आजादी के बाद के सच्चे महापुरुष हैं डॉ.पी. वेणुगोपाल…इनके नाम पर हो दिल्ली एम्स का नामकरण…कौशल किशोर चतुर्वेदी

आजादी के बाद के सच्चे महापुरुष हैं डॉ.पी. वेणुगोपाल…इनके नाम पर हो दिल्ली एम्स का नामकरण…

देश को आजादी दिलाने वाले नेताओं या उससे पहले मुगल शासकों या विदेशी ताकतों से लोहा लेने वाले राजाओं के नाम के साथ महापुरुषों की पहचान हर भारतीय के जेहन में है। पर वास्तव में आजादी के बाद के महापुरुषों को जानने की जरूरत अब हम सभी को है। ऐसे ही एक महापुरुष का नाम है डॉ. पी. वेणुगोपाल। भारत में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाले पद्म भूषण डॉक्टर हैं वेणुगोपाल। इनका निधन 8 अक्टूबर 2024 को हुआ है। डॉ. वेणुगोपाल को चिकित्सा क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 1998 में देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण देकर सम्मानित किया था। भारत में पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट साल 1994 में तीन अगस्त को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ था। इस ऑपरेशन को डॉ. पी. वेणुगोपाल की अगुवाई में डॉक्टरों की टीम ने किया था। जिसके बाद से हर साल तीन अगस्त को भारत में हृदय प्रत्यारोपण दिवस के रुप में मनाया जाता है। हालांकि इससे पहले 1968 में मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉ. पीके सेन ने हार्ट ट्रांसप्लांट की कोशिश की थी। लेकिन यह सफल नहीं हो पाया था, इसमें मरीज की मौत हो गई थी।
डॉ. पी. वेणुगोपाल क्यों महापुरुष हैं, इसका जवाब हमें उनके कार्यों और उनके आचरण-उपलब्धियों में मिल जाता है। डॉ. वेणुगोपाल 16 साल की उम्र में एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले एम्स टॉपर भी रहे थे। हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी योगदान देने वाले डॉ. वेणुगोपाल ने भारत का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट तो किया ही था, इसके अलावा अपने कार्यकाल में डॉ. वेणुगोपाल ने 50 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी की थी। मई 1994 में भारतीय संसद में अंग प्रत्यारोपण विधेयक 1994 पारित किया गया, जिसने भारत में अंग प्रत्यारोपण को वैध बना दिया। यह विधेयक अंतिम मंजूरी के लिए भारत के राष्ट्रपति के पटल पर था, जब वेणुगोपाल ने डॉक्टरों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए 3 अगस्त 1994 को हार्ट ट्रांसप्लांट का पहला सफल प्रदर्शन किया थी। वहीं 2005 में उनके हार्ट की भी सर्जरी हुई थी। देश व दुनिया भर में नाम कमाने वाले डॉ. वेणुगोपाल ने अपना इलाज विदेश के किसी अस्पताल में कराने की बजाय एम्स में कराया और अपने हार्ट का ऑपरेशन अपने ही जूनियर डॉक्टर से कराया था। उनका तर्क था कि इससे देश के संस्थान में लोगों का भरोसा और मजबूत होगा। यह थी डॉ. पी. वेणुगोपाल की राष्ट्रभक्ति की भावना और वह हर पल राष्ट्र हित की विचारधारा से ओतप्रोत थे।वेणुगोपाल ने भारत में हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी का बीड़ा उठाया। उन्होंने देश में 26 हृदय प्रत्यारोपण किए। उन्होंने एशिया में 90 दिनों से अधिक समय तक चलने वाले बाएं वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस का पहला प्रत्यारोपण किया। उन्होंने प्रत्यारोपण के विकल्प के रूप में मायोकार्डियम की मरम्मत के लिए ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण की तैनाती के द्वारा भारत में पहली बार स्टेम सेल थेरेपी की शुरुआत की, जो उन्होंने 26 रोगियों पर किया। उन्होंने टाइप 2 मधुमेह के उपचार के लिए अग्न्याशय में स्टेम सेल प्रत्यारोपण प्रक्रिया का बीड़ा उठाया। वेणुगोपाल ने 50,000 से अधिक खुले दिल और 12,000 बंद दिल की सर्जरी कर इतिहास रचा था। वह एक मान्यता प्राप्त प्रशिक्षक भी रहे, दुनिया भर के 100 से अधिक कार्डियो-थोरेसिक सर्जनों ने उनसे प्रशिक्षण लिया है। पूरी तरह देश और देशवासियों को समर्पित ऐसे महापुरुष थे डॉ. पी. वेणुगोपाल।


