एमपी सहित देश के 16 राज्यों में 10 हजार करोड़ से अधिक की ठगी कर सागा ग्रुप का सीएमडी समीर अग्रवाल दुबई में छिपा है। उसकी गिरफ्तारी पर एमपी और यूपी पुलिस ने 50-50 हजार रुपए इनाम का ऐलान किया है। सीबीआई ने भी उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
किस तरह सागा ग्रुप ने 15 साल में ठगी का नेटवर्क खड़ा किया और लोगों को अलग-अलग स्कीम्स के जरिए ठगा। अब पार्ट-2 में पढ़िए कि कैसे सट्टा खिलाने वाला समीर अग्रवाल एक ग्रुप का सीएमडी बना? किस तरह फिल्मी हस्तियां और नेता उसके एक इशारे पर सागा ग्रुप के कार्यक्रमों में पहुंचते थे।
सिलसिलेवार जानिए कैसे ठगी के पैसे से प्रॉपर्टी बनाई
समीर अग्रवाल: मुंबई के मटका सट्टा से जुड़ा, वहीं से मिला ठगी का आइडिया
समीर अग्रवाल का लेटेस्ट अपडेट ये है कि वह दुबई में रहता है, लेकिन उसने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल एक छोटे से देश सेंट क्रिस्टोफर और नेविस की नागरिकता ले ली है। इस देश का उसका नया पासपोर्ट भी बन चुका है। उसकी पत्नी, मां और दोनों बेटियां नवी मुंबई में रहते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि दिखावे के तौर पर उसने पत्नी से तलाक लिया है।
पिछले 16 साल में समीर ने सागा ग्रुप के जरिए करोड़ों रुपए कमाए हैं। मप्र के मुरैना जिले के टेंट्रा गांव का रहने वाला समीर का परिवार दो पीढ़ियों पहले इंदौर शिफ्ट हो गया था। समीर के पिता राजेंद्र अग्रवाल एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। समीर उनका इकलौता बेटा है।
साल 2008 में उसने ग्रेजुएशन किया, पढ़ाई के दौरान ही वह मुंबई से ऑपरेट होने वाले मटका सट्टा से जुड़ा और इंदौर में उसका बुकी बन गया। उस समय चिटफंड कंपनियों की देश में बाढ़ सी आई हुई थी। समीर ने भी 2009 में पहली चिटफंड कंपनी खोली और उसके बाद से लगातार फर्जी कंपनियां बनाकर लोगों से पैसा ऐंठता रहा। साल 2012 के बाद समीर इंदौर छोड़कर नवी मुंबई शिफ्ट हो गया।
भोपाल में केस को रफा-दफा करने 4 करोड़ खर्च किए समीर अग्रवाल बड़ी ही चालाकी से कंपनी और सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन ड्राइवर और नौकरों के नाम पर कराया, जिससे सीधे वह किसी कानूनी फंदे में न फंसे। साल 2020 में श्री स्वामी विवेकानंद सोसाइटी के खिलाफ पहली एफआईआर भोपाल के पिपलानी थाने में दर्ज हुई थी।
अवधपुरी में रहने वाले अंकित मालवीय ने शिकायत में लिखा कि समीर अग्रवाल, रवि तिवारी, आरके शेट्टी और अन्य ने मिलकर पैसा दोगुना करने का झांसा दिया। इस तरह से उन्होंने कई लोगों को ठगा है। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद समीर अग्रवाल भोपाल आया था। उसने शिकायतकर्ता अंकित मालवीय से समझौता कर केस को रफा-दफा किया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उस दौरान उसने 4 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इस केस के बाद समीर दुबई के अबूधाबी शिफ्ट हो गया।
पिता के साथ चाट का ठेला लगाता था, अब होटल का मालिक यूपी के ललितपुर के रहने वाले रवि तिवारी के पिता तिलकराम होमगार्ड जवान थे। तीन भाइयों में सबसे बड़ा रवि साल 2008-09 में पिता के साथ ललितपुर में चाट फुलकी का ठेला लगाता था। साल 2009 में समीर अग्रवाल ने झांसी में एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी का एक कार्यक्रम आयोजित किया था।
