकि यह पता चला कि टाटा समूह ने अंतिम बोली नहीं लगाई. आईपीएल का आयोजन 19 सितंबर से 10 नवंबर तक इस साल संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में किया जाएगा.
बीसीसीआई ने वीवो से कॉन्ट्रैक्ट तोड़ा, लेकिन ड्रीम-11 में भी चीन की कंपनी का निवेश
बीसीसीआई ने पिछले दिनों चीन की मोबाइल कंपनी वीवो से टाइटल स्पॉन्सरशिप का कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया था। गलवान घाटी में भारतीय जवानों की शहादत के बाद बीसीसीआई पर वीवो से डील पर दोबारा विचार करने का दबाव बढ़ा था। अब वीवो की जगह ड्रीम-11 के साथ डील हुई है, लेकिन इस कंपनी में भी चीन का पैसा लगा है। चीन की टेक कंपनी टैंसेंट ने 2018 में ड्रीम-11 में 10 करोड़ डॉलर (720 करोड़ रुपए) का निवेश किया था।

बीसीसीआई की दलील: ड्रीम-11 में टैंसेंट की सिर्फ 10% हिस्सेदारी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों का कहना है कि बीसीसीआई ने ड्रीम-11 में टैंसेंट के निवेश की अनदेखी करने के पीछे दलील दी है। बीसीसीआई का कहना है कि ड्रीम-11 देसी कंपनी है। इसके फाउंडर हर्ष जैन और भावित सेठ समेत 400 से ज्यादा कर्मचारी भारतीय हैं। टैंसेंट के पास सिर्फ 10% शेयर हैं। ड्रीम-11 सिर्फ भारतीय यूजर्स के लिए है।

टाटा सन्स दौड़ में थी, लेकिन बोली नहीं लगाई
सूत्रों के मुताबिक, टाटा सन्स ने आखिरी दौर के लिए बोली नहीं लगाई। जबकि, दो एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनियां बायजू (210 करोड़ रुपए) और अनएकेडमी (170 करोड़ रुपए) दूसरे और तीसरे नंबर पर रहीं।

बोर्ड ने टाइटल स्पॉन्सरशिप की रकम 90 करोड़ रुपए कम की
बीसीसीआई ने भारतीय कंपनियों को लुभाने के लिए स्पॉन्सरशिप की रकम को पहले की तुलना में कम कर दिया था। पहले यह रकम 440 करोड़ रुपए सालाना थी। बोर्ड ने नई बिडिंग के लिए रकम घटाकर 300 करोड़ से 350 करोड़ रुपए सालाना कर दी थी। हालांकि, ड्रीम-11 को टाइटल स्पॉन्सरशिप 222 करोड़ रुपए में ही मिली है।

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