हालांकि 2003 में एम्स के निदेशक बने वेणुगोपाल को लेकर यूपीए सरकार के समय विवाद भी हुए। कहा जाता है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय वेणुगोपाल के कोटा मुद्दे से निपटने के तरीके से खुश नहीं था। जहां सरकार ने सामाजिक रूप से वंचित लोगों के लिए विश्वविद्यालय की 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की योजना बनाई थी। ऐसा कहा जाता है कि वेणुगोपाल ने छात्र भावनाओं का उपयोग करके इस कदम का विरोध किया था। वह सुप्रीम कोर्ट चले गए और अपनी सेवानिवृत्ति से पहले 2008 की गर्मियों की छुट्टियों में 45 दिनों की अवधि के लिए उन्हें बहाल कर दिया गया। मंत्रालय ने एम्स के कामकाज पर रिपोर्ट देने और सुधार के लिए सिफारिशें करने के लिए प्रसिद्ध कार्डियोथोरेसिक सर्जन एमएस वलियाथन को नियुक्त किया था। वेणुगोपाल एम्स के कामकाज में मंत्रालय के हस्तक्षेप से नाखुश बताए गए थे और उन्होंने एक रिट याचिका के माध्यम से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में समाप्ति को चुनौती दी, जिस पर न्यायालय ने 7 जुलाई 2006 को एक अंतरिम आदेश पारित किया। इसमें निर्णय की वैधता का आकलन होने तक समाप्ति पर रोक लगा दी गई। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने 8 अप्रैल 2008 को वेणुगोपाल को बहाल कर दिया था। वहीं सरकार के कृत्य को दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक करार दिया था।
डॉ. वेणुगोपाल ने ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोलियों से छलनी हालत में सर्जरी की थी। उस समय वह एम्स के कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख थे। एम्स के पूर्व निदेशक की इंदिरा गांधी के इलाज से जुड़े संस्मरणों पर आधारित उनकी किताब भी आई। उन्होंने और उनकी पत्नी ने संयुक्त रूप से 2023 में अपने संस्मरण, हार्टफेल्ट को प्रकाशित किया था।
तो वेणुगोपाल का जन्म 6 जुलाई 1942 को ब्रिटिश भारत (वर्तमान आंध्र प्रदेश) के मद्रास प्रेसीडेंसी के राजमुंदरी में हुआ था।एम्स से सेवानिवृत्ति के बाद, वेणुगोपाल हरियाणा के गुड़गांव में अल्केमिस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में कार्डियोथोरेसिक विभाग के प्रमुख के रूप में चले गए। उनकी शादी 55 साल की उम्र में हुई और उनकी एक बेटी है। वेणुगोपाल का 82 वर्ष की आयु में 8 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली में निधन हो गया। वेणुगोपाल को सैकडों सम्मान और पुरस्कार मिले थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के 42वें दीक्षांत समारोह में डॉ. पी. वेणुगोपाल को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार प्रदान किया था। तो प्रधानमंत्री मोदी जी से आह्वान है कि भारत में ह्रदय चिकित्सा में क्रांति लाने वाले चिकित्सक महापुरुष डॉ. पी. वेणुगोपाल के नाम से एम्स दिल्ली का नामकरण करें। यही इस पद्मभूषण को राष्ट्र की तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि होगी…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

 

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