‘सरकार’ के करीबी एक अफसर का विभाग बदला गया है। जिस डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी उन्हें मिली है, वहां कई सालों से एक एसीएस साहब का छत्र राज था। उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था। विभाग में कई बडे़ मामले सामने आए। शिकायतें हुईं, लेकिन साहब की सेहत पर कुछ असर नहीं पड़ा।
अब एसीएस साहब की जगह ‘सरकार’ के करीबी अफसर ने ले ली है। साहब जिस पोस्ट पर आए है, उसके पहले वहां से एसीएस और पीएस दोनों की विदाई हो गई।
एक मीटिंग के दौरान ‘सरकार’ के करीबी अफसर ने मातहतों से कहा- ये याद रखना एसीएस को रिप्लेस करके आया हूं। मुझे परफॉरमेंस चाहिए, प्रॉब्लम नहीं।
सत्ताधारी दल में जनपद अध्यक्ष की एंट्री, विधायक से डील
विंध्य क्षेत्र के एक जनपद अध्यक्ष सांसद के सामने सत्ताधारी दल में शामिल हो गए। अध्यक्ष साहब पर एक घोटाले में गंभीर आरोप लगे हुए हैं। वे कुछ महीने पहले तक ‘हाथ’ के साथ थे, लेकिन चुनावों में कमल दल को मिली रिकॉर्ड जीत के बाद कार्रवाई और कुर्सी जाने के डर से उन्होंने ‘हाथ’ छोड़ सत्ताधारी पार्टी में सेटिंग बैठाई।
अध्यक्ष साहब पार्टी के बडे़ नेताओं के हाथों सदस्यता लेना चाहते थे, लेकिन मामला नहीं जमा तो उन्होंने एक विधायक से सेटिंग बिठाई।
खबर है कि एक सोसाइटी में स्कैम के आरोपों से घिरे अध्यक्ष साहब ने सिटी में प्राइम लोकेशन पर विधायक जी को जमीन भेंट की है। मामले की जानकारी पार्टी के ही लोगों ने संगठन तक पहुंचाई है।
बुलडोजर एक्शन पर कलेक्टर की सफाई
हफ्तेभर पहले तक जब भी कहीं बुलडोजर चलता था तो अफसर सीना चौड़ा करके कार्रवाई का बखान करते थे, लेकिन बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और टिप्पणियों के बाद अब उसी बुलडोजर एक्शन को लेकर अफसरों को सफाई देना पड़ रही है।
मालवांचल के एक जिले में नगर पालिका ने फायर स्टेशन के लिए रिजर्व लैंड पर अतिक्रमण हटाया। इस कार्रवाई के बाद आरोप लगे कि एक पट्टेधारी का घर बुलडोजर से गिरा दिया गया है। जैसे ही सोशल मीडिया पर यह खबर और वीडियो शेयर हुए। कलेक्टर ने सोशल मीडिया पर सफाई दी कि बुलडोजर की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
विधायक ने खोली पुलिस की पोल
सूबे में पुलिस विभाग में भर्ती परीक्षाओं की तारीखें बदलने पर चल रहे मैसेज को लेकर पुलिस को ही सफाई जारी करना पड़ी। पुलिस के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा गया कि आरक्षक जीडी का फिजिकल टेस्ट तय तारीखों में ही होगा। तिथि परिवर्तन को लेकर चल रही खबरें भ्रामक हैं। इस संबंध में सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा पत्र फर्जी है।
एमपी पुलिस के इस ट्वीट पर कांग्रेस के एक विधायक ने एमपी पुलिस के उसी X हैंडल से ट्वीट की गई उसी सूचना का स्क्रीन शॉट शेयर कर दिया, जिसे पुलिस डिपार्टमेंट फर्जी बता रहा था। अब कैंडिडेट पूछ रहे हैं कि आखिर ये फेक मैसेज आया कहां से, इसकी जांच होना चाहिए।
स्टेट इंचार्ज घिरे, तब हरकत में आई पुलिस
बीजेपी का इन दिनों सदस्यता अभियान चल रहा है। पार्टी ने एमपी में एक करोड़ सदस्य बनाने के रिकॉर्ड का दावा किया है। हालांकि बीजेपी के इस अभियान को लेकर विपक्ष लगातार फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहा है। इस बीच राजधानी में एक 5 साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या हुई और पुलिस चौथे दिन बच्ची की लाश खोज पाई।
