इंदौर नगर निगम की बकाया जलकर राशि की वसूली के लिए लाई गई स्कीम पर सवाल खड़े हो गए हैं। बकाया राशि भरने पर 50 पर्सेंट की छूट दी जा रही है। मामले में लीगल नोटिस भेजा है। जिसमें जिम्मेदारों से पूछा है कि ये छूट किस नियम के तहत दी गई है। मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम 1956 में ऐसा प्रावधान नहीं है। फैसले वापस लिया जाए। जानिए क्या है पूरा मामला।
25 अगस्त तक लागू है स्कीम
शहर में 1 लाख 88 हजार कनेक्शन का कुल करीब 500 करोड़ रुपए जलकर का बकाया है। ये अमाउंट वित्तीय वर्ष 2022-23 तक का है। इसकी वसूली के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव एक स्कीम लेकर आए है। जिसके तहत बकाया जलकर राशि भरने पर 50 पर्सेंट की छूट मिलेगी। यानी किसी का यदि 1 लाख रुपए बकाया है तो उसे सिर्फ 50 हजार ही भरने पड़ेंगे। स्कीम 5 से 25 अगस्त तक लागू की गई है। शुक्रवार शाम तक 4 हजार 15 लोगों ने जलकर जमा करवाया है। निगम के खजाने में इससे 3 करोड़ 65 लाख रुपए जमा हुए हैं। नगर निगम ने इस स्कीम के प्रमोशन के लिए शहर भर में जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं। वसूली के लिए शिविर भी लगाए जा रहे हैं और पार्षदों को भी वार्ड के हिसाब से बकायादारों की लिस्ट सौंपी गई है।
इसलिए भेजा लीगल नोटिस
स्कीम सामने आने के बाद जो नियमित रूप से जलकर जमा कर रहे हैं, वो अपने आप को ठगा-सा महसूस करने लगे हैं। इसलिए मामले में एडवोकेट अमित उपाध्याय की ओर से प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त शिवम वर्मा को नोटिस भेजा गया है। जिसमें पूछा है कि ये छूट किस नियम के तहत दी गई है। मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम में इतनी छूट देने की व्यवस्था नहीं है। अधिनियम की धारा 132,133,134 में रिकवरी के तरीके है लेकिन 50 पर्सेंट की छूट देना ठीक नहीं है। नियमित जलकर भरने वाले के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए फैसला वापस लिया जाए।
शासन को प्रस्ताव भेज लागू की स्कीम
मामले में मेयर इन काउंसिल से प्रस्ताव पास कराने के बाद स्कीम लाई गई है। निगम की तरफ से शासन को भी प्रस्ताव भेजा गया था। वहां से जो संशोधन बताए गए उसके बाद ही इसे लागू किया गया है। मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम की धारा 187 का हवाला निगम अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है। जिसके तहत बकाया राशि को इस तरह वसूलने का अधिकार है। लेकिन 50 पर्सेंट की छूट दी जा सकती है इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि ये छूट 5 से 20 पर्सेंट की होती तो शायद इतने इस पर सवाल खड़े नहीं होते।