इन दो हजार पन्नों में छिपा है भोजशाला विवाद का स्थायी समाधान…कौशल किशोर चतुर्वेदी

इन दो हजार पन्नों में छिपा है भोजशाला विवाद का स्थायी समाधान…

धार की भोजशाला और कमाल मौलाना मस्जिद परिसर का विवाद अब समाधान की तरफ करवट ले चुका है। भोजशाला पर इंदौर हाईकोर्ट में पेश 2000 पन्नों की एएसआई की रिपोर्ट में भोजशाला विवाद का स्थायी समाधान समाहित है। इसमें समय कितना भी लगे और सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य स्तर तक न्याय की लड़ाई में वक्त भी लगे, पर अंत में न्याय संग ही मामले का पटाक्षेप होना तय है। क्योंकि एएसआई की रिपोर्ट में वही सच छिपा है, जो दोनों पक्षों को पता है। और अब इस कड़वे सच के सामने आने का समय सामने है। एएसआई को मिलीं 94 से ज्यादा टूटी मूर्तियां, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक सच की गवाही गला फाड़-फाड़ कर दे रहे हैं। और आइना दिखाने का काम कर हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई 2024 को इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद का निर्माण पहले के मंदिरों के हिस्सों का उपयोग करके बनाया गया है। 98 दिनों के साइंटिफिक सर्वे के दौरान मिले अवशेषों के आधार पर पहले से मौजूद स्ट्रक्चर परमार (राजवंश) काल की हो सकती है।हिमांशु जोशी का कहना है कि रिपोर्ट 2 हजार पेज की है। इसमें सर्वे और खुदाई के दौरान मिले 1700 से ज्यादा प्रमाण- अवशेष शामिल हैं। हाईकोर्ट इस पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा और तब दूध का दूध और पानी का पानी होकर रहेगा। जैसा कि हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने दावा किया कि ‘भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट से हिंदू पक्ष का दावा 100% साबित हो रहा है। यहां 94 आर्टिकल्स मिले, इनमें टूटी मूर्तियां, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक हैं। इससे प्रतीत होता है कि यहां मां वाग्देवी मंदिर ही था और धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। अलग-अलग टाइम के करीब 30 सिक्के भी इनमें शामिल हैं।

हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल को भरोसा है कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। एएसजी को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह ये परमारकालीन इमारत है। धार के शहर काजी वकार सादिक को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि एएसआई की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है।

तो यही कहा जा सकता है कि भोजशाला विवाद का स्थायी समाधान आने को है। अयोध्या में विवाद के हल के बाद वहां बाल स्वरूप में राम मुस्करा रहे हैं, तो अब धार में मां सरस्वती प्रसन्न मुद्रा में सबको विद्यावान बनने का आशीर्वाद देंगी। और कामना यही है कि धार में अमन-चैन कायम रहे। क्योंकि इन दो हजार पन्नों में भोजशाला विवाद का स्थायी समाधान छिपा है…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

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