रवि अपने रिश्तेदार आलोक के साथ इस कार्यक्रम में पहुंचा था। दोनों ने बतौर एजेंट एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी जॉइन की। उस समय दोनों की उम्र मुश्किल से 17-18 साल रही होगी। दोनों ने बेहद कम समय में कंपनी को करोड़ों का इन्वेस्टमेंट दिलाया और सीधे समीर अग्रवाल के संपर्क में आ गए। समीर ने आलोक को यूपी और उत्तराखंड, जबकि रवि को एमपी का हेड बना दिया।
निवेशकों के पैसों से खुद की प्रॉपर्टी बनाई रवि तिवारी ने निवेशकों की जमा रकम से भोपाल, इंदौर, ललितपुर, टीकमगढ़, झांसी में कई प्लॉट, खेती की जमीन, फार्म हाउस बनाए हैं। उसका परिवार भोपाल के अयोध्या बायपास के पास गीत ग्रीन कॉलोनी में रहता है। करोंद में उसने पिता तिलकराम के नाम से एक होटल एंड रेस्टोरेंट खोला है।
इस होटल में वह कई रसूखदार लोगों को बुलाता है और सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करता है। रवि तिवारी के जरिए जेएलसीसी कंपनी में 600 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट हुआ है। ललितपुर में पीड़ितों की शिकायत के बाद पुलिस ने रवि और उसके भाई विनोद को अगस्त में गिरफ्तार किया। दोनों फिलहाल ललितपुर जेल में हैं।
जूट के बोरे बेचने का कारोबार करता था आलोक ललितपुर के रहने वाले आलोक और रवि तिवारी दोनों ने एक साथ समीर अग्रवाल की कंपनी जॉइन की थी। कंपनी से जुड़ने से पहले आलोक ललितपुर मंडी में जूट के बोरे बेचने का काम करता था। आलोक को समीर अग्रवाल ने यूपी और उत्तराखंड का हेड बनाया था।
उसने एमपी में कंपनी के ब्रांच ऑफिस खोलने में अहम भूमिका निभाई थी। आलोक की ममेरी बहन शैलजा बजाज से रवि तिवारी की शादी हुई है। इस तरह से दोनों रिश्ते में जीजा-साले लगते हैं। आलोक ने अकेले समीर अग्रवाल की जेएलसीसी और यूएलसीसी सोसाइटियों में 1800 करोड़ रुपए के निवेश कराया है।
जूट के बोरे बेचने का कारोबार करता था आलोक ललितपुर के रहने वाले आलोक और रवि तिवारी दोनों ने एक साथ समीर अग्रवाल की कंपनी जॉइन की थी। कंपनी से जुड़ने से पहले आलोक ललितपुर मंडी में जूट के बोरे बेचने का काम करता था। आलोक को समीर अग्रवाल ने यूपी और उत्तराखंड का हेड बनाया था।
उसने एमपी में कंपनी के ब्रांच ऑफिस खोलने में अहम भूमिका निभाई थी। आलोक की ममेरी बहन शैलजा बजाज से रवि तिवारी की शादी हुई है। इस तरह से दोनों रिश्ते में जीजा-साले लगते हैं। आलोक ने अकेले समीर अग्रवाल की जेएलसीसी और यूएलसीसी सोसाइटियों में 1800 करोड़ रुपए के निवेश कराया है।।
यूपी-एमपी में 100 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक आलोक ने ललितपुर, भोपाल, इंदौर में काफी प्रॉपर्टी बनाई है। ललितपुर में वह कई कॉलोनियों में पार्टनर भी है। उसने हैदराबाद में भी प्रॉपर्टी खरीदी है। ललितपुर पुलिस के मुताबिक आलोक जैन के पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
सूरज रैकवार: 12 हजार रुपए सैलरी, 20 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक एलजेसीसी में कैशियर के तौर पर काम करने वाले सूरज को हर महीने 12 हजार रुपए मिलते थे। एलजेसीसी में इन्वेस्टमेंट कर 4 लाख रुपए गंवा चुके जीतू चंदेल के मुताबिक सूरज के पास 20 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी है। उसके पास भोपाल में 5-5 हजार वर्ग फीट के दो प्लॉट, बानपुर में 10 एकड़ खेती की जमीन, टीकमगढ़ के सुभाषपुरा में दो प्लॉट, 7 दुकानें हैं।