अब विपक्ष इस बात को लेकर हमलावर है कि जिस कॉलोनी की बच्ची जिस दिन गायब हुई, उसके अगले दिन उसी एरिया में पार्टी के स्टेट इंचार्ज का मेंबरशिप प्रोग्राम रखा गया। इसी प्रोग्राम में बच्ची के परिजनों और कॉलोनी वासियों ने उन्हें घेर लिया और पुलिस की निष्क्रियता की कहानी सुनाई। उसके बाद पुलिस हरकत में आई और बच्ची को खोजने में तेजी दिखाई।
नेता जी भावुक, बोले; राजनीति बहुत कुछ छीन लेती है
एमपी के सबसे सीनियर विधायक अपने पोते को लेने स्कूल पहुंचे। जैसे ही नाती राजा स्कूल से बाहर आए दादू के गले से लिपट गए। नेता जी की राजनीति में यह पहला अनुभव था। वे राजनीतिक व्यस्तता के कारण अपनी तीन बेटियों और बेटे को कभी न तो स्कूल छोड़ने गए और न ही लेने जा पाए थे। पोते के अनुरोध पर वे पहली बार स्कूल से उसे लेने पहुंचे तो अंदर से मन भारी हो गया।
उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा- राजनीति के कठोर धरातल पर चलते हुए परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं लगभग शून्य हो चुकी थीं। मैं जेपी आंदोलन के जरिए 1974 में राजनीति में आया और इस साल सक्रिय राजनीति में 5 दशक पूरे हो चुके हैं। ये बात सही है कि राजनीति और पद यदि आपको मान-सम्मान और प्रतिष्ठा देते हैं तो आपसे उससे कई गुना ज्यादा छीन भी लेते हैं।
और अंत में…
विंध्य की पॉलिटिक्स में पावरफुल दिख रहीं लेडी लीडर
विंध्य क्षेत्र की राजनीतिक फिजा में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। विकास पुरुष के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले नेताजी की घेराबंदी में इस समय कांग्रेस के साथ भाजपा के लोग भी जुटे हैं।
‘सरकार’ भी विंध्य में नेताजी को ‘एकला चलो रे’ की नीति पर नहीं चलने देना चाहती है। इसीलिए विंध्य की एक महिला नेत्री और सरकार में मंत्री को आगे बढ़ाया जा रहा है।
17 सितंबर को राज्य के मुखिया रीवा आने वाले थे, लेकिन रीवा के सियासी गलियारे में यह चर्चा थी कि नेताजी नहीं चाहते थे कि ‘सरकार’ रीवा आएं, इसीलिए विंध्य के व्हाइट टाइगर माने जाने वाले एक दिवंगत नेता को लेकर सांसद के बयान भी आए, पर ‘सरकार’ ने रीवा का दौरा फाइनल किया और वह भोपाल से रीवा के लिए चल भी दिए, लेकिन बारिश इसमें आड़े आ गई। इसके बाद मजबूरी में ‘सरकार’ को जबलपुर से ही रीवा जिले के त्योंथर के लोगों को वर्चुअली संबोधित करना पड़ा।
जबलपुर में सीएम के संबोधन के दौरान मंच पर एक मंत्री सीएम के पास वाली कुर्सी पर बैठी थीं, जो न तो रीवा या मऊगंज जिले की प्रभारी मंत्री हैं और न ही विंध्य की राजनीति में ज्यादा दखल रखती हैं। चर्चा है कि ‘सरकार’ इस महिला नेत्री को विंध्य की राजनीति में आगे बढ़ाकर पावर बैलेंस रखना चाहते हैं।
इसके पहले सीधी जिले के एक कार्यक्रम में भी इस महिला मंत्री को मंच पर महत्व दिया गया था। अब आने वाला समय बताएगा कि विंध्य की राजनीतिक उथल-पुथल किस करवट बैठती है।
विधायक बोले- माइक बंद कर दो, फिर बयां किया दर्द
विधानसभा चुनाव के पहले राजधानी में बंगलों को लेकर खूब राजनीति हुई। पुराने ‘सरकार’ पर दो बंगलों का उपयोग करने का आरोप विपक्ष ने लगाया। विधानसभा चुनाव के बाद विरोधी दल के नेता ने तो एक बंगला खुद के लिए आवंटित कराने सरकार को पत्र भी लिखा, लेकिन कुछ हुआ नहीं
पार्टी की ‘पंच निष्ठा’ रट रहे सत्ताधारी दल के नेता
राजधानी में हाल ही में सत्ताधारी दल का एक बूथ लेवल का प्रोग्राम हुआ। जिसमें ‘सरकार’ ने पार्टी के महामंत्री और जिला अध्यक्ष से पंच निष्ठाएं पूछ लीं। अचानक हुए इस वाकिया के बाद दोनों ही नेता सकपका गए। हड़बड़ाहट में कुछ नहीं बोल पाए।