रतलाम में शनिवार रात ई-बाइक में चार्जिंग के दौरान हुए ब्लास्ट में 11 साल की अंतरा ने अपनी जान गंवा दी। हादसे के चंद घंटों पहले ही उसने अपनी छोटी बहन विधि के बर्थडे सेलिब्रेशन में जमकर डांस किया था। अंतरा ने मां और बाकी परिवारवालों के साथ खूब इंजॉय किया, लेकिन किसे पता था की कुछ ही घंटों के बाद यह खुशियां मातम में बदल जाएंगी।
बर्थडे सेलिब्रेशन का वीडियो भी परिवार के सदस्यों ने बनाया था। जिसमें अंतरा अपने बहन के जन्मदिन पर नाच रही थी। यहां तक घर के हर एक सदस्य के लिए खुशी के पल थे। अंतरा 6वीं क्लास की स्टूडेंट थी और विंटर वेकेशन में अपने नाना के यहां रतलाम आई थी।
हादसे की सूचना के बाद अंतरा के पिता, दादा-दादी बड़े पापा भी वड़ोदरा से रतलाम पहुंचे। रविवार दोपहर को उसका अंतिम संस्कार रतलाम में ही किया गया। इसके बाद परिवार वाले वड़ोदरा लौट गए।
छोटी बहन के बर्थडे सेलिब्रेशन में खुशी मनाती अंतरा।
हादसे के बाद से कॉलोनी में सन्नाटा
इधर शहर के पीएंडटी कॉलोनी निवासी रिटायर्ड रेलकर्मी भागवत मोरे के घर पर शनिवार रात हुए हादसे के बाद से कॉलोनी में सन्नाटा पसरा है। हर कोई हादसे वाली रात को याद करते हुए कहता है कि भगवान कभी ऐसा दिन ना दिखाए।
हादसे के बाद झुलसे भागवत मोरे को रतलाम मेडिकल कॉलेज से रेलवे हॉस्पिटल में रेफर कर दिया है। नातिन लावण्या के हाथ भी जले हैं, जिसे प्राथमिक इलाज के बाद मेडिकल कॉलेज से छुट्टी दे दी गई है।
जिस कमरे में सेलिब्रेशन, उसी में हादसा
छुट्टी मनाने वड़ोदरा से रुपाली अपने बेटे हर्षल (21) और सोनाली अपनी दो बेटियों अंतरा (11) और विधि (2) को लेकर रतलाम आई थीं। शनिवार को विधि का बर्थडे था। अपनी छोटी बहन के बर्थडे पर अंतरा और मां सोनाली के साथ परिवार के सभी सदस्यों ने जमकर डांस किया।
जिस जगह हादसा हुआ उसी कमरे में चंद घंटे पहले बर्थडे सेलिब्रेशन हुआ। रविवार सुबह 7 बजे वापस गुजरात जाने के लिए रेलवे की टिकट थी।
11 बजे सभी सोए, 2 बजे जोरदार ब्लास्ट
अपनी नातिन का बर्थडे मनाकर परिवार रात 11 बजे सोया था। वहीं, अंतरा के नाना भागवत मोरे रात 12 बजे ई-बाइक को चार्जिंग पर लगाकर सोए थे। रात 2 बजे बाद जोरदार धमाका हुआ और इसमें 11 साल की अंतरा की जान चली गई।
धमाका होते ही घर की लाइट भी बंद हो गई
जिस मकान में हादसा हुआ, वह दो मंजिला है। पहली मंजिल पर भागवत मोरे के दामाद अनिल चौधरी सो रहे थे। इनका एक पैर पहले से फ्रैक्चर है। रात 2 बजे बाद जैसे ही धमाका हुआ तो इनकी नींद खुली। इन्होंने बालकनी से नीचे की तरफ देखा तो धुआं ही धुआं नजर आया।
घर की लाइट भी बंद हो गई। अनिल नीचे उतरे तो आग की लपटें दिखने लगीं। आसपास के लोग भी धमाके की आवाज से जाग गए। सब अपने स्तर पर आग पर काबू पाने और घर के सदस्यों को बाहर निकालने में लग गए।
बच्चों को पड़ोसी की छत से बाहर निकाला
अनिल चौधरी ने बताया कि अंधेरे के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था। घर में नीचे सो रहे सभी सदस्यों के चेहरे तक काले हो गए। सबसे पहले बच्चों को पहली मंजिल पर ले जाकर पड़ोसी की छत की तरफ से सुरक्षित निकाला। ससुर जी भी खुद उठकर घर से बाहर निकलते ही शोर मचाते हुए बेहोश होकर नीचे गिर गए।
सभी को बाहर निकाला, अंतरा नहीं दिखी हादसे के बाद जैसे-तैसे घर के सदस्यों को बाहर निकाला गया। इस दौरान अंतरा नजर नहीं आई। इतनी देर में आग तेज होने लगी थी। लोगों ने सोचा कि कहीं वो अंदर तो नहीं रह गई। तब पड़ोसी और अंतरा की मां और मौसी घर में घुसे। तब वह ब्लैंकेट ओढ़ कर सो रही थी।