इसके अलावा वह चार गाड़ियों का मालिक है। जीतू के मुताबिक उसने टीकमगढ़ में जो मकान बनाया है उसकी कीमत ही 5 करोड़ रुपए है। मकान में विदेशी मार्बल लगा हुआ है। सूरज रैकवार इस समय फरार है और उस पर 25 हजार का इनाम घोषित है।
सागा ग्रुप में कैशियर के तौर पर काम करने वाले सूरज ने टीकमगढ़ में आलीशान मकान बनवाया है।
अंगद कुशवाहा: गंजबासौदा में हम्माल था, अब कॉलोनाइजर विदिशा के गंजबासौदा का रहने वाला अंगद पहले मंडी में हम्माल था। साल 2015-16 में वह समीर अग्रवाल की कंपनी एसएसवी( श्रीस्वामी विवेकानंद सोसाइटी) से बतौर एजेंट जुड़ा। जब भोपाल के पिपलानी थाने में एसएसवी के खिलाफ एफआईआर हुई तो समीर अग्रवाल ने इसे बंद कर एलजेसीसी सोसाइटी शुरू कर दी थी।
अंगद को एलजेसीसी में गंजबासौदा ब्रांच का हेड बना दिया। लोग जो पैसा निवेश करते थे उससे अंगद ने प्रॉपर्टी खरीदी। वह भोपाल में प्लॉट काटने का काम करने लगा। गंजबासौदा पुलिस को अंगद के खिलाफ 25 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। कंपनी का दफ्तर बंद होने के बाद से वह फरार है।
सुबोध रावत: नेताओं से संपर्क, 50 करोड़ का आसामी टीकमगढ़ पुलिस सुबोध रावत को गिरफ्तार कर चुकी है। रावत ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि 2012 में उसकी मुलाकात ललितपुर में अजय तिवारी से हुई थी। तब ऑप्शन वन नाम से कंपनी का संचालन किया जा रहा था। इसके मालिक समीर व पंकज अग्रवाल थे।
अजय के माध्यम से उसकी मुलाकात ललितपुर में आलोक जैन, रवि तिवारी और सुरेंद्र पाल सिंह से हुई। उनके कहने पर वह इस कंपनी से जुड़ा। वह निवेशकों के पैसे आलोक, रवि व सुरेंद्रपाल को भेजता था। इसके बाद इस रकम को झांसी चेस्ट में भेज दिया जाता था। वहां से ये रकम हवाला के जरिए समीर के पास विदेश भेजी जाती थी।
सुबोध रावत के कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के नेताओं से संबंध थे।
सुतीक्ष्ण सक्सेना: एलजेसीसी में पार्टनर, कई प्लॉट और जमीनों का मालिक साल 2020 में जब समीर अग्रवाल की स्वामी विवेकानंद सोसाइटी बंद हुई तो सुतीक्ष्ण सक्सेना की पार्टनरशिप में एलजेसीसी सोसाइटी शुरू की गई। सुतीक्ष्ण ने इन्वेस्टर्स के पैसों से टीकमगढ़ में 26 लाख रुपए में 2000 वर्गफीट का प्लॉट, 900 वर्गफीट का एक डूप्लैक्स भी खरीदा है।
भोपाल के अयोध्या बायपास पर 50 लाख रुपए में 2000 वर्गफीट जमीन, रायसेन-भोपाल रोड पर 4 लाख रुपए में 1200 वर्गफीट का प्लॉट खरीदा है। उसके पास 16 लाख रुपए कीमत की एसयूवी है। उसके एक्सिस बैंक अकाउंट में 50 हजार रुपए जमा है। पत्नी प्रीति के नाम पर उसने एलजेसीसी सोसाइटी में 50 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है।
सागा ग्रुप अपने कार्यक्रम और प्रमोशन के लिए फिल्मी कलाकारों को बुलाता था।
फिल्मी कलाकारों के जरिए कंपनी का प्रमोशन एलजेसीसी की ओर से मुंबई, हैदराबाद, गोवा, लखनऊ, झांसी, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में कार्यक्रम कराए जाते थे। इसमें कंपनी की ग्रोथ और एजेंट्स की लग्जरी लाइफ की नुमाइश की जाती थी। जेएलसीसी कंपनी के कार्यक्रमों में फिल्मी एक्टर श्रेयस तलपड़े से लेकर सुखविंदर सिंह नामी गायक को बुलाया जाता था।
ललितपुर पुलिस ने एक्टर श्रेयस तलपड़े को भी एक एफआईआर में आरोपी बनाया है। एसपी ललितपुर मोहम्द मुश्ताक कहते हैं कि फिल्मी एक्टर ने लोगों को कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है। इस कारण उन्हें भी आरोपी बनाया गया है। उनके मुंबई पते पर नोटिस भेजा गया है।