उसे उठाकर बाहर लेकर आए, वह बेसुध थी। कमर के नीचे का हिस्सा झुलस गया था। तुरंत उसे और नाना भागवत मोरे को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने अंतरा को मृत घोषित कर दिया। हालांकि पीएम रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि अंतरा की मौत दम घुटने या झुलसने हुई।
पड़ोसियों की मदद से आग पर पाया काबू
हादसे के बाद आसपास रहने वाले सभी पड़ोसी जाग गए। सभी के घरों पर बोरिंग है। जिसका कनेक्शन बाहर ही है। सभी ने अपने बोरिंग से पाइप लगाकर आग बुझाने की कोशिश शुरू की। फायर ब्रिगेड आई तब तक पड़ोसियों ने आग पर काबू पा लिया था।
पड़ोस में रहने वाला पुष्पराज महावर ने बताया कि ब्लास्ट के बाद भागवत अंकल ने मोहल्ले वालों को जगाया। मोहल्ले वालों ने अपने-अपने बोरिंग से आग पर काबू पाया। उसके बाद फायर ब्रिगेड आई। जैसे-तैसे घर के सदस्यों को निकाला गया।
पड़ोसी दिलीप सोलंकी ने बताया कि हादसे के तुरंत बाद एम्बुलेंस व फायर ब्रिगेड को सूचना दी। लेकिन दोनों समय पर नहीं आईं। आसपास के लोगों ने अपनी बोरिंग से पाइप लगाकर आग बुझाई। एम्बुलेंस नहीं आने के कारण मैं कार से भागवत अंकल और अंतरा को लेकर मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचा।
पंखे, सोफा एलईडी आग में जलकर खाक जिस जगह हादसा हुआ, वह मकान का पोर्च है। एक तरफ पलंग पर भागवत मोरे सोए हुए थे तो एक तरफ ई-बाइक चार्जिंग पर लगी हुई थी। दूसरी तरफ एक्टिवा खड़ी थी। उसके सामने गलियारा था। जिस बिजली पॉइंट पर ई-बाइक चार्जिंग पर लगी थी, हादसे के बाद वह बिजली तार का पाइप ही गायब हो गया।
यहां तक कि दोनों गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए। घर के बाहर लगा बिजली मीटर जल गया। हादसे के बाद लगी आग इतनी भयावह थी कि छत पर लगे पंखे की ब्लेड, सोफा, एलईडी सब कुछ जलकर खाक हो गया। इसी कमरे के पास वाले कमरे में सभी लोग सो रहे थे, आग वहां तक पहुंच गई। यहां का भी सारा सामान जल गया।
पुलिस ने घर के अंदर जाने पर रोक लगाई
हादसे के बाद घटना स्थल पर एफएसएल अधिकारी अतुल मित्तल, सीएसपी सत्येंद्र घनघोरिया, थाना औद्योगिक क्षेत्र प्रभारी वीडी जोशी ने पुलिस बल के साथ मौका मुआयना किया है। पुलिस ने ई-बाइक के जले पुर्जों को जप्त कर अपने साथ ले गई है। घर के अंदर पुलिस ने अभी किसी को जाने से मना किया है।
एक दिन पहले ही ई-बाइक बनकर आई थी
भागवत मोरे के दामाद अनिल चौधरी ने बताया कि डेढ़ साल पहले ई-बाइक खरीदी थी। घर के सभी सदस्य उसे चलाते थे। बैटरी खराब होने पर 15 से 20 दिन पहले ही सुधारने के लिए दिया था। तब से गाड़ी शोरूम में थी। 3 जनवरी को ही गाड़ी घर लाए थे। इसके बाद इसे एक बार चार्ज किया था।
शनिवार रात दूसरी बार चार्जिंग पर लगाया तो धमाका हो गया। हादसे के बाद से परिवार के सदस्य ज्यादा कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। हालांकि ई-बाइक कंपनी के खिलाफ शिकायत करने की बात जरूर कह रहे हैं।
भागवत की 5 बेटियां, दो उन्हीं के साथ भागवत मोरे की पांच बेटियां है। पत्नी का नाम कला मोरे है। सबसे बड़ी बेटी दीपाली चौधरी भोपाल रहती है। दूसरे नंबर की बेटी रुपाली चौधरी गुजरात के वड़ोदरा में रहती है। तीसरी बेटी वैशाली चौधरी अपने पति अनिल चौधरी और बेटी लावण्या के साथ रतलाम में ही अपने माता-पिता के साथ रहती है।
चौथी बेटी सोनाली (अंतरा की मां) वड़ोदरा रहती है। सबसे छोटी बेटी मोनाली की शादी नासिक में हुई है। मोनाली भी रतलाम में अपने बेटे कुशल (7) के साथ माता-पिता के घर रहती है।
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